भारत-अमरीका नजदीकियों से ‘पाक बौखलाया’

Edited By ,Updated: 06 Feb, 2015 04:42 AM

article

पाकिस्तान अपने राष्ट्रीय दिवस पर सैन्य परेड आयोजित करने वाला है, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शिरकत करेंगे। 23 मार्च, 2008 को हुई सैन्य परेड के बाद सुरक्षा कारणों से ...

(बलबीर पुंज) पाकिस्तान अपने राष्ट्रीय दिवस पर सैन्य परेड आयोजित करने वाला है, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शिरकत करेंगे। 23 मार्च, 2008 को हुई सैन्य परेड के बाद सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान ने परेड बंद कर दी थी। 7 साल बाद क्या पाकिस्तान की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आ गया है? क्या वहां स्थिरता का माहौल है? हाल ही में पेशावर में मासूम स्कूली बच्चों के बर्बर संहार के बाद विगत 30 जनवरी को सिंध प्रांत के शिकारपुर में शिया इमामबाड़े पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें करीब 60 लोगों की जान गई। वास्तव में सैन्य परेड दोबारा शुरू करने के पीछे पाकिस्तान की वह खीझ है, जो अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे से उपजी है।

भारत-अमरीका के बीच बढ़ती नजदीकियों से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। भारत के 66वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आए अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने भाषण में एक बार भी भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया। यह पाकिस्तान को नागवार गुजरा है। पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर वक्तव्य जारी कर यह चेतावनी दी है कि भारत और अमरीका गठजोड़ से दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा, जिसके कारण क्षेत्रीय असंतुलन पैदा होगा। वास्तव में पाकिस्तान खुद को भारत के बराबर तरजीह नहीं दिए जाने से बौखलाया हुआ है।

खंडित भारत और पाकिस्तान का अस्तित्व भले एक ही समय पर शुरू हुआ हो, किन्तु दोनों में तुलनात्मक दृष्टि से बराबरी का प्रश्न ही नहीं उठता। भारत में जहां ऊर्जावान लोकतंत्र और पंथनिरपेक्ष व्यवस्था में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक बराबरी के अधिकार से आबाद हैं, वहीं पाकिस्तान में अभी कहने को लोकतंत्र है, किन्तु वास्तव में जम्हूरियत सैन्य बूटों के नीचे दबी है। पाकिस्तान अपने जन्म के बाद से ही एक अस्थिर राष्ट्र रहा है और वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था अल्पजीवी रही है। 1958 में जनरल अयूब खां से शुरू होकर मुशर्रफ तक पाकिस्तान में लोकतंत्र सैनिक बूटों के नीचे पिसता रहा है।

मजहबी कट्टरपंथ के कारण पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है। स्वयं इस्लाम को मानने वाले शिया, अहमदिया आदि भी सुन्नी कट्टरपंथियों के शिकार बन रहे हैं। जहां भारत की गिनती विश्व की तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था में हो रही है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय जगत में पाकिस्तान की छवि एक विफल राष्ट्र और इस्लामी आतंकवाद के पोषक के रूप में बनी है। पाकिस्तान बदलते वैश्विक परिदृश्य को पढ़ नहीं रहा। वह आज भी अपने जन्म की मानसिकता से बंधा है और भारत के प्रति अपनी घृणा को अंजाम तक पहुंचाने के दिवास्वप्न में अपनी शक्ति और संसाधनों का बड़ा भाग स्वाहा कर रहा है।

2014-15 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए पाकिस्तान ने 7 बिलियन डॉलर का आबंटन किया है, जो पिछली बार की तुलना में करीब 11 प्रतिशत अधिक है। रक्षा बजट के बड़े हिस्से के अलावा अमरीका से मिलने वाली भारी-भरकम वित्तीय सहायता को पाकिस्तान अपने भारत विरोधी एजैंडे पर कुर्बान करता है। एक ओर पाकिस्तानी हुक्मरान आतंकवाद से स्वयं त्रस्त होने का दावा करते हैं तथा दूसरी ओर उनकी ही छत्रछाया में जमात-उद-दावा, लश्कर, हूजी जैसे संगठन पाक अधिकृत कश्मीर में एकत्रित होकर भारत को क्षतविक्षत कर देने की धमकी देते हैं।

पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर में अलगाववाद को पोषित कर रहा है। वह अंतर्राष्ट्रीय जगत को यह झूठ परोसता आया है कि कश्मीर में अलगाववाद वस्तुत: आजादी की जंग है। भारत कश्मीर का अभिन्न अंग है और भारत में उसका विलय स्वैच्छिक और संविधान सम्मत है। अपने जन्म के कुछ ही दिनों के भीतर पाकिस्तान ने कश्मीर को हड़पने के लिए उस पर कबाइलियों के भेष में हमला कर दिया था, जिसे भारत के वीर जवानों ने विफल कर दिया। किन्तु तत्कालीन भारतीय सत्ता अधिष्ठान की अदूरदर्शिता के कारण संयुक्त राष्ट्रसंघको कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप करने का मौका मिला।

सन् 1957 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने कश्मीर पर प्रस्ताव पारित किया था। तब से लेकर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंचों से कश्मीर का राग अलापता रहा है। किन्तु विश्व बिरादरी अब पाकिस्तान का जेहादी एजैंडा समझने लगी है। यही कारण है कि पिछले दिनों जब मियां नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर का मसला उठाया तो 193 सदस्यों वाली महासभा में उन्हें एक का भी साथ नहीं मिला।

पाकिस्तान तेजी से विकास नहीं करने के लिए अपने भौगोलिक आकार को बड़ा कारण बताता है। वास्तविकता तो यह है कि पाकिस्तान की दुरावस्था उसके जेहादी चिंतन के कारण ही है। दुनिया में कितने ऐसे देश हैं, जो छोटे होने के बावजूद विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं। दुनिया का एकमात्र यहूदी राष्ट्र इसराईल मध्य-पूर्व के देशों में अकेला उदारवादी प्रजातंत्र है। यहां की कुल आबादी में 80 प्रतिशत यहूदी और अरबी मूल के लोग हैं। किन्तु आर्थिकी, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में पूरे विश्व में उसकी धूम है। जापान छोटा देश होते हुए भी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जापान 84 प्रतिशत ऊर्जा आयात करता है, किन्तु ऑटोमोबाइल और इलैक्ट्रोनिक उत्पाद के मामले में वह विश्व में सबसे आगे है। स्विट्जरलैंड की कुल आबादी 8 करोड़ है, किन्तु वह दुनिया का सबसे अमीर देश है। नार्वे, नीदरलैंड, आस्ट्रेलिया आदि आकार में छोटे होने के बावजूद विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं।

पाकिस्तान की अधोगति उसकी भारत विरोधी मानसिकता और जेहादी विचारधारा के कारण ही हुई है। भारत और पाकिस्तान के बीच अभी 2.7 अरब डालर का व्यापार होता है। यदि पाकिस्तान आतंकवाद को पोषित करने में अपनी शक्ति जाया करने की बजाय दोनों देशों के बीच सकारात्मक और सार्थक माहौल विकसित करने में व्यय करे तो दोनों देशों के बीच सालाना कारोबार 15 से 20 अरब डालर तक हो सकता है किन्तु पाकिस्तान इसकी चिंता नहीं करता। भारत सन् 1996 में ही पाकिस्तान को सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एम.एफ.एन.) का दर्जा दे चुका है, किन्तु भारत के मामले में पाकिस्तान ने खुद को रोक रखा है। क्यों? इसका जवाब भारत के साथ अपने सांस्कृतिक संबंधों को नकारने की पाकिस्तान की जेहादी मानसिकता में समाहित है। 

पाकिस्तान के जनमानस का बड़ा भाग अपने आप को भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी आक्रांता के उत्तराधिकारी के रूप में देखता है। पाकिस्तान के डी.एन.ए. में ही मजहब पर आधारित उस सत्तातंत्र की स्थापना का संकल्प है, जो भारत की बहुलतावादी सनातनी संस्कृति को नकारने और उसे तबाह करने के लिए प्रतिबद्ध है। पाकिस्तान के जन्म का मूल दर्शन उसे तालिबानीकरण की ओर निरन्तर खींच रहा है। उसका अंतिम लक्ष्य पाकिस्तान की सम्पूर्ण व्यवस्था का तालिबानीकरण करना है, जिसके लिए दुश्मन नंबर एक भारत सहित शेष दुनिया के साथ हिंसक जेहाद जायज है। जब तक पाकिस्तान अपनी जेहादी मानसिकता का परित्याग नहीं करता, वह तेजी से विकास पथ पर बढ़ रहे भारत का मुकाबला नहीं कर सकता। लोकतंत्र, बहुलतावाद और पंथनिरपेक्ष उदारवाद का त्याग कर कोई भी राष्ट्र राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक उत्थान नहीं कर सकता। 

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!