भारत लेगा ‘हाई स्पीड रेल टैक्नालॉजी’ हेतु चीन से सहयोग

Edited By ,Updated: 23 Jan, 2015 02:36 AM

article

पेइचिंग में 12 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद भारतीय रेल अधिकारी आर.आर. प्रसाद का कहना है कि वह भारत और चीन के बीच रेलवे सहयोग के भविष्य को लेकर ...

(आन बाइजी) पेइचिंग में 12 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद भारतीय रेल अधिकारी आर.आर. प्रसाद का कहना है कि वह भारत और चीन के बीच रेलवे सहयोग के भविष्य को लेकर अब बहुत आशावादी हैं। उनका कहना है : ‘‘मैं चीन की शोर-रहित उच्च गति रेलवे से बहुत प्रभावित हुआ हूं। आप यह महसूस ही नहीं कर पाते कि गाड़ी इतनी तेज स्पीड से चल रही होगी।’’

भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी प्रसाद उस 22 सदस्यीय शिष्टमंडल के प्रमुख थे, जो पेइचिंग की जियाओतांग यूनिवर्सिटी में 15 से 27 दिसम्बर तक प्रशिक्षण लेने गया था। प्रशिक्षण की समाप्ति पर सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र दिए गए।

इस कार्यक्रम में ऐन कार्य स्थल पर जाकर प्रशिक्षण हासिल करने पर जोर दिया गया था। इस प्रशिक्षण में परिचालन और रख-रखाव सुविधाएं, मोनीटरिंग सिस्टम और ट्रैफिक कंट्रोल जैसी बातें शामिल थीं। प्रसाद का कहना है कि संचार और कंट्रोल प्रणालियों से संबंधित चीनी रेलवे की टैक्नोलॉजी बहुत जटिल लेकिन अत्यंत विकसित है।

चीन की हाई स्पीड रेलवे बेशक अभी बचपन में है, लेकिन फिर भी हाल ही के वर्षों में इसने तेज गति से जो विकास किया है, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने उसका संज्ञान लिया है। प्रसाद ने बताया कि चीन न केवल उच्च गति ट्रेनों का विनिर्माता है बल्कि उच्च गति रेल टैक्नोलॉजी के अन्तर्राष्ट्रीय मानकों की कसौटी भी है। प्रसाद के अनुसार  भारत सरकार चीनी सहयोग से अपनी प्रथम रेलवे यूनिवॢसटी स्थापित करने की योजना बना रही है। उन्होंने बताया कि चीन की बहुत सी यूनिवर्सिटियों में शानदार प्रयोगशालाएं हैं, जहां अति विकसित रेलवे टैक्नोलॉजी की सुविधाएं उपलब्ध हैं और ये भारतीय रेलवे यूनिवर्सिटी बनाने में सहायक हो सकती हैं।

प्रशिक्षण के दौरान भारतीय अधिकारियों ने पेइचिंग-तियानजिन हाईस्पीड रेल पर यात्रा की और उत्तरी चीन के शांग्शी प्रदेश के रेलवे ब्यूरो में भी गए। प्रमाण पत्र वितरण समारोह में बोलते हुए जियाओतांग यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष लियू जुन ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से दोनों देशों के बीच रेलवे सहयोग बढऩे की उम्मीद है।

भारतीय दूतावास की वैबसाइट के अनुसार आगामी 2 वर्षों में भारतीय रेलवे अधिकारियों के ऐसे ही 4 अन्य बैच भी जियाओतांग यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षित किए जाएंगे। जब गत सितम्बर माह में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत यात्रा पर आए तो उस समय रेलवे में सहयोग की योजना पर दोनों देशों के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसी दौरान चीन ने यातायात सुधारने के भारत के प्रयासों की सहायता करने के लिए भारतीय रेल तंत्र को तकनीकी सहायता और निवेश के अवसर प्रस्तुत करने का वचन दिया था।

1947 में देश स्वतंत्र होने से लेकर अब तक भारत ने 11000 किलोमीटर नया रेलवे ट्रैक बिछाया है, जबकि चीन ने 2013 की समाप्ति तक 1 लाख किलोमीटर से भी अधिक ट्रैक बिछा लिया था, जिसमें से 10000 किलोमीटर हाई स्पीड रेल ट्रैक है।

