जब संसद में 2 भाजपा सांसद अपनी ही सरकार के मंत्री पर बरसे

Edited By ,Updated: 10 Jul, 2019 01:42 AM

when the two bjp mps in parliament resign their own government ministers

जनवरी, 2016 में राजस्थान की भाजपा सरकार में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, उद्योग मंत्री गजेन्द्र सिंह खीवसर और स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र राठौर समेत कुछ अन्य मंत्रियों ने कहा था कि अधिकारियों द्वारा उनकी बात न सुनने के कारण राज्य सरकार की योजनाएं...

जनवरी, 2016 में राजस्थान की भाजपा सरकार में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, उद्योग मंत्री गजेन्द्र सिंह खीवसर और स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र राठौर समेत कुछ अन्य मंत्रियों ने कहा था कि अधिकारियों द्वारा उनकी बात न सुनने के कारण राज्य सरकार की योजनाएं लोगों तक नहीं पहुंच रहीं, उनके आदेशों का पालन नहीं होता तथा अधिकारी उनके पत्रों का जवाब नहीं देते। अब कुछ ऐसी ही भावना केंद्रीय भाजपा सरकार के 2 सांसदों राजीव प्रताप रूडी (सारण, बिहार) और हेमा मालिनी (मथुरा, उत्तर प्रदेश) ने पर्यटन मंत्रालय को लेकर व्यक्त की है। 

लोकसभा में अब 8 जुलाई को प्रश्रकाल में इन दोनों सांसदों की पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल से नोक-झोंक हो गई जब उन दोनों ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पर्यटन विकास का काम नहीं होने की शिकायत की। राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेले और सारण में ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किए जाने वाले ‘डाल्फिन क्षेत्र’ के लिए केंद्र सरकार से 3 वर्षों से धन देने की मांग कर रहे हैं परन्तु सरकार हर बार नए नियमों का हवाला देकर उन्हें टाल देती है। जब श्री पटेल ने उत्तर में कहा कि इस बारे में बिहार सरकार से कोई डी.पी.आर. नहीं मिली है तो रूडी ने डी.पी.आर. दिखाते हुए कहा, ‘‘मैं इसे सदन के पटल पर भी रख सकता हूं। यदि आपको यह नहीं बताया गया है तो यह संबंधित अधिकारी के विरुद्ध विशेषाधिकार का मामला बनता है।’’ 

श्री रूडी ने यह भी कहा कि ‘‘पर्यटन मंत्रालय विभिन्न राज्यों में 500 करोड़ रुपए खर्च करने की बात कह रहा है परन्तु बिहार में तो आज तक एक पैसा भी नहीं आया।’’ इसी प्रकार हेमा मालिनी ने भी कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में पांच वर्ष पूर्व बौद्ध सर्किट के साथ ही कृष्णा सर्किट भी स्थापित किया गया था परन्तु कृष्णा सॢकट के अंतर्गत बरसाना, वृंदावन, गोवर्धन और मथुरा को विकसित करने की योजना पर 5 वर्षों में बहुत कम काम हुआ है और ऐसा कोई काम नहीं हुआ जिसका उल्लेख किया जा सके। दोनों सांसदों द्वारा उठाई गई ‘शिकायतों’ पर श्री पटेल कुछ असहज दिखे तथा उन्होंने दोनों सांसदों को संतुष्ट करने की कोशिश की परन्तु जब अपने ही दल के लोग अपने ही मंत्रालय के कार्यकलाप में त्रुटियों की ओर संकेत करें तो स्पष्टï है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ अवश्य है जिसे दूर करने की तात्कालिक आवश्यकता है।—विजय कुमार

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