जीवों के लिए ‘अकेलापन सबसे खराब’ बात

Edited By ,Updated: 04 Feb, 2015 02:23 AM

article

मैं एक ऐसी लड़की को जानती हूं जो अपने दिन का एक बड़ा भाग अपनी उंगलियों के पीछे से छोटे बाल निकालते हुए और अपने मुहांसों से खून निकलने तथा घाव होने तक उन्हें खुरचते हुए बिताती है।

(मेनका संजय गांधी) मैं एक ऐसी लड़की को जानती हूं जो अपने दिन का एक बड़ा भाग अपनी उंगलियों के पीछे से छोटे बाल निकालते हुए और अपने मुहांसों से खून निकलने तथा घाव होने तक उन्हें खुरचते हुए बिताती है। कुछ मानव अपने शरीर को काट कर उसे खराब करते हैं। केवल अपने को मारने के लिए नहीं बल्कि दर्द पहुंचाने के लिए, जिससे वे बेहतर महसूस करें। कुछ लोग अपने नाखूनों की खाल तक चबाते हैं और उन्हें इसमें होने वाला दर्द अच्छा लगता है। कुछ अन्य ऐसा टैटू बनवाते हैं जिसमें उन्हें काफी दर्द होता है। लोग ऐसा क्यों करते हैं? वे इसे हर प्रकार के नए-नए नाम देते हैं-जैसे कि बार्डरलाइन, पर्सनैलिटी व डिसआर्डर। हकीकत यह है कि कोई नहीं जानता कि यह क्यों शुरू होता है?

क्या पशु भी ऐसा ही करते हैं? मैंने एक बहुत विचित्र कुत्ते को अपनाया है जिसे केवल इसलिए घर से बाहर निकाल दिया गया था कि वह तब तक अपने शरीर को काटता रहता था जब तक कि घाव बदबूदार न हो जाए। हालांकि उसने अब ऐसा करना बंद कर दिया है, पर जब उसके बाल लंबे होते हैं वह फिर से ऐसा करने लगता है। वह अपने बाल खींच कर निकाल देता है, जोर-जोर से चिल्लाता है - विशेष रूप से जब मुझसे मिलने वाले आए हुए होते हैं।

कुछ वर्ष पहले हमारे यहां एक कुत्ता था जो अपने आगे वाले पैरों को चाटता रहता था जब तक कि बड़ा घाव न हो जाए। की गई ड्रैसिंग को भी वह बहुत जल्दी नोच लेता था। हमने उसका घाव ठीक न हो जाने तक उस पर एक एलिजाबेथन कॉलर बांध दिया था। एक ही स्थान पर दिन भर बांधे रखे जाने वाले कुत्तों की अपने को चोट पहुंचाने की संभावनाएं होती हैं।

कुछ स्वामी शिकायत करते हैं कि उनकी बिल्लियां अपने को इतनी जोर से चाटती हैं कि उनमें लाल रिसने वाले घाव हो जाते हैं। वे ऐसा मानवों के सामने नहीं, बल्कि छुप-छुप कर करती हैं।

गोल्डन रिट्रीवर्स, लैब्राडोर, अलसेशियन, ग्रेट डेन तथा डॉबरमैन कुछ एेसे कुत्ते हैं जिनमें यह आदत होती है, वे एक जुनून के साथ अपने को तब तक चाटते रहते हैं जब तक कि उनमें घाव न हो जाएं। शरीर के सबसे अधिक छेड़छाड़ किए गए अंग पूंछ तथा पैरों का आधार एवं कोने होते हैं। इसका फंगस, पिस्सू या संक्रमण से कोई लेना-देना नहीं है। इसका कोई कारण नहीं होता है। किसी पशु को ऐसा करते हुए देखें तो आप उसके मुख पर एक स्तब्ध सम्मोहित भावना पाएंगे। पशु चिकित्सकों ने इसे कैनाइन कम्पल्सिव डिसआर्डर का नाम दिया है।

कछुए भी ऐसा करते हैं, वे अपने पैरों को काटते हैं। सांप अपनी पूंछ चबाते हैं। घोड़े अपनी बगलों को हिंसक रूप से काटते हैं जिससे खून निकल जाता है तथा पुराने जख्म खुल जाते हैं। इसके साथ घूमने, लात मारने तथा उछलने के दौर चलते हैं। चिडिय़ाघर के पशु एेसा बहुत करते हैं: घंटों तक गोल-गोल घूमते रहना, अपनी खाल कोइतना रगडऩा कि वह टूट कर गिर जाए, अपने सिर को दीवारों पर मारना, अपने बाल खींच कर निकालना।

ऑबसैसिव-कम्पल्सिव डिसआर्डर (ओ.सी.डी.) वाले मानव अपने हाथ धोने में ही लगे रहते हैं। ऐसी ही समस्या सनकी बिल्लियों में भी होती है जो कर्कश जीभ का उपयोग अपने को साफ करने के लिए करती रहती हैं या जिसे पशु चिकित्सक अधिक संवारना कहते हैं।

पिंजरे वाले पक्षियों की स्थिति सबसे खराब होती है। वे अपने पंखों को जड़ों से खींच कर निकालते हैं, इस दौरान दर्द से चीखते हैं परंतु तब तक ऐसा करते रहते हैं जब तक कि पंखों का एक ढेर इकट्ठा न हो जाए तथा उनकी शाफ्ट की जड़ों से खून न निकलने लगे।

