2000 का नोट गरीब का था ही नहीं

Edited By ,Updated: 03 Jun, 2023 05:07 AM

2000 note did not belong to the poor

भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। 2000 रुपए के नोट को सर्कुलेशन से बाहर किया जा रहा है. वर्तमान में बाजार में चल रहे 2000 रुपए के नोटों का मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपए है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। 2000 रुपए के नोट को सर्कुलेशन से बाहर किया जा रहा है. वर्तमान में बाजार में चल रहे 2000 रुपए के नोटों का मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपए है। यह प्रचलन में मुद्रा का लगभग 10.8 फीसदी है। रिजर्व बैंक ने लोगों से 2000 रुपए के नोट को बैंकों में जमा कर लेने या रिप्लेस करा लेने को कहा है। इसके लिए बैंक ने लोगों को 30 सितंबर, 2023 तक का समय दिया है। हालांकि केन्द्रीय बैंक ने साफ किया है कि ट्रांजैक्शन के लिए इन नोटों का इस्तेमाल जारी रहेगा। अधिकांश 2000 मूल्य वर्ग के नोट मार्च 2017 से पहले जारी किए गए थे और 4-5 साल के अपने अनुमानित जीवनकाल के अंत में हैं। 

कुछ वर्ष पहले नोटबंदी के बाद 500 और 1000 के लगभग 15.41 लाख करोड़ वैल्यू के नोट बैंकों में वापस आ गए जो चलन में मौजूद नोटों का 99.50 फीसदी था। यह  कुल नकदी का 89 फीसदी था। इसलिए मार्कीट में कैश की मात्रा बनाए रखने के लिए बड़े वैल्यू के 2000 के नोट छापने का सरकार ने फैसला लिया। 2000 वाले लगभग 370 करोड़ नोटों को छापा गया जो लगभग 7.40 लाख करोड़ रुपए मूल्य के थे। 2000 के 89 फीसदी नोट मार्च 2017 से पहले जारी किए हुए थे। आर.बी.आई.के मुताबिक 31 मार्च, 2018 तक बाजार में 2000 वाले नोटों की वैल्यू लगभग 6.73 लाख करोड़ थी, जो कुल नोटों का 37.3 फीसदी था। इस साल 31 मार्च 2023 तक बाजार में कुल कैश में 2000 के नोटों की वैल्यू 3.68 लाख करोड़ है जो कुल नकदी का 10.8 फीसदी ही है। 

एक सर्वे के अनुसार 64 प्रतिशत लोगों ने रिजर्व बैंक के फैसले का स्वागत किया है जबकि 22 प्रतिशत ने इसका विरोध किया है। सर्वे में देश के 341 जिलों से 57,000 लोगों की राय ली गई है। इनमें 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं हैं। लोगों ने साथ ही कहा कि अधिकांश रिटेल व्यापारी/दुकानें, दवा विक्रेता, अस्पताल, सर्विस प्रोवाइडर और पैट्रोल पंप 2000 रुपए के नोट को लेने को तैयार नहीं हैं। हालांकि आर.बी.आई. का साफ कहना है कि 2000 रुपए का नोट लीगल टैंडर बना रहेगा और कोई इसे लेने से इंकार नहीं कर सकता है। सर्वे से पता लगा कि 2000 रुपए के नोट 64 प्रतिशत नागरिकों के पास नहीं हैं, 6 प्रतिशत लोगों के पास 2000 के करंसी नोटों में 100,000 रुपए या उससे अधिक हैं, 34 प्रतिशत नागरिकों ने सरकार की घोषणा के बाद 2000 रुपए के नोट का इस्तेमाल करने की कोशिश की है 

