PSU बैंकों की नौकरी बनी जानलेवा, आत्महत्या कर रहे अधिकारी और कर्मचारी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Nov, 2018 02:57 PM

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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की नौकरी अधिकारी और कर्मचारियों के लिए जानलेवा बन रही है। टार्गेट पूरा करने और लोन की रिकवरी के दबाव के चलते अधिकारी और कर्मचारी आत्महत्या कर रहे हें।

नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की नौकरी अधिकारी और कर्मचारियों के लिए जानलेवा बन रही है। टार्गेट पूरा करने और लोन की रिकवरी के दबाव के चलते अधिकारी और कर्मचारी आत्महत्या कर रहे हें। बैंक कर्मचाारियों के संगठन नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्वनी राणा ने मांग की है कि सरकार बैंक कर्मचारियों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं की उच्च्स्तरीय कमेटी से जांच कराए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। 

2 अक्टूबर, 2018 को संदीप रेड्‌डी ने की आत्महत्या 
प्रोदात्तूर में कॉरपोरेशन बैंक में ऑफिसर संदीप रेड्‌डी ने आत्महत्या कर ली। वे बैंक की नौकरी छोड़ कर स्टेट क्लैरिकल जॉब में जाना चाहते थे। इसके लिए उनका सेलेक्शन भी हो गया था लेकिन संदीप का परिवार ऑफिसर रैंक की नौकरी छोड़ने के खिलाफ था।  

1 अक्टूबर, 2018 को ताडो जिबायिंग ने की आत्महत्या  
तोडो जिबायिंग इंडियन बैंक नाहरलागुन में ब्रांच मैनेजर थे। उन्होंने आत्महत्या कर ली। 23 सितंबर, 2018 को अखिलेश जलोटा ने की आत्महत्या, वह बैंक ऑफ इंडिया गांधीनगर में जोनल मैनेजर थे। 

15 सितंबर 2018 को रतनदीप नावक ने आत्महत्या की 
रतनदीप नावक भारतीय स्टेट बैंक की टीटागढ़ ब्रांच में ऑफीसर थे। उनकी पत्नी का कहना है कि उनके पति पर काम का बहुत ज्यादा दबाव था और वे अक्सर रात के 10 बजे के बाद ही ऑफिस से घर आ पाते थे। 14 जुलाई 2018 को एसबीआई पार्वतीपुरम ब्रांच के ब्रांच मैनेजर अचु आर चंद्रन ने आत्महत्या की। जानकारी के अनुसार वे अपने परिवार से काम के ज्यादा दबाव की शिकायत कर रहे थे और वे नौकरी छोड़ना चाहते थे। 

 
 

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