आखिरकार डी.आर.डी.ओ. को नया प्रमुख मिला

Edited By Pardeep,Updated: 03 Sep, 2018 04:30 AM

after all drdo got new major

सरकार ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डी.डी.आर.डी.) और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) के सचिव के रूप में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी की नियुक्ति करके 3 महीने के लंबे रहस्य को समाप्त कर दिया। रेड्डी सेल्विन...

सरकार ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डी.डी.आर.डी.) और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) के सचिव के रूप में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी की नियुक्ति करके 3 महीने के लंबे रहस्य को समाप्त कर दिया। रेड्डी सेल्विन क्रिस्टोफर की जगह लेंगे जो मई के आखिरी सप्ताह में सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी नियुक्ति 2 साल की अवधि के लिए है। 

हालांकि पश्चिम बंगाल कैडर के 1982 बैच के आई.ए.एस. रक्षा सचिव संजय मित्रा ने पद के अतिरिक्त प्रभारी के तौर पर कार्यभार संभाला था लेकिन क्रिस्टोफर के उत्तराधिकारी का नाम तय होने में हुई देरी ने कई दावेदारों को अपने लिए जोरदार लॉबिंग करने का अवसर भी दे दिया। रिपोर्ट के अनुसार, जब सेल्विन क्रिस्टोफर का कार्य समाप्त होने वाला था, तब सरकार एक नए प्रमुख की नियुक्ति करने के बहुत करीब थी लेकिन आखिरी पल में, संभावित दावेदार को लेकर आई ‘नकारात्मक खुफिया रिपोर्ट’ ने उस नियुक्ति का रास्ता रोक दिया और पूरा प्रोसैस ही थम गया। उसके बाद इस पद को लेकर अन्य कई प्रकार का विषवमन किया गया और कई तरह के आरोप लगे तथा यह पूरी प्रक्रिया ही लटकती गई! 

थोड़ी देर के लिए यह अफवाह थी कि डी.आर.डी.ओ. में इलैक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणालियों के वर्टिकल में डायरैक्टर जनरल डा. जिलेलमुडी मंजुला डी.आर.डी.ओ. प्रमुख के पद के लिए सबसे आगे चल रहे थे। माना जाता था कि उन्हें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का समर्थन मिला था, हालांकि डी.आर.डी.ओ. में कई अन्य वैज्ञानिकों के सामने उन्हें जूनियर माना जाता था। रेड्डी एक प्रसिद्ध मिसाइल वैज्ञानिक हैं। उनकी नियुक्ति मिसाइल वैज्ञानिक समुदाय की परम्परा जारी रखती है जो डी.आर.डी.ओ. में शीर्ष पदों पर कब्जा करती रही है। 

आई.ए.एस. खो रहे हैं अपना आधार : अपने आप को अलग दुनिया का मानने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के ये खास अधिकारी अब धीरे-धीरे अपना आधार खो रहे हैं। मोदी सरकार में एक स्पष्ट प्रवृत्ति है, जिसके तहत अन्य अखिल भारतीय कैडर सेवाओं को प्रमुख पदों पर प्रवेश दिया जा रहा है, जिन पर अभी तक आई.ए.एस. अधिकारियों का ही एकाधिकार था। पिछले कुछ वर्षों में, संयुक्त सचिव या समकक्ष पदों पर भारतीय वन सेवा (आई.एफ.एस.), भारतीय राजस्व सेवा (आई.आर.एस.) के अधिकारियों को मौका दिया गया है, और अब तेजी से भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस.) के अधिकारियों को भी इन पदों पर मौके मिल रहे हैं। 

वास्तव में, यदि नए सूचीबद्ध आई.पी.एस. अधिकारियों को विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों में तैनात किया जाता है, तो कई सरकारी विभागों का नेतृत्व पुलिस अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। पिछले कुछ दिनों में, 31 आई.पी.एस. अधिकारी, मुख्य रूप से 1995 और 1996 के बैचों से, संयुक्त सचिव या जे.एस. समकक्ष के रूप में सूचीबद्ध हुए हैं। इससे पहले, मोदी सरकार ने भारत सरकार में संयुक्त सचिव या संयुक्त सचिव रैंक पदों को रखने के लिए भारतीय वन सेवा कैडर के 7 अधिकारियों के पैनल की घोषणा की। 7 अधिकारियों में से तीन-तीन 1992 बैच के हैं जबकि चार 1996 बैच के हैं। 

योगी के फरमान बाबुओं को कर रहे हैं परेशान : उत्तर प्रदेश में लगभग 16 लाख सरकारी कर्मचारी योगी आदित्यनाथ विवाद के एक नए फरमान को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जिसके तहत 50 वर्ष से अधिक के सभी कर्मचारियों की स्क्रीनिंग की जा रही है और कुछ कामधाम न करने वाले अधिकारियों को जब्री सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहा जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 जुलाई तक स्क्रीङ्क्षनग टैस्ट प्रक्रिया पूरी करने के लिए मुख्य सचिव डा. अनूप चंद्र पांडे और संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए हैं और टैस्ट पास न करने वाले लोगों के नाम की सूची अगस्त के पहले सप्ताह तक जमा करवाने के लिए कहा था। जो लोग स्क्रीङ्क्षनग टैस्ट को पास करने में विफल रहते हैं उन्हें प्रारंभिक सेवानिवृत्ति या वी.आर.एस. लेने के लिए कहा जाएगा। स्क्रीङ्क्षनग परीक्षा उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है जिन्होंने 50 साल की उम्र पार कर ली है।-दिलीप चेरियन

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