‘भड़काऊ बयानबाजों पर’ रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग ‘ठोस पग क्यों नहीं उठाता’

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2019 01:34 AM

why the ec does not take  solid foot  to stop provocative statements

अब जबकि तीसरे चरण के लिए मतदान होने में कुछ ही दिन शेष हैं, चुनाव में तेजी आने के साथ-साथ नेताओं की जुबान की कड़वाहट भी बढ़ती जा रही है और वे समाज में दूरियां बढ़ाने वाले बयान दे रहे हैं। इनमें भाजपा के नेता सबसे आगे हैं जिनके चंद नमूने निम्र में...

अब जबकि तीसरे चरण के लिए मतदान होने में कुछ ही दिन शेष हैं, चुनाव में तेजी आने के साथ-साथ नेताओं की जुबान की कड़वाहट भी बढ़ती जा रही है और वे समाज में दूरियां बढ़ाने वाले बयान दे रहे हैं। इनमें भाजपा के नेता सबसे आगे हैं जिनके चंद नमूने निम्र में दर्ज हैं : भोपाल संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के दो दिन बाद ही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर महाराष्ट्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई हमले के शहीद, मरणोपरांत अशोक चक्र विजेता हेमंत करकरे बारे बयान देकर विवादों में घिर गई हैं। भोपाल में 18 अप्रैल को उन्होंने भाजपा वर्करों से कहा : 

‘‘जब मैं मुम्बई जेल में थी तो जांच आयोग के एक सदस्य ने ए.टी.एस. प्रमुख हेमंत करकरे से कहा कि यदि साध्वी के विरुद्ध प्रमाण नहीं हैं तो उसे छोड़ क्यों नहीं देते। इस पर करकरे ने कहा कि मैं कुछ भी करूंगा पर सबूत लाऊंगा। इधर-उधर से लाऊंगा लेकिन साध्वी को नहीं छोड़ूंगा।’’‘‘यह उसकी कुटिलता, देशद्रोह व अधर्म था। वह मुझसे प्रश्र पूछता तो मैं उत्तर देती कि मुझे नहीं मालूम, भगवान जानें। उसने पूछा कि क्या मुझे सबूत लेने भगवान के पास जाना पड़ेगा तो यातनाओं से परेशान होकर मैंने उसे कहा कि तेरा सर्वनाश होगा।’’ 

‘‘जब जन्म या मृत्यु होती है तो सवा महीने सूतक लगता है। ठीक सवा महीने बाद करकरे को आतंकवादियों ने मार दिया और उस दिन सूतक का अंत हो गया। कांग्रेस ने संतों को जेल में ठूंसा। करकरे इसका सूत्रधार बना। मैंने कहा था कि इस शासन का सर्वनाश हो जाएगा जो आपके सामने है।’’ उल्लेखनीय है कि हेमंत करकरे की छाती पर 3 गोलियां लगी थीं और श्री नरेन्द्र मोदी जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, 28 नवम्बर, 2008 को श्री करकरे के घर संवेदना व्यक्त करने गए थे और उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने के दौरान शहीद होने वाले सुरक्षा बलों के सदस्यों के परिवारों को एक करोड़ रुपया देने का वायदा किया था।

साध्वी प्रज्ञा द्वारा शहीद करकरे बारे दिए बयान के सोशल मीडिया पर आते ही एक तूफान मच गया और देशभर में उनकी आलोचना होने लगी जिसके चलते उन्हें क्षमा याचना करनी पड़ी परन्तु इसके बावजूद हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने साध्वी के पक्ष में बयान दे दिया। श्री अनिल विज ने 19 अप्रैल को कहा कि, ‘‘हिंदू आतंकवाद के नाम पर साध्वी प्रज्ञा पर जितनी चोट मारी गई है उसका बदला लेनेका समय आ गया है। हिंदू आतंकवाद के रचयिता दिग्विजय सिंह के विरुद्ध भोपाल से भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारा है।’’ ‘‘जिनका भोपाल में वोट है उन्हें वोट डालना चाहिए और जिनका भोपाल में वोट नहीं है तो दिग्विजय सिंह की नस्ल के लोग जहां-जहां खड़े हुए हैं उन्हें हराना चाहिए।’’ 

एक अन्य विवादास्पद बयान गाजीपुर में देते हुए केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने  कहा, ‘‘जो कोई व्यक्ति किसी भाजपा कार्यकत्र्ता की ओर उंगली उठाएगा उसकी उंगली 4 घंटे भी सुरक्षित नहीं रहेगी। जो कोई गाजीपुर की सीमा के अंदर  किसी भाजपा वर्कर पर हमला करने की कोशिश करेगा उसे जमीन में दफना दिया जाएगा और जो कोई भाजपा कार्यकत्र्ताओं की ओर तिरछी नजर से देखने की हिमाकत करेगा तो उसकी आंखें नहीं रहेंगी।’’ चुनाव आयोग द्वारा योगी आदित्यनाथ के भाषण देने पर लगाया गया 72 घंटे का प्रतिबंध समाप्त होते ही उन्होंने भी 2 विवादास्पद बयान फिर दे डाले : 

19 अप्रैल को सम्भल में एक जनसभा में उन्होंने कहा, ‘‘एक ओर एक ऐसी पार्टी का उम्मीदवार है जिसने बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर और गौतम बुद्ध से जुड़े स्थानों का विकास करवाया तो दूसरी ओर विरोधी दल का उम्मीदवार है जो स्वयं को ‘बाबर की औलाद’ कहता है।’’ योगी ने इसके साथ ही यह भी कहा कि ‘‘तीसरे चरण में कोई चूक नहीं होनी चाहिए और भगवा झंडा झुकना नहीं चाहिए। आज बहन-बेटी के साथ अत्याचार करने पर या तो जेल होगी या फिर सीधा राम नाम सत्य हो जाता है। पिछली सरकारें भ्रष्टï थीं जो श्मशान के लिए नहीं, सिर्फ कब्रिस्तान के लिए पैसा देती थीं परन्तु हम सभी के लिए पैसा दे रहे हैं।’’ इस बीच जहां चुनाव आयोग ने 20 अप्रैल को एक नोटिस जारी करके 24 घंटे में साध्वी प्रज्ञा से हेमंत करकरे बारे बयान पर जवाब मांगा है, वहीं एक अन्य बयान में साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय सिंह को महिषासुर और स्वयं को महिषासुर मर्दिनी कह कर एक अन्य विवादास्पद बयान दे दिया है। 

20 अप्रैल को गुजरात के आदिवासी विकास मंत्री गणपत्त बसावा (भाजपा) ने राजपीतला में एक चुनावी रैली में राहुल गांधी की तुलना कुत्ते के बच्चे से करते हुए कहा, ‘‘ जब भी नरेन्द्र भाई अपनी कुर्सी से खड़े होते हैं वह एक शेर जैसे दिखते हैं पर जब राहुल गांधी ऐसा करते हैं तो लगता है जैसे कोई कुत्ते का पिल्ला दुम हिलाते हुए उठ खड़ा हुआ है।’’ आखिर इस तरह के बयान देने वालों पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाता। मात्र कुछ घंटे की रोक लगाना काफी नहीं है। एक से अधिक बार ऐसा करने पर सजा की कठोरता में भी वृद्धि की जानी चाहिए।—विजय कुमार 

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