जो मन में बात होती है कह देते हैं गडकरी

Edited By ,Updated: 06 Mar, 2019 03:06 AM

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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से उनकी निकटता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि स्वयं संघ के नेता...

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से उनकी निकटता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि स्वयं संघ के नेता उन्हें उप-प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर चुके हैं।

श्री गडकरी के काम की तारीफ उनके अपने साथी ही नहीं बल्कि विरोधी दलों के नेता भी करते हैं। जहां सोनिया गांधी, राहुल गांधी तथा मल्लिकार्जुन खडग़े खुलेआम उनकी तारीफ कर चुके हैं वहीं गत 3 मार्च को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम ने एन.डी.ए. सरकार की प्रशंसा करने के बहाने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि :

‘‘एन.डी.ए. सरकार का नैशनल हाइवे प्रोग्राम उनकी सफलता है। वे हर दिन यू.पी.ए. की तुलना में अधिक तेजी से सड़कें बना रहे हैं। यदि देश की सबसे अयोग्य सरकार ने भी कुछ ऐसे काम किए हैं जो देश के लिए अच्छे हैं तो उन्हें आप कैसे खारिज कर सकते हैं!’’ जहां श्री गडकरी ने विरोधी खेमे में भी अपने प्रशंसक बना लिए हैं, वहीं कुछ समय से वह लगातार अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं को उनकी त्रुटियों के बारे में सचेत करते और उन्हें नसीहतें देते आ रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने गत वर्ष 19 दिसम्बर को कहा था कि ‘‘भाजपा में कुछ लोगों को कम बोलने की आवश्यकता है।’’

इसके अलावा भी :
10 मार्च, 2018 को भाजपा के ‘अच्छे दिन’ वाले नारे पर प्रश्रचिन्ह लगाते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘अच्छे दिन होते ही नहीं हैं, यह तो मानने वाले पर निर्भर करता है। अच्छे दिन का मतलब है रोटी, कपड़ा और मकान।’’ 24 दिसम्बर, 2018 को वह बोले, ‘‘जीत के कई बाप होते हैं लेकिन हार अनाथ होती है। संस्था के प्रति जवाबदेही साबित करने के लिए पार्टी के नेतृत्व को हार और विफलताओं की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’’

अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘यदि मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद एवं विधायक अच्छा नहीं करते हैं तो कौन जिम्मेदार होगा?’’ 13 जनवरी, 2019 को श्री गडकरी ने कहा, ‘‘नेताओं को दूसरों के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। लोग अपने-अपने क्षेत्रों के मामलों को स्वयं निपटाएं।’’ 27 जनवरी, 2019 को श्री गडकरी ने कहा, ‘‘सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं परंतु दिखाए गए सपने जब पूरे नहीं होते तो जनता उनकी पिटाई भी करती है। इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें।’’

02 फरवरी, 2019 को उन्होंने कहा, ‘‘जो अपना घर नहीं संभाल सकता, वह देश नहीं संभाल सकता। ऐसे में पहले अपना घर संभालें तथा अपने बच्चे, संपत्ति देखने के बाद पार्टी और देश के लिए काम करें।’’ 11 फरवरी, 2019 को उन्होंने कहा, ‘‘यदि मेरे क्षेत्र में कोई जातिवाद की बात करता है तो उसकी पिटाई हो जाएगी। मैंने कार्यकत्र्ताओं को चेतावनी दी है कि यदि कोई जाति के बारे में बात करेगा तो मैं उसकी पिटाई करूंगा।’’ 01 मार्च, 2019 को वह बोले, ‘‘मैं विशुद्ध संघ कार्यकत्र्ता हूं जिसके लिए देश ही सर्वोपरि है। मैं प्रधानमंत्री की दौड़ में नहीं हूं और हम सब मोदी जी के पीछे खड़े हैं। मेरे प्रधानमंत्री बनने का प्रश्र ही कहां पैदा होता है।’’ 03 मार्च, 2019 को श्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर कहा, ‘‘मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो लोगों को सिर्फ सपने दिखाते हैं। मैं सपने नहीं दिखाता बल्कि उन्हें पूरा करता हूं।’’

विरोधी जो भी कहें, अपने उक्त बयानों से श्री गडकरी ने अपनी वैचारिक स्वतंत्रता और खुलेपन का संकेत ही दिया है। अब यह तो समय ही बताएगा कि भविष्य में हालात क्या करवट लेते हैं। वैसे श्री नितिन गडकरी का अपने बयानों बारे कहना है कि ‘‘जो मेरे दिल में होता है वह मैं कह देता हूं।’’—विजय कुमार 

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