अफगानिस्तान का पतन चीन की ‘बैल्ट एंड रोड पहल’ के लिए मुसीबत का सबब

Edited By ,Updated: 27 Aug, 2021 05:24 AM

afghanistan s fall spells trouble for china s  belt and road initiative

अफगानिस्तान पर तालिबान के अप्रत्याशित अधिग्रहण ने देश के लिए उथल-पुथल भरी दूसरी पारी की शुरुआत की है क्योंकि दुनिया इस घटनाक्रम को करीब से देख रही है। कई देशों ने अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण निवेश किया है और देश में एक बड़ा हितधारक होने के नाते चीन अब

अफगानिस्तान पर तालिबान के अप्रत्याशित अधिग्रहण ने देश के लिए उथल-पुथल भरी दूसरी पारी की शुरुआत की है क्योंकि दुनिया इस घटनाक्रम को करीब से देख रही है। कई देशों ने अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण निवेश किया है और देश में एक बड़ा हितधारक होने के नाते चीन अब सक्रिय रूप से अपनी प्रतिक्रिया का मूल्यांकन कर रहा है क्योंकि वह अपने बहु-अरब डॉलर के निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की रक्षा करना चाहता है, जिसमें बैल्ट एंड रोड पहल भी शामिल है। 

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के अधिग्रहण की वैश्विक निंदा के बावजूद, चीन नए शासन के लिए अपना समर्थन और स्वीकृति देने वाले पहले राष्ट्रों में से एक था, जिसका तालिबान ने विनम्रतापूर्वक स्वागत किया है। अफगानिस्तान में अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार का पतन, जिसे 2001 से अफगानिस्तान की धरती पर अमरीकी सैन्य समर्थन प्राप्त था, ने खुद को चीन के लिए अमरीका की जगह लेने के अवसर के रूप में प्रकट किया है। चीन यह महसूस करने में विफल रहा है कि अमरीकी उपस्थिति ने एक निवारक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने चीन सहित अफगानिस्तान में विश्व स्तर पर किए गए विभिन्न निवेशों की रक्षा की। 

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अमरीकी सैनिकों को बाहर निकालने के फैसले ने पेइचिंग के लिए भी गड़बड़ी पैदा कर दी है क्योंकि चीन ने वर्षों के दौरान बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है और बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बी.आर.आई.), एशिया में शी जिनपिंग की स्टार परियोजना, जो प्रसिद्ध सिल्क रोड को पुनर्जीवित करना चाहती है, के हिस्से के रूप में इस्लामाबाद को भारी ऋण दिया है। बी.आर.आई. जिनपिंग की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है, जिसमें अफगानिस्तान सहित दक्षिण एशियाई देशों के सक्रिय समर्थन की आवश्यकता है। इसलिए एशिया, अफ्रीका, लातीनी अमरीका और यूरोप में बी.आर.आई. के हिस्से के रूप में चीन का 282 अरब डॉलर का निवेश अब एक मुश्किल स्थिति में है क्योंकि तालिबान ने एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है जो बी.आर.आई. परियोजना के लिए एक बड़ा खतरा है। 

पाकिस्तान एशिया में चीनी निवेश का एक बड़ा लाभार्थी रहा है लेकिन उत्तरी पाकिस्तान में एक चीनी शटल बस में बम विस्फोट की घटना के बाद से पेइङ्क्षचग ने ङ्क्षचता व्यक्त करनी शुरू कर दी है। इस विस्फोट में 9 चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी, जो चार अरब डॉलर निवेश वाले दसू जलविद्युत बांध पर काम कर रहे थे। विस्फोट के एक महीने बाद, पाकिस्तान ने हमले के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि इस घटना के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल किया गया था। इस तरह की घटनाएं इस बात का उदाहरण हैं कि अत्यंत शक्तिशाली अनियंत्रित आतंकी समूह विवादित क्षेत्रों में क्या कर सकते हैं। चीन के लिए परेशान करने वाला पहलू यह है कि जिस तरह से सी.सी.पी. और जिनपिंग दक्षिण एशिया में महत्वपूर्ण निवेश निर्णय लेते हैं, वे ज्यादातर अग्रगामी हैं। 

नतीजतन, चीन ने अपने बी.आर.आई. के सपने को सुरक्षित करने के लिए अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों को बड़े कर्ज दिए हैं। हालांकि इस तरह की दूरंदेशी रणनीति अक्सर उसको तब उलटी पड़ती है, जब अस्थिर क्षेत्रों में रातों-रात शासन बदल सकते हैं और इसलिए चीन को स्वेच्छा से या अनिच्छा से तालिबान को अपना समर्थन देना ही होगा, एक ऐसा समूह जो अपने स्वभाव से अत्यधिक अनिश्चित है और वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों द्वारा अफगानिस्तान में किए गए सभी निवेशों के लिए खतरा पैदा करता है। इन विवादित राष्ट्रों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सी.सी.पी.) की धन की अनियोजित बौछार से संभवत: बी.आर.आई. को झटका लग सकता है, जो आगे उसकी अर्थव्यवस्था और लोगों को और अधिक प्रभावित करता है क्योंकि राष्ट्र कोविड-19 महामारी के विनाशकारी प्रभाव से उबर रहा है। 

हालांकि सी.सी.पी. ने तालिबान के साथ हाथ मिलाने के लिए उनके शासन को स्वीकार कर लिया है, तालिबान सरकार 2.0 एक अनसुलझा क्षेत्र है। चीन ने अफगानिस्तान में 20 साल पुरानी अमरीकी उपस्थिति के महत्व को स्पष्ट रूप से कम करके आंका है। एक महाशक्ति का बाहर निकलना जरूरी नहीं कि दूसरे के लिए एक अवसर हो। अगर चीन को जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बैल्ट एंड रोड पहल को साकार करना है तो उसे अब तालिबान को दिए अपने समर्थन का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

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