आखिर कब थमेगी ‘महिलाओं के विरुद्ध’ नेताओं की ‘अमर्यादित बयानबाजी’

Edited By ,Updated: 20 Oct, 2020 03:18 AM

when will the unsubstantiated rhetoric of against women  leaders stop

वैसे तो हमारे देश को नारी पूजक देश कहा जाता है परंतु देश में महिलाओं के विरुद्ध जारी अपराधों तथा समय-समय पर हमारे जन प्रतिनिधि कहलाने वाले नेता भी महिलाओं के सम्बन्ध में ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियां कर देते हैं जिन्हें पढ़-सुन कर मन आक्रोष से भर जाता है...

वैसे तो हमारे देश को नारी पूजक देश कहा जाता है परंतु देश में महिलाओं के विरुद्ध जारी अपराधों तथा समय-समय पर हमारे जन प्रतिनिधि कहलाने वाले नेता भी महिलाओं के सम्बन्ध में ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियां कर देते हैं जिन्हें पढ़-सुन कर मन आक्रोष से भर जाता है : 

* 26 जुलाई, 2013 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्वयं को ‘राजनीति का पुराना जौहरी’ करार देते हुए मंंदसौर में अपनी ही पार्टी की एक महिला सांसद तथा राहुल गांधी की एडी मीनाक्षी नटराजन को ‘100 टंच माल’ करार दिया था। 
* 11 अप्रैल, 2014 को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह सामूहिक बलात्कार के एक केस में अदालत द्वारा तीन आरोपियों को मृत्युदंड सुनाए जाने पर बोले : ‘‘लड़के लड़के हैं। गलती हो जाती है। लड़कियां पहले दोस्ती करती हैं। लड़के-लड़की में मतभेद हो जाता है तो उसे रेप का नाम दे देती हैं। क्या रेप केस में फांसी दी जाएगी?’’ 

* एक अन्य अवसर पर मुलायम सिंह बोले, ‘‘केवल अमीर वर्ग सेे सम्बन्धित महिलाएं ही जीवन में आगे बढ़ सकती हैं, लेकिन ग्रामीण महिलाओं को कभी मौका नहीं मिलेगा क्योंकि आप उतनी आकर्षक नहीं होतीं।’’
* 12 अप्रैल, 2014 को महाराष्ट्र सपा के अध्यक्ष अबु आजमी ने कहा कि ‘‘यदि कोई महिला बलात्कार केस में पकड़ी जाती है तो लड़के और लड़की दोनों को सजा दी जानी चाहिए।’’
* 31 मार्च, 2015 को गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रही नर्सों से कहा,‘‘आप लोग धूप में भूख-हड़ताल न करें। इससे आपका रंग काला पड़ जाएगा और आपकी शादी में दिक्कत आएगी।’’ 

* 8 अक्तूबर, 2015 को कर्नाटक के गृह मंत्री के.जे. जार्ज (कांग्रेस) ने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया कि ‘‘किसी महिला से 2 व्यक्तियों द्वारा रेप को गैंगरेप नहीं कहा जा सकता।’’
* 12 जुलाई, 2016 को उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष जय शंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती की तुलना ‘वेश्या’ से करते हुए कहा, ‘‘वह अधिकतम रकम देने वाले किसी भी व्यक्ति को टिकट दे देंगी।’’ 
* 28 मार्च, 2019 को सपा नेता फिरोज खान ने भाजपा द्वारा जयाप्रदा को रामपुर से प्रत्याशी घोषित करने पर कहा, ‘‘जयाप्रदा के रामपुर आने से यहां की ‘रातें रंगीन’ होंगी। हम लोग मजे लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’’ 

* 3 अप्रैल, 2019 को मेरठ में एक चुनाव सभा में भाषण करते हुए भाजपा नेता जय करण गुप्ता ने प्रियंका गांधी के संदर्भ में कहा, ‘‘ एक कांग्रेस नेता ऊंची आवाज में पूछ रहा है कि क्या अच्छे दिन आ गए हैं? उसे अच्छे दिन नहीं दिखाई दे रहे। ‘स्कर्ट वाली बाई साड़ी पहनने लगी’ हैं और मंदिरों में जाने लगी हैं। और अब 18 अक्तूबर को मध्यप्रदेश में डाबरा के कांग्रेस के प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार के दौरान राज्य के पूर्व मुïख्यमंत्री कमल नाथ ने अपने भाषण में राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री इमरती देवी (भाजपा) के बारे में अमर्यादित बयान देते हुए कह दिया कि : 

‘‘हमारे उम्मीदवार सरल सादे स्वभाव के हैं...ये ‘उसके’ जैसे नहीं हैं...क्या है उसका नाम...(ऊंची आवाज में भीड़ कहती है ‘इमरती देवी’) ...क्या उसका नाम लूं...आप तो उसे मेरे से ज्यादा जानते हैं...आपको तो मुझे पहले ही सतर्क कर देना चाहिए था। ये क्या आइटम है.... ‘क्या आइटम है’।’’ कमलनाथ के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया है और इमरती देवी ने कमलनाथ को ‘कलंक नाथ’ और ‘राक्षस’ बताते हुए कहा है कि क्या वह प्रियंका गांधी के बारे में भी यही बात कह सकते थे और क्या ऐसा कहने पर कांग्रेस खामोश रहती? 

इस तरह के हालात में व्यक्ति यह सोचने को विवश हो जाता है कि जब हमारे नेतागण ही महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखते हैं तो फिर आम आदमी से क्या आशा की जा सकती है अतीत में विभिन्न दलों के नेता अपनी नीतियों और दूसरे दलों की कमजोरियों और खामियों पर बोलते थे तथा निजी आक्षेप भी नहीं करते थे। यही नहीं, वे अपने विरोधियों के अच्छे कार्यों की प्रशंसा भी किया करते थे, जैसे कि 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा बंगलादेश को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त करवाने पर श्री वाजपेयी ने उनकी तुलना ‘दुर्गा’ से की थी। 

देश को आजाद हुए 73 साल हो चुके हैं और यहां के लोग पढ़-लिख गए हैं और उनका जीवन स्तर काफी ऊंचा उठा है। यहां तक कि विदेशों में बड़ी-बड़ी कम्पनियों की उन्होंने कमान संभाली है तथा अन्य देशोंं में मंत्री भी बन रहे हैं। उनके कारण विश्वभर में देश का गौरव बढ़ा है लेकिन हमारे अपने ही देश में ‘यह क्या हो रहा है, हम क्या कर रहे हैं’ यह सब कम होने की बजाय गत 5-7 सालों से और भी तेज हुआ है तथा लगता नहीं कि यह थमेगा। अगर हम देश को ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं तो हमें अभी से संभलना होगा और अमर्यादित बयानबाजी बंद करनी होगी।—विजय कुमार

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