कब थमेगा देश में पुलिस थानों में अत्याचारों से मौतों का सिलसिला

Edited By ,Updated: 24 Jul, 2020 01:56 AM

when will the death of atrocities in police stations in the country stop

अक्सर पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ के नाम पर उन्हें टार्चर करने के समाचार आते रहते हैं और गत वर्ष देश में पुलिस हिरासत में हुई 125 मौतों में से 74 प्रतिशत मौतें पुलिस के टार्चर से हुईं।  * 19 जून को तमिलनाडु के

अक्सर पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ के नाम पर उन्हें टार्चर करने के समाचार आते रहते हैं और गत वर्ष देश में पुलिस हिरासत में हुई 125 मौतों में से 74 प्रतिशत मौतें पुलिस के टार्चर से हुईं। 
* 19 जून को तमिलनाडु के ‘थूथूकुडी’ जिले के ‘सतनकुल्लम’ पुलिस थाने में पकड़ कर लाए गए जयराज और उसके पुत्र बैनिक्स को पुलिस वालों ने रात भर इतनी बुरी तरह पीटा कि लाठी और मेज उनके खून में नहा गए। दोनों के शरीर के विभिन्न अंगों और मलाशय तक पर यातनाओं के निशान पड़ गए और उनकी मौत हो गई। 

* इस घटना से कुछ समय पहले इसी क्षेत्र के एक आटो चालक एन. कुमारसेन को एक भूमि विवाद के सिलसिले में ‘अरुमागनेरी’ थाने में लाकर महिला पुलिस ने इतनी बेरहमी से पीटा कि उसे खून की उल्टियां होने लगीं।
इलाज के लिए अस्पताल ले जाने पर पता चला कि उसके गुर्दे और तिल्ली (स्प्लीन) बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे और वह नियमित रूप से डायलिसिस पर आश्रित होकर रह गया। 
* इसी थाने में मई महीने में पूछताछ के लिए लाए गए महेंद्रन नामक एक आरोपी को इतना टार्चर किया गया कि हवालात से बाहर आकर भी वह लगातार चीखता-चिल्लाता रहा। उसका दायां हाथ और बाईं टांग नाकारा हो गई और 13 जून को थूथूकुडी के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई। 

* मास्क न लगाने और सार्वजनिक रूप से बीड़ी पीने पर 9 जून को हबीब मोहम्मद नामक एक व्यक्ति को 2 महिला पुलिस कांस्टेबल पकड़ कर थाने ले गईं जहां 4 पुलिसियों ने उसे 2 घंटे से भी अधिक समय तक बेरहमी से पीटा। 
एक महिला इंस्पैक्टर ने तो उसके मुंह पर अपने जूते से ठोकर मारी। इसके बाद उन्होंने उसे प्लास्टिक की पाइप से पीटा और फिर खड़े होकर उछलने तथा उठक-बैठक निकालने को कहा। उसके पेट में भी लातें मारी गईं जिस पर उसके पेशाब में खून आने लगा और अब वह भी डायलिसिस पर है। 

* 14 जुलाई को मध्य प्रदेश में गुना के जगनपुर गांव में जमीन का अवैध कब्जा हटाने पहुंची पुलिस ने किसान दम्पति राजकुमार और सावित्री की बोई हुई फसल पर बुल्डोजर चलवा दिया जिस पर उन दोनों ने कीटनाशक पी लिया। 
राजकुमार और सावित्री की हालत इतनी बिगड़ गई कि अस्पताल में सावित्री को रह-रह कर दौरे पडऩे लगे और वह कुछ भी बोलने में असमर्थ हो गई। इसके विरुद्ध रोष व्यक्त करने पर पुलिस ने राजकुमार के भाई शिशुपाल व अन्यों पर लाठीचार्ज किया जिससे वे घायल हो गए। 

* 18 जुलाई को इस शृंखला की नवीनतम घटना आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के चिराला शहर में सामने आई जब पुलिस की पिटाई से एक युवक की मौत हो गई। पुलिस टार्चर की ये कहानियां किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को विचलित करने के लिए काफी हैं। ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों का स्थान पुलिस विभाग में नहीं होना चाहिए क्योंकि आज के युग में अपराधियों से पूछताछ के सभ्य तरीके भी मौजूद हैं।—विजय कुमार  

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