यह कोई पहला मौका नहीं, जब विदेशी रेलवे अधिकारियों को चीन में प्रशिक्षित किया गया हो। अगस्त 2013 में थाईलैंड के 20 रेलवे अधिकारी भी हाईस्पीड रेल सहयोग को बढ़ावा देने के कार्यक्रम के अंतर्गत पेइचिंग की इसी यूनिवर्सिटी में 21 दिन का प्रशिक्षण लेने आए थे।

चीन के नैशनल रेल ट्रेनिंग एवं सर्टीफिकेशन रिसर्च सैंटर के निदेशक झू झियाओनिंग का कहना है कि इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से चीनी रेलवे अधिकारी अपने ग्राहकों से घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं। उनका कहना है कि प्रशिक्षण लेने के बाद विदेशी रेलवे अधिकारी चीन की अति आधुनिक हाई स्पीड रेलवे टैक्नोलॉजी को बेहतर ढंग से समझने लगते हैं और यदि उनकी रुचि पैदा होगी तो वे खरीददारी भी करेंगे।

झू का कहना है कि चीन न केवल दुनिया का अग्रणी लोकोमोटिव विनिर्माता है, बल्कि अपनी टैक्नोलॉजी और सेवाएं तथा उच्च गति रेलवे निर्माण करने का अनुभव भी लाभदायक मूल्य पर उपलब्ध करवाता है।

30 दिसम्बर को चीन के 2 रेलवे वाहन विनिर्माताओं सी.एन.आर. कार्प और सी.एस.आर. कार्प ने घोषणा की कि वे दोनों अपना विलय करके एक कम्पनी बन रहे हैं। पहले ये दोनों कम्पनियां ग्लोबल बाजारों में अक्सर एक-दूसरे से गला-काट प्रतिस्पर्धा करती थीं। झू का कहना है कि अपनी हाई स्पीड रेलवे के लिए अन्तर्राष्ट्रीय बाजार को विस्तार देना चीनी सरकार की राष्ट्रीय रणनीति बन चुका है और शीर्ष नेताओं ने इस रणनीति को बहुत अधिक महत्व दिया है।

गत मार्च में योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया की चीन यात्रा के मौके पर चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने कहा था कि उच्च गति रेलवे टैक्नोलॉजी और ऊर्जा साजो-सामान का भारतीय बाजारों के लिए एक-दूसरे से समावेश करना भारत-चीन सहयोग में एक नए अध्याय की शुरूआत होगा। नवम्बर में एक प्रमुख भारतीय दैनिक ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि चीन भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उच्च गति नैटवर्क स्थापित करने में सहायता देने के लिए 32.6 बिलियन डालर निवेश हेतु वार्ता चला रहा है।

दिल्ली से चेन्नई तक बनने वाले 1754 किलोमीटर लंबे हाई स्पीड रेल कोरिडोर पर 300 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से गाडिय़ां दौड़ा करेंगी। यह परियोजना भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘हीरक चतुर्भुज’ परियोजना का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य दिल्ली-मुम्बई, मुम्बई-चेन्नई, चेन्नई-कोलकाता, कोलकाता-दिल्ली, मुम्बई-कोलकाता के बीच हाई स्पीड रेल नैटवर्क स्थापित करना है। यह नैटवर्क चीन के सहयोग से बनाया जाएगा, जोकि अपने यहां पेइङ्क्षचग से गवांगझू के बीच पहले ही इस प्रकार का दुनिया का सबसे लंबा हाई स्पीड रेल ट्रैक बिछा चुका है।

भारत के अलावा अन्य देशों ने भी रेलवे निर्माण के मामले में चीन के साथ सहयोग किया है। थाईलैंड भी चीन की सहायता से अपने यहां 734 और 133 किलोमीटर लंबाई वाले दो हाई स्पीड रेल ट्रैक बिछाने की योजना बना रहा है जिनमें चीन द्वारा निवेश किया जाएगा। (साभार ‘चाइना डेली’)

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!