छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी बन सकते हैं भाजपा के लिए ‘तारणहार’

Edited By Pardeep,Updated: 01 Nov, 2018 04:55 AM

ajit jogi can be made in chhattisgarh for  bjp

छत्तीसगढ़ एयरपोर्ट के बाहर जो टैक्सी ली, वह मोहम्मद नाम के युवक की थी, जो 8 सालों से टैक्सी चला रहा है। रायपुर में मुख्यमंत्री रमन सिंह के विकास के कामों से कमोबेश खुश है मोहम्मद। कहने लगा कि शहर में सफाई रहती है, सड़कें भी अच्छी हो गई हैं, बारिश...

छत्तीसगढ़ एयरपोर्ट के बाहर जो टैक्सी ली, वह मोहम्मद नाम के युवक की थी, जो 8 सालों से टैक्सी चला रहा है। रायपुर में मुख्यमंत्री रमन सिंह के विकास के कामों से कमोबेश खुश है मोहम्मद। कहने लगा कि शहर में सफाई रहती है, सड़कें भी अच्छी हो गई हैं, बारिश में यहां-वहां अब उतना पानी नहीं भरता, नाले उतने नहीं छलकते लेकिन जब मोहम्मद से किसकी बनेगी सरकार का सवाल पूछा गया तो कहने लगा कि सब कुछ ठीक ही है लेकिन बहुत हो गए 15 साल, अब की बार बदलाव चाहिए। ऐसा विरोधाभासी स्वर छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में सुनने को मिलता है। 

एक अन्य ऐसा वर्ग है जो भाजपा सरकार से खुश है लेकिन रमन सिंह सरकार के मंत्रियों की खुशहाली से खफा है। उसका कहना है कि विकास राज्य का तो हुआ है लेकिन उससे ज्यादा विकास भाजपा के नेताओं का हुआ है। कांग्रेस भी कांटे के मुकाबले में इन दो मुद्दों पर ही ज्यादा जोर दे रही  है। बदलाव चाहिए के बहाने एक मौका हमें भी दो और हम सत्तापक्ष के नेताओं के विकास की जगह आम जनता का विकास करेंगे। उधर रमन सिंह सरकार को अपने विकास कार्यों पर और मोदी सरकार की उज्जवला, पी.एम. आवास योजना और आयुष्मान योजना पर भरोसा है। 

डा. रमन सिंह के साथ दक्षिण के 4 जिलों बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और नारायणपुर जाने का मौका मिला।  रास्ते में हैलीकाप्टर में उनसे बात हुई तो कहने लगे कि बदलाव की बात करने वाले मतदान के दिन बदल जाएंगे और विकास कार्यों को याद करके भाजपा के पक्ष में ही वोट करेंगे।  रमन सिंह की 4 चुनावी सभाओं में गए तो वहां हर सभा में वह अपनी चाउर वाले बाबा की छवि याद दिलाते नजर आए। वह आदिवासी इलाकों में आदिवासियों और किसानों को याद दिलाना नहीं भूलते कि एक रुपए प्रति किलो चावल देने की योजना उनके ही समय में शुरू हुई थी। रमन सिंह ऐसा कहकर जनता से हाथ उठाने को कहते हैं और जनता हाथ उठाकर उनकी बात का समर्थन करती भी दिखती है। हवा में तने हाथ देखकर रमन सिंह मुस्कराते हैं। 

रमन सिंह याद दिलाना नहीं भूलते कि पहली बार भाजपा सरकार ही उन्हें पी.एम. आवास योजना के तहत डेढ़ लाख रुपए में घर दे रही है। भाजपा सरकार ने ही करीब 36 लाख परिवारों को उज्जवला योजना के तहत गैस चूल्हा दिया है। भाजपा सरकार ने ही 5 लाख तक के मुफ्त इलाज की पहल आयुष्मान योजना के तहत की है। तालियां बजती हैं और डा. रमन सिंह प्रसन्न मुद्रा में हाथ उठाकर विदा लेते हैं। हैलीकाप्टर ऊपर उठता है, धूल उड़ती है, हाथ हिला रही भीड़ धूल के कारण मुंह फेर कर खड़ी हो जाती है। हैलीकाप्टर में बैठे मुख्यमंत्री अगली सभा के लिए अपने भाषण को अंतिम रूप देने में लग जाते हैं। दरअसल रमन सिंह को अगर चौथी बार छत्तीसगढ़ जीतना है तो हर हाल में बस्तर पर कब्जा करना है। पहले दौर की जिन 18 सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें से 12 सीटें अकेले बस्तर से आती हैं। पिछली बार कांग्रेस ने 8 और भाजपा ने सिर्फ 4 जीती थीं।  इस बार रमन सिंह पूरा जोर लगा रहे हैं। एक-दो जगह अजीत जोगी-मायावती -सी.पी.आई. मोर्चे के गठबंधन पर उन्हें भरोसा है जो कांग्रेस की एक-दो सीटें हथिया सकता है। इसका लाभ भाजपा को ही मिलना है। 

