आपकी कीमती चीजें क्या बैंक लॉकरों में सुरक्षित होती हैं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 02:52 AM

are your precious things safe in bank lockers

लगभग 46 वर्ष पूर्व सितम्बर के एक सप्ताहांत को लंदन की बेकर स्ट्रीट  से लेकर लॉयड बैंक तक ठगों ने एक सुरंग खोद निकाली और बैंक के सेफ्टी डिपाजिट बक्सों में सेंध लगाकर लगभग 5 लाख पाऊंड चुरा लिए। 36 वर्ष बाद ‘द बैंक जॉब’ नामक फिल्म के माध्यम से हॉलीवुड...

लगभग 46 वर्ष पूर्व सितम्बर के एक सप्ताहांत को लंदन की बेकर स्ट्रीट  से लेकर लॉयड बैंक तक ठगों ने एक सुरंग खोद निकाली और बैंक के सेफ्टी डिपाजिट बक्सों में सेंध लगाकर लगभग 5 लाख पाऊंड चुरा लिए। 36 वर्ष बाद ‘द बैंक जॉब’ नामक फिल्म के माध्यम से हॉलीवुड ने इस डकैती की घटना को पर्दे पर उतारा।

2017 के गत सप्ताह को नवी मुम्बई में बिल्कुल ऐसी ही घटना की पुनरावृत्ति हुई जब लुटेरे 2.85 करोड़ रुपए का सोना, चांदी, आभूषण और नकदी बैंक के लॉकरों में से उड़ा ले गए। समाचार रिपोर्टों के अनुसार लुटेरों ने पड़ोस की एक दुकान में से बैंक आफ बड़ौदा के शाखा कार्यालय तक 24 फुट लम्बी सुरंग खोदी और अपने कुकृत्य को अंजाम दिया। लंदन की घटना की तरह यह लूट भी सप्ताहांत के दिन ही अंजाम दी गई थी जब बैंक सामान्यत: बंद होते हैं। बैंक लाकरों को आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है और यही कारण है कि बैंक के ग्राहक अंधेरे से गोदाम में छोटा-सा धातु का संदूक किराए पर ले लेते हैं लेकिन यदि इस लॉकर में सेंध लग जाए तो क्या बैंक आपकी क्षतिपूर्ति करेगा? यदि नहीं करेगा तो आपको क्या करना चाहिए? 

सेफ्टी लॉकर 
अधिकतर खाता धारक बैंक लॉकरों को बहुत सुरक्षित जगह मानते हैं और इसलिए लॉकर की फीस के अलावा बीमा पालिसी खरीदते हैं या फिक्स डिपाजिट करवाते हैं ताकि दीवार में फिट लोहे का बक्सा उन्हें उपलब्ध हो पाए। फैडरल बैंक लि.के रिटेल मैनेजर जोस के. मैथ्यू का कहना है कि लॉकरों की बहुत भारी मांग है। वर्तमान में बैंक के पास 1 लाख 75 हजार बैंक लॉकर हैं जिनका 65-70 प्रतिशत उपयोग हो रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक शाखाओं में लॉकर सुविधा चाहने वालों की अक्सर बहुत लम्बी प्रतीक्षा सूची होती है। ऐसे में लोग लॉकर सुविधा हासिल करने के लिए प्रार्थनाएं करते रहते हैं। लेकिन सवाल पैदा होता है कि आपकी कीमती वस्तुएं क्या इन लॉकरों में सुरक्षित होती हैं। यदि कोई इन्हें सेंध लगाकर चुरा लेता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? 

किसी भी अदृश्य जोखिम से बचने के लिए आपको खुद अपनी कीमती वस्तुओं का बीमा करवाना होता है जो इनकी कीमत पर आधारित होता है। लेकिन किसी बैंक को पता नहीं होता कि आपने अपने लॉकर में क्या रखा है इसलिए वे इन पर आपको कोई सुरक्षा कवर उपलब्ध नहीं करवाते। कोटक महिंद्रा बैंक के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष विराट दीवानजी का कहना है कि उनके बैंक के पास 2 लाख के लगभग लॉकर हैं जिनका 60-65 प्रतिशत उपयोग हो रहा है। उनका यह भी कहना है कि लॉकर के कारण बैंक और इसके खाता धारकों में मालिक मकान और किराएदार जैसा रिश्ता बन जाता है यानी कि बैंक केवल अपनी जगह किराए पर देता है और खाता धारक ने इस जगह का अपनी मर्जी से प्रयोग करना होता है। 

जब भी आप लॉकर सुविधा लेते हैं तो बैंक के साथ आप एक अनुबंध करते हैं। इस अनुबंध में स्पष्ट तौर पर लिखा होता है कि बैंक आपके डिपाजिट लॉकर के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यानी कि बारिश, आगजनी, बाढ़, भूकम्प, बिजली गिरने, लड़ाई, दंगे अथवा सार्वजनिक अफरा-तफरी या चोरी के कारण होने वाली किसी प्रकार की क्षति के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होगा क्योंकि इनमें से कोई भी बात बैंक के बस में नहीं होती। यानी कि अनुबंध बैंक और खाता धारक की बजाय मालिक मकान और किराएदार के आपसी समझौते जैसा होता है। इसलिए बैंक लॉकर धारकों को यह परामर्श देते हैं कि वे लॉकर में पड़ी हुई वस्तुओं का बीमा करवाएं। 

फिर भी मुम्बई के उपभोक्ता एक्टिविस्ट जहांगीर गाई का कहना है कि इस प्रकार के नुक्सान के लिए बैंक को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर 2006 में राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने एक झगड़े का फैसला करते हुए लॉकर में रखी चीजों के नुक्सान के लिए बैंक को जिम्मेदार ठहराया था। इस घटना में लॉकर को इसके पूर्व खाता धारक ने बैंक अधिकारियों के साथ सांंठगांठ करके तोड़ लिया था और सभी कीमतें वस्तुएं और सोने के आभूषण निकाल कर ले गया था। बाद में बैंक और पूर्व लॉकर धारक ने यह माना कि उन्होंने चोरी की थी। इसी प्रकार 2012 में भी एक बैंक को जिम्मेदार ठहराया गया था क्योंकि लॉकर को सही ढंग से बंद नहीं किया गया था इसलिए इसमें रखे हुए सोने के आभूषण चोरी हो गए थे। इसलिए अपने लॉकर में रखी वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि आप उचित बीमा करवाएं। 

सामान्य तौर पर बैंक लॉकरों पर मिलने वाला बीमा सबसे अधिक सस्ता होता है। बीमा कम्पनी आपको लॉकर में रखी हुई वस्तुओं पर बीमा उसी स्थिति में देती है यदि आपके घर का भी बीमा हुआ हो। लेकिन यदि आप बीमा कम्पनी को यह बताते हैं कि आप किराए के मकान में रहते हैं तो वे मकान की बजाय केवल आपकी कीमती वस्तुओं पर ही चोरी के विरुद्ध बीमा करेंगे। इस पर यह सोचने की बात है कि यदि आपको कीमती वस्तुओं की चोरी के विरुद्ध घर में ही बीमा उपलब्ध है तो इन्हें लॉकर में रखने की बजाय घर में ही क्यों न रखा जाए और बीमे की सुरक्षा का लाभ उठाया जाए।-विविना विश्वनाथन

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!