‘शराब के नशे’ पर भी काबू पाया जाए

Edited By ,Updated: 20 Jul, 2019 12:52 AM

alcohol addiction  can also be overcome

शराब एक अभिशाप है। यह विलासिता के रूप में व्यक्ति के शरीर में दाखिल होती है और धीरे-धीरे उसकी अकल मारने के साथ-साथ उसका नुक्सान करती हुई उसे तबाह कर देती है। मैंने ऐसे कई व्यक्ति देखे हैं जिनको शराब के नशे ने अस्थिर ही नहीं किया बल्कि उनको असभ्य भी...

शराब एक अभिशाप है। यह विलासिता के रूप में व्यक्ति के शरीर में दाखिल होती है और धीरे-धीरे उसकी अकल मारने के साथ-साथ उसका नुक्सान करती हुई उसे तबाह कर देती है। मैंने ऐसे कई व्यक्ति देखे हैं जिनको शराब के नशे ने अस्थिर ही नहीं किया बल्कि उनको असभ्य भी बना दिया। शराब के इस्तेमाल से वार्षिक 20 लाख के करीब मौतें होती हैं। इससे भी बढ़कर यह घर बर्बाद कर देती है। 

नशेड़ी पारिवारिक सदस्योंं के साथ मारपीट करते हैं। इस नशे के कारण सड़कों पर मोटर गाडिय़ों के हादसे होते हैं। शराब कई तरह के अपराधों को जन्म देती है। यहां तक कि शराब के नशे में धुत्त हुआ व्यक्ति कई बार अपनी ही बेटी के साथ दुष्कर्म कर बैठता है। वास्तविक तौर पर यदि विचार किया जाए तो पता चलेगा कि शराब पीना एक अनुचित आदत है। वास्तव में यह ऐसा तरल है जो शरीर तथा दिमाग को गला कर रख देता है। इसके बावजूद मौजूदा सभ्य समाज इसे अमृत समझकर पी रहा है। शराब अच्छे जीवन को तोड़ती है। फिर भी लोग इसे लुत्फ उठाने के लिए पीते हैं। 

शरीरों को गाल रहा है 
चाहे पंजाब हो या पश्चिम बंगाल अथवा हरियाणा, हर जगह नशा लोगों की जान ले रहा है। घरों में मातम हो रहा है, विरोधी दल नशे के विरुद्ध शोर मचा रहे हैं। दोष लगाया जा रहा है कि सरकार नशे पर काबू पाने में असफल रही है। हर रोज कहीं न कहीं नशा तस्करी की खेप पकड़ी जा रही है। यह सारा शोर ‘चिट्टे’ के नशे को लेकर डाला जा रहा है। शराब भी तो नशा ही है। यह भी तो व्यक्ति के शरीर को गाल रहा है। मगर इस पर काबू पाने की बजाय सरकारें इसे प्रोत्साहित कर रही हैं।

शराब पर सरकार द्वारा आबकारी कर लगाया जाता है। इस तरह जो आय होती है सरकार शराब पर पाबंदी लगाकर उसे खत्म नहीं करना चाहती बल्कि उसमें वृद्धि करने के लिए शराब के नए ठेके खोले जा रहे हैं। हाइवे पर भी ऐसे ठेके खोलने के लिए लाइसैंस दिए गए हैं। पश्चिम बंगाल में तो आबकारी से आमदन बढ़ाने के लिए बार वालों को ‘ऑफ शॉप’ लाइसैंस दिए गए हैं और दिए जा रहे हैं। सरकार सैनिकों को सबसिडी पर शराब बेचती है। दरअसल सैनिकों को सबसिडी के साथ शराब की आपूर्ति भ्रष्टाचार पैदा कर रही है। सैनिक कैंटीनों पर मिलने वाली सस्ती शराब बाहर महंगी बिकती है। मुझे गुजरात के जामनगर जाने का मौका मिला। लोगों से बात करने पर पता चला कि यदि किसी ने घर किराए पर लेना हो तो उसे घूम-घूम कर अपनी जूतियां घिसानी पड़ती हैं मगर यदि मकान मालिक को शराब की बोतल की झलक दिखा दी जाए तो किराए पर मकान आसानी से मिल जाता है।

समाप्त करने की बजाय प्रोत्साहन 
हमारी सरकार शराब के अभिशाप को समाप्त करने की बजाय इसे प्रोत्साहित कर रही है। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई अथवा किसी भी अन्य जगह पर हवाई अड्डे पर जाने का मौका मिले तो देखा जा सकता है कि किस तरह शराब की बोतलें दुकानों में सजाकर रखी होती हैं। सड़कों के नजदीक शराब के इश्तिहार लगाए जाते हैं, जिन्हें देख-देख कर लोग शराब पीते समय ‘चीयर्स’ कहते हुए एक-दूसरे के साथ गिलास टकराते हैं। शरीर को नुक्सान पहुंचाने वाली शराब के विरुद्ध उस तरह की कार्रवाई होनी चाहिए जिस तरह की ‘चिट्टे’ तथा अन्य नशों के विरुद्ध की जा रही है। 

इसके साथ ही शराब के विरुद्ध समाज विशेषकर औरतों की ओर से जनांदोलन शुरू किया जाना चाहिए। बिहार में इस तरह का आंदोलन हुआ है जहां महिलाओं ने राज्य विधानसभा के गत चुनावों से पूर्व राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अल्टीमेटम दिया था कि वे वोटें तभी डालेंगी यदि मुख्यमंत्री वचन दें कि सरकार राज्य में शराब की बिक्री पर पाबंदी लगा देगी। नीतीश कुमार महिलाओं को वचन देने हेतु मजबूर हो गए और चुनावों में विजय प्राप्त होने के बाद जब उनकी नई सरकार बनी तो उन्होंने राज्य में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी। 

पंजाब में आंदोलन क्यों नहीं 
इस तरह का आंदोलन क्या पंजाब में नहीं चलाया जा सकता? पंजाब गुरुओं, पीरों-पैगम्बरों की धरती है। इसका चप्पा-चप्पा गुरुओं की चरण छोह से पवित्र है। पंजाब की धरती देश की अन्नदाता है। इसके जवानों ने हमलावरों को रोका है और आज भी छाती तान कर देश की रक्षा के लिए तत्पर हैं। राज्य की सरकार बार-बार सौगंध खाने के बावजूद ‘चिट्टे’ को समाप्त नहीं कर सकी और नौजवान उसके शिकार बनकर मौत के मुंह में जा रहे हैं। समाज में फैल रहे इस जहर को रोकना होगा और यह तभी सम्भव है यदि समाज जागे। नशे के विरुद्ध जनांदोलन शुरू किया जाए। इसके लिए समाजसेवी संस्थाएं आगे आएं। शराब के ठेके बंद किए जाएं और इस हेतु कदम उठाने के लिए सरकार को मजबूर किया जाए। बिहार तथा गुजरात में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध है। क्या इससे राज्य सरकारें चलनी बंद हो गई हैं? सरकारें चलती रहनी हैं, होगा तो नशे का कोढ़ समाप्त होगा।-बचन सिंह सरल 
 

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!