Edited By ,Updated: 24 Jan, 2015 03:01 AM
हरियाणा की राजनीति में उभरे चौथे ‘लाल’ मनोहर लाल खट्टर की सरकार को सत्ता में आए लगभग 3 माह पूरे होने जा रहे हैं व इस दौरान उनके मंत्रिमंडल का विस्तार होने की चर्चा जोरों पर है। आधिकारिक तौर ...
(राकेश संघी) हरियाणा की राजनीति में उभरे चौथे ‘लाल’ मनोहर लाल खट्टर की सरकार को सत्ता में आए लगभग 3 माह पूरे होने जा रहे हैं व इस दौरान उनके मंत्रिमंडल का विस्तार होने की चर्चा जोरों पर है। आधिकारिक तौर पर यह तो स्वीकार किया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार अवश्य होगा लेकिन यह कब होगा व इसमें कितने नए सदस्य शामिल किए जाएंगे, इसको लेकर अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है।
वास्तव में मंत्रिमंडल का विस्तार होने की चर्चा तब जोर पकड़ गई थी जब लगभग एक माह पूर्व भाजपा के राज्य प्रभारी अनिल जैन ने पंचकूला में जल्द ही यह विस्तार होने की बात सार्वजनिक तौर पर कही थी। तब से ही राजनीतिक क्षेत्रों में इस विस्तार के समय को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया। कोई इस विस्तार को राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पानीपत दौरे के पश्चात होना बताने लगा तो कोई इसका समय अगले माह के अंतिम सप्ताह में शुरू होने वाले बजट सत्र से पूर्व होने की बात कहने लगा।
राज्य मंत्रिमंडल में 4 मंत्री पद रिक्त पड़े हैं, इसलिए विस्तार तो अवश्य होना ही है। इस विस्तार को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का यह मत है कि विस्तार नए वित्त वर्ष के आगमन पर ही हो पाएगा। पार्टी की ओर से सदस्यता अभियान जारी है जिसकी अवधि 31 मार्च तक है। फिलहाल राज्य से संबंधित पार्र्टी के नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में व्यस्त हो जाएंगे। उसके पश्चात बजट सत्र की तैयारी शुरू हो जाएगी, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार बजट सत्र की समाप्ति के पश्चात ही संभव हो पाएगा। पूर्व सरकारों के शासनकाल के दौरान भी मंत्रिमंडल विस्तार बजट सत्रों के पश्चात ही होते आए हैं।
गुर्जर भी मंत्री पद की दौड़ में
हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कंवर पाल गुर्जर भी राज्य मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार में मंत्री पद की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। यदि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो यह एक तरह से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल के दौरान विधानसभा अध्यक्ष को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की पड़ी परम्परा की पुनरावृत्ति होगी।
वर्ष 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से सत्ता संभालने पर हरमोहिंद्र सिंह चट्ठा को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया लेकिन बाद में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर रघुबीर सिंह कादियान को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दूसरी बार सत्ता संभालने पर हरमोहिंद्र सिंह चट्ठा को ही विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर उनकी जगह कुलदीप शर्मा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया।
वर्तमान राज्य विधानसभा में अभी उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त पड़ा है। राजनीतिक गलियारों में अब इस विषय पर भी चर्चा हो रही है कि क्या संभावित मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान एक साथ चारों रिक्त पद भरे जाएंगे या एक या दो पद खाली छोड़ दिए जाएंगे। यदि कंवर पाल गुर्जर को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो फिर नया विधानसभा अध्यक्ष किसे बनाया जाएगा?
कांग्रेस को लगा झटका
हरियाणा में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने के पूर्व राज्य सरकार के फैसले को पलट दिए जाने के मनोहर लाल खट्टर सरकार के फैसले से सेवानिवृत्ति की दहलीज पर खड़े कर्मचारियों को तो झटका लगना संभावित ही था, लेकिन इस फैसले को चुनौती देने के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर हुई याचिका पर हुए फैसले ने कांग्रेस को भी झटका दे डाला।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में खट्टर सरकार की ओर से कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु फिर से 58 वर्ष किए जाने को सही ठहराते हुए अपनी यह राय दी कि पूर्व राज्य सरकार ने यह आयु सीमा बढ़ाने का फैसला राजनीतिक दृष्टि से किया था। इसलिए इसे ईमानदारी से लिया गया फैसला नहीं कहा जा सकता। पूर्व सरकार ने यह फैसला तब किया था जब राज्य विधानसभा चुनाव सिर पर थे व आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने वाली थी। इस फैसले की कांग्रेस की ओर से आलोचना की जाती रही थी लेकिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले में सामने आई टिप्पणी ने कांग्रेसी नेताओं को भी चुप्पी साधने पर विवश कर दिया।