प्रकृति में एक-दूसरे को तैयार करना, जैसे बंदरों द्वारा एक-दूसरे के कीड़े निकालना या बाल बनाना, आपस में अच्छा महसूस करवाने के लिए किया जाता है। बिल्लियां तथा खरगोश प्रत्येकदिन के कुछ घंटे धुलाई तथा सफाई में बिताते हैं। पक्षी अपने को फुलाते और संवारते हैं। सांप अपने मुंह को भूमि पर साफ करके भोजन समाप्त करते है।

जब पशु चिकित्सक इस लक्षण को देखते हैं, तो अच्छे चिकित्सक उस पशु के परिवेश के बारे में पूछते हैं। गंभीर तनाव, बोरियत, अकेला रहना 3 मुख्य कारक हैं। इसका विकृत किए जाने पर तत्काल प्रभाव होता है। घोड़ों की तरह ही सभी झुंड वाले पशु अकेले होने पर तनाव में आ जातेहैं। स्वयं को क्षति पहुंचाने वाले पशुओं में एक सबसे समान लक्षण स्वयं को क्षति पहुंचाना ही होता है।

पक्षी, बंदर, गधे, घोड़े, खरगोश, मनुष्य तथा पालतू पशु सभी सामाजिक जीव होते हैं। इन सभी प्रजातियों के जीवन में स्पर्श एक बड़ी भूमिका अदा करता है और अकेले छोड़े जाने पर शारीरिक सम्पर्क लुप्त हो जाता है तथा भय बढ़ता है। खुद को सजाना तथा संवारना एक तरीका है जिससे पशु तथा मनुष्य भय से निपटते हैं। खुद का स्पर्श तसल्ली तो देता है पर यह अन्यों के स्पर्श की बराबरी नहीं कर सकता।

एक ही काम को रोज करते रहने की बोरियत भी इस समस्या में परिणत होती है। पशु चिकित्सक परिवेश को समृद्ध करने तथा पशु के साथ और क्रियाएं करने की सलाह देते हैं। कुत्तों का शारीरिक तथा मानसिक दोनों तरह का व्यायाम करवाया जाना चाहिए। तोते अधिक संवारे जाने के लिए जाने जाते हैं, पंख नोचना और यहां तक कि अपनी चोंच से अपने मांस को कुरेदना। पंख को नोचना अक्सर बोरियत का लक्षण माना जाता है। तोता अत्यधिक बुद्धिमान जीव होता है तथा संवारने के अलावा कुछ और करने के लिए न होने पर अंतत: वह अधिक जोशीला हो जाताहै।

फीनीक्स चिडिय़ाघर में जब 2 भेडिय़ों को अपने को विकृत करते हुए देखा गया तो पालन करने वालों ने उनके भोजन को भिन्न शाखाओं में छिपा दिया, उन्हें भोजन के साथ खेलने दिया और उन्हें भोजन ढूंढने में लगा दिया। एक सप्ताह के भीतर विकृत किया जाना रुक गया था। मूलत: पशुओं को उत्साहित करने और जीवन जीने की चाह के लिए उनका ध्यान बांटा जाना होता है।

तनाव तब हो सकता है जब पोषण अनियमित हो या पशु को हमेशा मौजूद होने वाले एक खतरे का सामना करना पड़ रहा हो - जैसे कि पिंजरे वाले पक्षी के आसपास बिल्ली, गलत तापमान, तीखी दुर्गंध। भावनात्मक रूप से परेशान करने वाली स्थितियां आत्म-क्षति वालेे व्यवहार उत्पन्न करती हैं, विशेष रूप से वे जिन पर किसी एक का बहुत कम या बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं होता है जैसे कि अकेले में बंद रहना। तनाव के कारण को समाप्त किया जाना चाहिए।

वैज्ञानिकों ने वर्षों से यह नोट किया है कि बंदी बना कर रखी गई स्थितियों में बड़े बंदर स्वयं को विकृत करते हैं, विशेष रूप से जब उन्हें अकेला रखा जाए। रीसस बंदर स्वयं को काटते हैं। अत्यधिक खिन्न होने वाले बड़े बंदर स्वयं को क्षति पहुंचाने वाले व्यवहार दर्शाते हैं। यदि किसी वस्तु या जीव से भय उत्पन्न होने पर पशु भाग या हमला नहीं कर पाता तो वह स्वयं को एक ही स्थान पर बार-बार काटेगा। ये चोटें छोटे रूप में प्रारंभ होकर अंतत: बड़ा रूप ले लेंगी। कभी-कभी तो खतरा इतना गंभीर होता है कि पशुओं को अपने अंग तक खोने पड़ सकते हैं।

मानवों को भी ऐसी प्रेरणा चाहिए। जैसा कि सभी जानते हैं कि बोरियत सभी जीवों को क्षति का प्रारंभिक बिंदु है। मानव के लिए अकेलापन सबसे खराब चीज है क्योंकि हम भी तो झुंड वाले पशु ही हैं। स्वयं को चोट पहुंचाने वाले कई व्यक्तियों को केवल पालतू पशु दिला कर  ठीक कर दिया गया है। 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!