Edited By prachi,Updated: 07 Jun, 2018 12:43 PM
बिहार बोर्ड ने बुधवार को 12वीं के परिणामों की घोषणा कर दी है। पिछले 2 सालों से लगातार टॉपर घोटाले की वजह से अपमान का सामना करना रहे बोर्ड ने इस बार भी कुछ ऐसा कर दिया जिसकी वजह से उसकी और ज्यादा बदनामी हो रही है। इस बार विवाद विज्ञान संकाय की टॉपर...
पटनाः बिहार बोर्ड ने बुधवार को 12वीं के परिणामों की घोषणा कर दी है। पिछले 2 सालों से लगातार टॉपर घोटाले की वजह से अपमान का सामना करना रहे बोर्ड ने इस बार भी कुछ ऐसा कर दिया जिसकी वजह से उसकी और ज्यादा बदनामी हो रही है।
इस बार विवाद विज्ञान संकाय की टॉपर रही कल्पना कुमारी को लेकर हुआ है। कल्पना कुमारी वही छात्रा है जिसने इस बार नीट की परीक्षा में देशभर में टॉप किया है। इस बार जो विवाद हुआ है वह कल्पना कुमारी की काबलियत को लेकर नहीं बल्कि बिहार बोर्ड की शिक्षा व्यवस्था को लेकर खड़ा हुआ है।
NEET परीक्षा में टॉप करने के बाद कल्पना कुमारी ने कई जगहों पर इंटरव्यू में बताया कि वह पिछले दो साल से लगातार दिल्ली में आकाश इंस्टिट्यूट से मेडिकल की तैयारी कर रही थी। इसी दौरान बिहार बोर्ड से 12वीं की परीक्षा देने के लिए कल्पना ने अपने गृह जिला शिवहर के तरियानी में स्थित वाईकेजेएम कॉलेज में दाखिला भी लिया हुआ था। अब सवाल यह उठता है कि बिहार बोर्ड ने एक ऐसी छात्रा को विज्ञान संकाय का टॉपर बना दिया, जो कभी स्कूल में उपस्थित ही नहीं हुई।
इस अपमान से बचने के लिए बिहार स्कूल परीक्षा समिति के चेयरमैन आनंद किशोर ने यह ऐलान कर दिया कि बिहार के स्कूलों में किसी भी छात्र के लिए न्यूनतम उपस्थिति आवश्यक नहीं है। इसका अर्थ यह होता है कि बिहार में कोई विद्यार्थी स्कूल आएं या ना आएं इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।