2000 रुपए के नोट रिपोर्ट छापने वाली ‘क्वॉन्टइको रिसर्च’ ने एक नोट में कहा है कि इस डैडलाइन के बाद इन नोटों का क्या होगा, इस पर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है। हालांकि, अगले चार महीनों में जिस तेजी से ये नोट बैंकों में जमा होंगे, वह एक बार फिर से 2016 में हुई नोटबंदी की यादों को ताजा कर सकते हैं। ये सकल घरेलू उत्पाद यानी जी.डी.पी. का 1.3 फीसदी और मार्च महीने के आखिर तक सर्कुलेशन यानी चलन में रही नकदी का 10.8 फीसदी है। रिसर्च कंपनी ने नोट में कहा है कि अगर ये सारी राशि तय समय में बैंकों तक वापस लौटती है तो इससे बैंकों के जमा आधार में बड़ी बढ़ौतरी होगी। क्वॉन्टइको की अर्थशास्त्रियों की टीम ने इस ओर भी इशारा किया कि चूंकि 2000 रुपए के नोट अमूमन लेन-देन में इस्तेमाल नहीं होते थे। हालांकि, लोगों ने एहतियातन या फिर टैक्स से बचने के लिए इसकी जमाखोरी की। 

दोनों ही मामलों में इसके चलन से बाहर होने की वजह से बैंकों की जमा राशि बढऩा, अस्थायी साबित होगा क्योंकि लोग आखिरकार छोटे नोटों का रुख करने लगेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि अघोषित आय की वजह से रीयल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीजों की मांग बढऩे लगेगी, जैसा 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भी देखा गया था। 

यह भी देखा गया है कि इस मूल्यवर्ग का आमतौर पर लेन-देन के लिए उपयोग नहीं किया जाता है। इसके अलावा, जनता की मुद्रा आवश्यकता को पूरा करने के लिए अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोटों का स्टॉक पर्याप्त बना हुआ है। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए और भारतीय रिजर्व बैंक की ‘स्वच्छ नोट नीति’ के अनुसरण में, यह निर्णय लिया गया है कि 2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को संचलन से वापस ले लिया जाए। यह आर.बी.आई. द्वारा जनता के सदस्यों को अच्छी गुणवत्ता वाले बैंक नोटों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपनाई गई नीति है। 

एक मत के अनुसार 2000 का नोट बंद करने से काले धन पर रोक लगाने में बड़ी मदद मिलेगी। ऐसा माना जा रहा था कि इन 2000 रुपए के नोटों को लोग जमा कर रहे थे। 2000 रुपए का नोट जब सर्कुलेशन से बाहर हो जाएगा, तो ब्लैक मनी के रूप में लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इससे काले धन पर काफी हद तक लगाम लगेगी। जो लोग पहले बड़ी पेमैंट 2000 के नोटों में करते थे, वे अब ऑनलाइन पेमैंट  का रास्ता अपना सकते हैं। 2000 के नोट सर्कुलेशन से बाहर होने पर ऑनलाइन पेमैंट में इजाफा देखने को मिलेगा। साल 2016 में नोटबंदी के बाद भी ऑनलाइन पेमैंट में भारी उछाल आया था। 

इस कदम से 2000 रुपए के नोटों में सर्कुलेट हो रही 3.6 लाख करोड़ रुपए की करंसी का बड़ा हिस्सा बाहर निकालने में मदद मिलेगी। क्या यह सच नहीं है कि 2000 का नोट अब लेन-देन में काफी कम यूज होता है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से ब्लैक मनी जमा करने में किया जाता है। 80-20 का नियम बताता है कि 2000 का नोट रखने वाले 80 फीसदी लोगों के पास इस कुल सर्कुलेशन का सिर्फ 20 फीसदी ही है। वहीं, 20 फीसदी लोग जो ब्लैक मनी जमा करते हैं, उनके पास 80 फीसदी रकम (3 लाख करोड़ रुपए) है। 

सिस्टम में 2000 के नोटों से जुड़े 3.62 लाख करोड़ रुपए की नकदी कम होने से डिजिटल भुगतान को और गति मिलेगी। याद रहे 2000 का नोट कभी भी गरीब का नोट नहीं था, इसका बंद होना नोट जमाखोरों के लिए और ब्लैक मनी के पूजकों के लिए मानसिक झटका ही है। इस नोट का मायाजाल समाप्त होने को है। कुल मिलाकर 2000 का नोट सर्कुलेशन से बंद करना क्लीन नोट पालिसी को गति देगा और देश के आॢथक हितों को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा।-डा. वरिन्द्र भाटिया

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