छत्तीसगढ़ में करीब 32 फीसदी आदिवासी आबादी है। 6 लाख से ज्यादा लोग तेंदुपत्ता तोडऩे का कामकरते हैं। रमन सिंह ने अर्जुन सिंह की 80 के दशक की पहल को आगे बढ़ाते हुए तेंदुपत्ता वालों को बोनस देना शुरू किया है। एक बोरा के 1800 की जगह 2400 रुपए दे रहे हैं। बोनस सीधे बैंकों में न देकर नकद भी दिया जा रहा है। रमन सिंह दावा करते हैं कि कुल मिलाकर 600 करोड़ से ज्यादा का बोनस इस तरह आदिवासियों और किसानों को दिया जा रहा है। धान पर भी 300 रुपए प्रति किं्वटल बोनस देने की शुरूआत हुई है। गौरतलब है कि 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद बोनस देने का प्रावधान खत्म कर दिया गया था लेकिन चुनावी साल में इसे फिर शुरू कर दिया गया है। एक नवम्बर से धान की सरकारी खरीद शुरू होनी है। रमन सिंह कहने लगे कि उसी दिन किसानों को शाम तक धान के पैसे मिलने का भी इंतजाम किया जा रहा है और ऐसा भारत में पहली बार हो रहा है। 

इसी तरह पहले दौर में ही राजनांदगांव में भी चुनाव है जहां से रमन सिंह खुद भी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां की 6 सीटों में कांग्रेस को पिछली बार 4 मिली थीं और भाजपा के हिस्से सिर्फ एक आई थी। इस तरह हम कह सकते हैं कि पहले दौर की 18 सीटों में से भाजपा को पिछली बार सिर्फ 6 मिली थीं। इस बार कहानी पलटे बिना भाजपा का काम बनने वाला नहीं है। राजनांदगांव में कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को उतार कर रमन सिंह की घेरेबंदी की कोशिश की है। रमन सिंह चाहकर भी करुणा शुक्ला के खिलाफ कुछ बोल नहीं पा रहे। वह उन्हें बहन बताते हैं तो करुणा शुक्ला पूछतीहैं कि यह रिश्ता चुनाव के समय ही क्यों याद आ रहा है? 

वैसे दिलचस्प तथ्य है कि राजनांदगांव ङ्क्षहदी के विद्रोही कवि गजानन माधव मुक्तिबोध का कर्मक्षेत्र भी रहा है। यहां एक कालेज के परिसर में उनके संग्रहालय में जाने का मौका मिला। कमरे का वह कोना देखा जहां बैठकर मुक्तिबोध कविताएं रचते थे। कमरे में एक कोने में गोलाकार चक्करदार सीढ़ी भी है जिसका जिक्र मुक्तिबोध ने किया है। मुक्तिबोध का तकियाकलाम था-तुम्हारी पॉलीटिक्स क्या है कामरेड। वहां उनकी मूर्ति के आगे खड़े होकर सोचा कि आज अगर वह होते तो वर्तमान पॉलीटिक्स को देखकर क्या कहते। आज तो पॉलीटिक्स ही पॉलीटिक्स है, पॉलीटिक्स में पॉलीटिक्स है। खैर, राजनांदगांव में रमन सिंह के खिलाफ बोलने वाले विरले ही मिलते हैं लेकिन उनके मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ लोग खुलकर बोलते हैं। उनका मानना है कि पैदल चलने वाले नेता आज इनोवा गाडिय़ों में घूमते हैं जबकि आम जनता सरकारी बस के लिए भी तरस जाती है। 

छत्तीसगढ़ में इस बार एक करोड़ 85 लाख वोटर हिस्सा लेंगे। इसमें से करीब 24 लाख पहली बार वोट देंगे, ऐसे वोटर जो 18 साल के हुए हैं। ऐसे वोटरों ने कांग्रेस का शासन देखा ही नहीं है। कुछ वोटरों से बात हुई तो कहने लगे कि एक मौका कांग्रेस को देना बनता है। हालांकि विकास के कामों से खुश दिखाई देते हैं युवा। रोजगार की ङ्क्षचता जरूर उन्हें चिंतित करती है। रमन सिंह सरकार ने 50 लाख महिलाओं को स्मार्ट फोन बांटे हैं जिनमें 5 लाख छात्राएं भी शामिल हैं। महिलाओं का कहना है स्मार्ट फोन तो ठीक है लेकिन गैस चूल्हे के 1100 रुपए देने पड़ रहे हैं जो उनके बस की बात नहीं। कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह आंकड़े दिखाते हैं कि केवल 14 फीसदी लोग ही सिलैंडर की रिफिलिंग करवा रहे हैं जिन्हें उज्जवला योजना के तहत गैस कनैक्शन मिला है। कालेज की छात्राएं कहने लगीं कि स्मार्टफोन मिला तो है लेकिन 6 महीने बाद रिचार्ज तो जेब से करना पड़ रहा है। वैसे वे खुश हैं लेकिन साथ कहती हैं स्कॉलरशिप भी मिल जाती तो ज्यादा ठीक रहता ।

अंत में सब कुछ अजीत जोगी पर आकर टिक गया है। पिछले चुनावों में भाजपा को कांग्रेस से 0.72 फीसदी वोट ही ज्यादा मिले थे, संख्या में देखा जाए तो सिर्फ  97000। इस बार भी भाजपा को उम्मीद है कि अजीत जोगी और मायावती कांग्रेस को हरवा देंगे। हालांकि रमन सिंह से पूछा गया तो कहने लगे कि चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि अजीत जोगी किसको नुक्सान पहुंचाएंगे, कांग्रेस को या भाजपा को। कांग्रेस का कहना है कि अजीत जोगी के कारण सवर्ण लोग और सरकारी कर्मचारी कांग्रेस को वोट नहीं देते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। उधर भाजपा को लगता है अजीत जोगी भले ही कमजोर हुए हों लेकिन मायावती अपना वोट उनको ट्रांसफर करने में कामयाब होंगी और दो-चार हजार वोट से चार-पांच सीटों में कांग्रेस को हरवा देगी। बस इतना भर ही भाजपा चाहती भी है।-विजय विद्रोही   

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