Edited By Pardeep,Updated: 04 Sep, 2018 04:15 AM
गत दिनों पंजाब के राजनीतिक मंच पर कुछ चिंताजनक घटनाएं हुई हैं, जिनके कारण राज्य की शांति तथा भाईचारे को बड़ा नुक्सान पहुंच सकता है। अकाली दल-भाजपा के शासन काल के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी की कई अफसोसनाक घटनाएं हुई हैं, जिनसे सिखों के...
गत दिनों पंजाब के राजनीतिक मंच पर कुछ चिंताजनक घटनाएं हुई हैं, जिनके कारण राज्य की शांति तथा भाईचारे को बड़ा नुक्सान पहुंच सकता है। अकाली दल-भाजपा के शासन काल के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी की कई अफसोसनाक घटनाएं हुई हैं, जिनसे सिखों के दिलों को बहुत ठेस पहुंची थी।
इन घटनाओं के विरोध में कई स्थानों पर सिख संगतों द्वारा धरने-प्रदर्शन किए गए। कई जगहों पर इन विरोध कार्रवाइयों के दौरान कुछ ङ्क्षहसक घटनाएं भी हुईं, जिन पर काबू पाने के लिए तत्कालीन सरकार को पुलिस कार्रवाई का सहारा लेना पड़ा। इस पुलिस कार्रवाई में दो सिख नौजवानों की गोलियां लगने से मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। स्वाभाविक है कि इस कार्रवाई का सिखों के कुछ वर्गों ने बहुत बुरा मनाया। पंजाब सरकार ने स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए उस समय सारे मामले की जांच सी.बी.आई. को सौंप दी।
गत विधानसभा चुनावों में पंजाब के मतदाताओं ने अकाली दल-भाजपा को हराकर कांग्रेस पार्टी को सत्ता सौंप दी। नई सरकार ने बरगाड़ी घटनाओं, जिनमें दो सिख नौजवानों की मौत हो गई थी, की जांच के लिए जस्टिस रणजीत सिंह (रिटायर्ड) की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन कर दिया। अब आयोग ने अपनी रिपोर्ट पंजाब सरकार को सौंप दी है और विधानसभा में बहस के बाद इस रिपोर्ट को सरकार की स्वीकृति भी मिल गई है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पिछली सरकार के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल तथा पुलिस के कुछ अधिकारियों को बेदअबी की घटनाओं के विरोध में किए जा रहे प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए जरूरत से अधिक पुलिस बल इस्तेमाल करने का दोषी करार दिया है। इस आयोग की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक करने तथा इस कांड से संंबंधित अन्य मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए कुछ गर्मख्याली सिख धड़ों द्वारा अनिश्चितकाल के लिए धरना शुरू किया गया, जो आज भी जारी है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी की घटनाएं अत्यंत निंदनीय हैं। गुरबाणी के प्रति समस्त मानवता के दिलों में अत्यंत सम्मान है। इसलिए ऐसे कार्य करने वाले दोषियों को कड़ी सजाएं मिलनी चाहिएं मगर हमें यह भी देखने की जरूरत है कि विभिन्न धरनों के खिलाफ होने वाली बेअदबी की घटनाएं कई बार एक ही समय तेजी से क्यों होती हैं? ऐसी घटनाओं के पीछे शरारती तथा लोभी तत्वों का हाथ भी हो सकता है। इसके साथ ही सरकारी एजैंसियां भी अपने एजैंटों द्वारा ऐसी कार्रवाइयां करवाती हैं ताकि लोगों का ध्यान उनके जीवन से संबंधित असल मुद्दों से हटाया जा सके।
यह सच्चाई भी सफेद दिन की तरह स्पष्ट है कि अकाली दल तथा भाजपा ने अपने कार्यकाल के दौरान एक ओर धर्मों का इस्तेमाल करके अपने स्वार्थी राजनीतिक हितों को बढ़ावा दिया तथा दूसरी ओर जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती लगने लगी तो उन्होंने गर्मख्याली साम्प्रदायिक तत्वों के खिलाफ सरकारी तंत्र का इस्तेमाल भी किया। धर्म तथा राजनीति को मिलाकर अकाली दल तथा भाजपा ने जहां लोगों के खून-पसीने की कमाई को बेदर्दी से लूट कर अपने खजाने भरे, वहीं विभिन्न धार्मिक संस्थाओं तथा परम्पराओं का भी बहुत अपमान किया है। दोनों राजनीतिक दलों ने सिख धर्म का जितना नुक्सान किया है, शायद किसी अन्य ने नहीं किया होगा।
अब वही रास्ता कांग्रेस सरकार ने पकड़ लिया है। धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को टक्कर देने के लिए चुनावों के समय किए गए वायदे पूरे करने तथा धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक रास्ते पर चलने की बजाय गर्मख्याली सिख नेताओं तथा संगठनों के साथ सांझेदारी डालकर खुद को बड़ा ‘सिख हिमायती’ पक्ष साबित करने का खतरनाक रास्ता चुना है। बरगाड़ी कांड के दोषियों को सजाएं देने के बड़े-बड़े दावे करने वाली कांग्रेस पार्टी दिल्ली की सड़कों पर हुए सिखों के कत्लेआम में अपनी भागीदारी से कैसे इंकार कर सकती है? चुनावों के समय लोगों के साथ बेरोजगारों को नौकरियां देने, मजदूरों-किसानों के ऋण माफ करने, नशे से मुक्ति दिलाने, जरूरी शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने, बेघरों को मुफ्त रिहायशी प्लाट तथा मकान बनाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के सारे वायदे रद्दी की टोकरी में फैंक कर अब सिखों के धार्मिक मामले में दखल देना कांग्रेस पार्टी के दोगले चरित्र को जगजाहिर करता है।
पंजाब के लोग अकाली दल-भाजपा गठबंधन को दोबारा केन्द्र अथवा राज्य की सत्ता पर नहीं देखना चाहते। मगर इसके साथ ही वे अकाली दल-भाजपा, कांग्रेस पार्टी की सरकारों द्वारा अमल में लाए जा रहे जनविरोधी ‘विकास माडल’ को भी चलता करना चाहते हैं। इसलिए लोगों के मनों में मौजूदा सरकार की लोक विरोधी नीतियों से उपज रही बेचैनी बारे कांग्रेस शासक किसी भ्रम में न रहें। यदि वे भाजपा गठबंधन को लोकसभा चुनावों में हराने के लिए कोई सार्थक भूमिका निभाना चाहते हैं तो उन्हें किसी भी धर्म के आंतरिक मामलों में दखल देकर (धर्मनिरपेक्ष पैंतरा त्याग कर) अलग-अलग धर्मों का अपने राजनीतिक हितों के लिए दुरुपयोग करने से पूरी तरह बचना होगा। कांग्रेस पार्टी द्वारा धर्म के राजनीतिक हितों के लिए दुरुपयोग वास्तव में साम्प्रदायिक तथा फासीवादी दलों की ही मदद करेगा।
वामपंथी तथा साम्यवादी पक्षों को अकाली दल-भाजपा गठजोड़ तथा कांग्रेस की सरकारों की जनविरोधी आर्थिक नीतियों का डटकर विरोध करने के साथ-साथ सामान्य लोगों को साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के खतरनाक इरादों तथा कांग्रेस पार्टी की मौकापरस्ती बारे भी जागरूक करना होगा ताकि मेहनतकश लोग अपने वास्तविक मित्रों, वामपंथियों के साथ अधिक संख्या में जुड़ें।-मंगत राम पासला