कृत्रिम टांग लगने के बाद गधी भी बेहतर जीवन जी सकेगी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 03:29 AM

after the artificial limbs the donkey will be able to lead a better life

पहली नजर में आपको उसमें कुछ भी असाधारण दिखाई नहीं देगा। पुणे में पशु बचाव केन्द्र के शैड में रखे एक नीले टब में से दाना खाते हुए ‘फ्लो’ किसी भी अन्य गधी से अलग तरह की दिखाई नहीं देती लेकिन जब वह कुछ लंगड़ाती हुई आगे-पीछे हटती है तो आपको पता चलता है...

पहली नजर में आपको उसमें कुछ भी असाधारण दिखाई नहीं देगा। पुणे में पशु बचाव केन्द्र के शैड में रखे एक नीले टब में से दाना खाते हुए ‘फ्लो’ किसी भी अन्य गधी से अलग तरह की दिखाई नहीं देती लेकिन जब वह कुछ लंगड़ाती हुई आगे-पीछे हटती है तो आपको पता चलता है कि उसकी आगे वाली एक टांग नकली है।

‘फ्लो’ की अगली दाहिनी टांग टूट गई थी और इसी अवस्था में उसे बचाव कार्यकत्र्ताओं द्वारा उठा कर लाया गया था। अभी-अभी उसे कृत्रिम टांग लगाई गई है और उसने किसी बच्चे की तरह चलना शुरू कर दिया है। वह बड़े आकार के जानवरों में से एक दुर्लभ नस्ल की गधी है जिसे सौभाग्य से कृत्रिम अंग हासिल हुआ है। ‘फ्लो’ को पुणे के बावधन में स्थित एन.जी.ओ. ‘रैस्क्यू’ द्वारा चालित केन्द्र में दो माह पूर्व धूले शहर से लाया गया था, जहां वह बहुत पीड़ा की अवस्था में पाई गई थी। इस एन.जी.ओ. की संस्थापक अध्यक्ष नेहा पंचमिया ने कहा: ‘‘उसकी एक टांग लटकी हुई थी। हम उसे एम्बुलैंस में डाल कर अपने केन्द्र में लाए थे।’’ 

प्रारम्भिक इलाज के बाद उसकी टूटी हुई टांग को एक पाइप और लकड़ी के टुकड़े से बनी हुई बैसाखी से सहारा दिया गया लेकिन उसके लिए चलना बहुत मुश्किल था। चलते हुए उसकी टूटी हुई टांग भी मनहूस ढंग से लटकती दिखाई देती थी। इसका इलाज करने वाले डा. रोहित जोसेफ ने बताया कि उसकी जो टांग सही थी उसका कूल्हा भी टूटा हुआ था। फिर भी उसे चलते समय अपना सारा वजन बाईं ओर डालना पड़ता था। इससे उसकी शक्ल-सूरत बहुत बिगड़ जाती थी। इससे उसकी रीढ़ की हड्डी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता था।

उन्हीं दिनों पुणे के संचेती अस्पताल में हड्डियों और कृत्रिम अंगों के विभागाध्यक्ष सलिल जैन ने ‘फ्लो’ के लिए विशेष रूप से एक अंग तैयार किया था। डा. सलिल का कहना है कि किसी जानवर के लिए अंग तैयार करना मनुष्य की तुलना में कहीं अधिक कठिनाई भरा होता है क्योंकि जानवर आपके साथ बातचीत नहीं कर सकता। आपको केवल अवलोकन से ही यह पता लगाना होता है कि कृत्रिम अंग से उसे आराम महसूस हो रहा है कि नहीं। इससे पहले भी डा. सलिल दो गायों के लिए कृत्रिम अंग डिजाइन कर चुके हैं। 

‘फ्लो’ की काटी जा चुकी टांग का जख्म जिस ढंग से भर रहा था उसकी वीडियोग्राफी का अध्ययन करके डा. जैन ने अपने द्वारा बनाई गई कृत्रिम टांग के डिजाइन को पूर्णता प्रदान की। उल्लेखनीय है कि इस विशेष इलाज के लिए डा. जैन ने कोई भी फीस नहीं ली। नेहा पंचमिया ने बताया कि फिलहाल ‘फ्लो’ इस इंतजार में है कि कोई पशु प्रेमी उसे अपना ले। उन्होंने कहा कि जल्दी ही वे उसकी फिजियोथैरेपी शुरू करेंगे और किसी फिजियोथैरेपिस्ट की सेवाएं लेने का प्रयास कर रहे हैं। 3डी प्रिंटिंग सलाहकार दैविक महामुनि ने ‘फ्लो’ के लिए नई टांग की व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और उनका कहना है कि कुछ ही दिनों में वह अपनी नई टांग से काफी आसानी से चलना शुरू कर देगी, जिससे ‘फ्लो’ की जिंदगी में बेहतरी आएगी।-एलैक्स फर्नांडीज                

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