चीन के विरुद्ध क्वॉड को असरदार बनाने की अमरीका व जापान की मुहिम

Edited By ,Updated: 11 Jun, 2021 05:38 AM

america and japan s campaign to make quad effective against china

यानी चार देशों, जिनमें अमरीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं, समान उद्देश्यों वाले देशों का एक संगठन है जो आॢथक और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए बनाया गया है। वैसे बीते कुछ

क्वॉड यानी चार देशों, जिनमें अमरीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं, समान उद्देश्यों वाले देशों का एक संगठन है जो आर्थिक और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए बनाया गया है। वैसे बीते कुछ वर्षों में चीन की आक्रामकता से परेशान एशियाई और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों की परेशानी को देखते हुए अमरीका सहित पश्चिमी शक्तियों ने अपना ध्यान एशिया, खासकर भारत और दक्षिण-पूर्वी एशिया की तरफ मोड़ दिया है। उद्देश्य साफ है कि ये सभी मिलकर चीन की तानाशाही और उसकी आक्रामकता पर लगाम लगाना चाहते हैं। 

इसी कड़ी में अमरीका से जो खबर निकलकर सामने आ रही है वह यह है कि अमरीका क्वॉड को और मजबूती देने के लिए इसका विस्तार करना चाहता है हालांकि अभी यह तय नहीं है कि कौन-कौन से देश क्वॉड में शामिल होंगे लेकिन ऐसा लगता है कि अमरीका नाटो की तर्ज पर एशिया में क्वॉड को मजबूती देने के लिए गंभीरता के साथ काम कर रहा है। 

इस मुद्दे पर अमरीका के साथ अब जापान भी आ गया है और जापान भी यही चाहता है कि जल्दी से जल्दी क्वॉड का विस्तार कर उसे और मजबूती दी जाए। हालांकि भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना पक्ष नहीं रखा है लेकिन जापान और अमरीका ने राजनयिक स्तर पर इस दिशा में अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। ये दोनों देश ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र में मिलकर चीन की तानाशाही और उसकी आक्रामकता पर लगाम लगाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्वॉड को मजबूत करने के लिए कौन से ऐसे देश हैं, जिन्हें इसमें जोड़ा जा सकता है, जो खुद भी क्वॉड में शामिल होना चाहते हैं और आसानी से इस संगठन का हिस्सा बन सकते हैं। 

जिस देश को अमरीका और जापान ने पहले क्वॉड में शामिल करना तय किया है वह है दक्षिण कोरिया। अभी कुछ दिन पहले ही दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन ने अमरीका की यात्रा की थी। अमरीकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने मून से मुलाकात की और कहा कि दक्षिण-पूर्व और पूर्वोत्तर एशिया के साथ साथ ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र और पूरे विश्व की शांति और सुरक्षा के लिए हमारा साथ बहुत आवश्यक है। मून जेई इन की अमरीका यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि पिछले महीने जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने अमरीका की यात्रा कर राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की थी। 

अगर सूत्रों की मानें तो सुगा की अमरीका यात्रा के बाद ही क्वॉड में दक्षिण कोरिया को शामिल करने पर सहमति बनी थी, जिसके बाद मून ने अमरीका की यात्रा की। मून जेई इन के वरिष्ठ प्रैस सचिव ने इस यात्रा के बारे में कहा कि दोनों देश आपस में अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे। बाइडेन ने चीन के उत्थान को दक्षिण-पूर्वी एशिया के साथ संपूर्ण एशिया और विश्व के लिए उभरता हुआ खतरा माना। इसके साथ ही बाइडेन ने यह भी कहा कि अमरीका चीन के बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए अपने सहयोगियों के साथ पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए सहयोग करेगा और चीन में लगातार हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों के विरुद्ध काम करेगा। 

बाइडेन ने यह भी कहा कि अमरीका कोरियाई प्राय:द्वीप के साथ अपना सहयोग बढ़ाने के साथ तनाव कम करना चाहता है। अमरीका उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाना चाहता है। फोब्र्स की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका और जापान ने दक्षिण कोरिया को क्वॉड समूह में शामिल होने का न्यौता दिया है और ऐसा माना भी जा रहा है कि दक्षिण कोरिया जल्दी ही क्वॉड का सदस्य बन जाएगा। अभी हाल ही में व्हाइट हाऊस के हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के कोऑर्डिनेटर कोर्ट कै पबेल ने कहा था कि अमरीका को क्वॉड में नए देशों को शामिल कर के चीन के सैन्य अभियान को रोकने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाना चाहिए। 

अमरीका ने क्वॉड को नाटो की तरह एक सैन्य संगठन बनाकर उसी तरह काम करने की बात कही है, जिसमें सदस्य देशों के बीच हथियारों और लॉजिस्टिक्स को लेकर अलग-अलग तरह के समझौते किए जाएं और इसे एशियाई नाटो की तर्ज पर बनाया जाए। लेकिन इस पूरे मुद्दे में जहां तक भारत की बात है तो भारत अभी तक क्वॉड को नाटो जैसे सैन्य संगठन बनाने के पक्ष में नहीं है। इससे रूस भारत से नाराज भी हो सकता है, जबकि शीत युद्ध के दौर में भारत ने अपने लगभग सारे हथियार रूस से ही खरीदे थे। 

अगर क्वॉड एक सैन्य संगठन बनता है तो हो सकता है भविष्य में भारत और रूस को कहीं सैन्य संघर्ष में एक-दूसरे के विरुद्ध न खड़ा होना पड़े। वहीं भारत ने अभी तक क्वॉड में नए सदस्यों को जोड़े जाने को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इसके साथ ही सूत्रों के हवाले से जो खबर निकल कर सामने आ रही है उसके अनुसार क्वॉड के फैलाव में कुछ अन्य देशों के नाम भी निकल कर आ रहे हैं, जिनमें फ्रांस, ब्रिटेन और इसराईल के नाम प्रमुख हैं। 

हालांकि यह समय बताएगा कि एशिया में चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए क्या क्वॉड एक सैन्य संगठन बनता है और इसका फैलाव होता है या फिर ये चार देशों का संगठन बनकर समान विचारधारा वाले देशों का एक संघ बनकर वैश्विक परिदृश्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।- 

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