‘भारत में नारी जाति पर’‘निर्भया जैसे अत्याचार कब थमेंगे’

Edited By ,Updated: 07 Jan, 2021 04:28 AM

when will the atrocities on women s caste in india stop

16 दिसम्बर, 2012 की रात को दिल्ली में पैरा मैडीकल की 23 वर्षीय छात्रा ‘निर्भया’ के साथ चलती बस में 6 लोगों द्वारा वीभत्स बलात्कार कांड ने विश्व भर में सनसनी फैला दी थी। इस घटना में बलात्कारियों ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में ‘लोहे की छड़

16 दिसम्बर, 2012 की रात को दिल्ली में पैरा मैडीकल की 23 वर्षीय छात्रा ‘निर्भया’ के साथ चलती बस में 6 लोगों द्वारा वीभत्स बलात्कार कांड ने विश्व भर में सनसनी फैला दी थी। इस घटना में बलात्कारियों ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में ‘लोहे की छड़’ डालने के अलावा उसके शरीर को कई जगह दांतों से काट दिया था। 

‘निर्भया’ को न्याय दिलवाने के लिए देश भर में उठी आवाजों के दृष्टिगत भारत सरकार ने जब महिलाओं की सुरक्षा संबंधी अनेक पग उठाने के अलावा 3 महीनों के भीतर कानून भी बना दिया तो आशा बंधी थी कि इससे महिलाओं के विरुद्ध अपराध घटेंगे परंतु ऐसा हुआ नहीं और बच्चियों से लेकर वृद्धाओंं तक वासना के भूखे भेडिय़ों के अत्याचारों की शिकार हो रही हैं। 

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2019 के आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं। वर्ष 2013 में देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराध की 309546 घटनाएं रिपोर्ट की गई थीं  जो 2019 में बढ़ कर 405861 हो गईं। महिलाओं से बलात्कार जैसा घिनौना अपराध करने के साथ-साथ उनके शरीर पर अन्य तरीकों से भी अत्याचार करने के चंद शर्मनाक उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :

* 21 जनवरी, 2020 को महाराष्ट्र के नागपुर में ‘योगी लाल रहंगदाले’ नामक 52 वर्षीय व्यक्ति ने एक युवती के मुंह में कपड़ा ठूंस कर उससे बलात्कार किया और उसके गुप्तांग में ‘लोहे की छड़’ डाल दी।  
* 8 अगस्त, 2020 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए एक युवक ने एक 6 वर्षीय बच्ची का अपहरण करने के बाद उससे बलात्कार किया और उसका प्राइवेट पार्ट कुचल डाला।
* 14 सितम्बर को हाथरस जिले के ‘चंदपा’ थाना के एक गांव में 19 वर्षीय दलित युवती की 4 युवकों द्वारा सामूहिक बलात्कार, बेरहमी से पिटाई करने से समूचे शरीर में जगह-जगह फ्रैक्चर होने, जीभ काटने तथा रीढ़ की हड्डïी टूटने से 29 सितम्बर को दिल्ली के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई। 

* 20 नवम्बर, 2020 को मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के ज्ञारसपुर थाना इलाके के ‘ओङ्क्षलजा’ गांव में ‘सुरेंद्र चिढ़ार’ नामक एक 26 वर्षीय युवक ने न केवल एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला के साथ बलात्कार किया बल्कि विरोध करने तथा चिल्लाने पर उसके मुंह में मिट्टी भर दी जिससे सांस रुकने से उसकी मृत्यु हो गई। यही नहीं बलात्कार करने के बाद वृद्धा की मौत की पुष्टि करने के लिए उसने उसके गुप्तांग में डंडा भी डाल दिया।
* 23 दिसम्बर, 2020 को ओडिशा के नयागढ़ में एक युवक ने एक 5 वर्षीय बच्ची की हत्या करने के बाद उसके शव के साथ बलात्कार कर डाला। 

* 3 जनवरी, 2021 को झारखंड में रांची के ‘ओरमांझी’ में एक युवती के साथ बलात्कार करने के बाद अपराधियों ने न सिर्फ गला रेत कर उसकी हत्या कर दी बल्कि उसका गुप्तांग भी काट दिया और युवती की पहचान छिपाने के लिए उसका सिर धड़ से अलग करके निर्वस्त्र लाश को फैंक दिया।
* 3 जनवरी, 2021 को ही जालंधर के थाना पतारा के अंतर्गत पड़ते गांव में 25 वर्षीय प्रवासी मजदूर ने एक 6 वर्षीय बच्ची से बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी।
 * नारी जाति के प्रति अपराधों का एक और उदाहरण 4 जनवरी को सामने आया जब उत्तर प्रदेश में बदायूं के थाना ‘उगैती’ क्षेत्र में 50 वर्षीय एक महिला के साथ एक मंदिर के महंत, उसके चेले व ड्राइवर ने निर्भया जैसी बर्बरता की। 

आरोपियों ने उसके शरीर को बुरी तरह नोच डाला और गैंगरेप करने के बाद उसके गुप्तांग में ‘लोहे की छड़’ जैसी कोई चीज जोरदार प्रहार के साथ डाल दी जिसके परिणामस्वरूप महिला की बाईं पसली, बायां पैर और बायां फेफड़ा क्षतिग्रस्त हो जाने से उसकी मृत्यु हो गई और आरोपी देर रात उसका शव उसके घर के बाहर फैंक कर चले गए। 

ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं जब बलात्कार के आरोप में कुछ महीनों या साल की सजा काट कर आए अभियुक्त दोबारा यह अपराध करने से संकोच नहीं करते। जैसे कि बलात्कार के आरोप में कैद काट कर जेल से निकले उत्तर प्रदेश के सीतापुर के ‘इमलिया सुल्तानपुर’ थाना क्षेत्र के समर बहादुर नामक आरोपी ने 18 दिसम्बर, 2020 को फिर 9 वर्षीय एक बच्ची से बलात्कार किया। 

बेशक निर्भया पर अत्याचार करने वाले दरिंदों को 7 साल लम्बी कानूनी कार्रवाई के बाद गत वर्ष 20 मार्च को फांसी दी गई परंतु इसके अलावा किसी भी न्यायालय द्वारा किसी बलात्कारी को फांसी पर लटकाए जाने का कोई मामला सामने नहीं आया। अत: जब तक महिलाओं के विरुद्ध इस तरह के अपराधों के मामले में फास्ट ट्रैक अदालतों द्वारा जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करके दोषियों को मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा, तब तक इस मनोविकृत्ति पर रोक लग पाना असंभव ही प्रतीत होता है।—विजय कुमार 

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