Edited By ,Updated: 16 Mar, 2015 01:47 AM
एयर इंडिया की असफलताओं का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता और इसलिए कुछ लोगों का लगातार कहना है कि यह एक सटीक उदाहरण है
(दिलीप चेरियन): एयर इंडिया की असफलताओं का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता और इसलिए कुछ लोगों का लगातार कहना है कि यह एक सटीक उदाहरण है कि आखिरकार इस आधार पर एयरलाइन का निजीकरण कर दिया जाए। इस पर बहस लगातार चल ही रही है और सरकार के लिए भी इस सरकारी एयरलाइन के सी.एम.डी. रोहित नंदन की जगह पर किसी नए उत्तराधिकारी के लिए सक्षम उम्मीदवार को खोजना मुश्किल हो रहा है। नंदन, 1982 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी हैं और उन्हें पहले से ही सेवा विस्तार मिला हुआ है, जोकि अगस्त में समाप्त हो रहा है।
स्पष्ट है कि पब्लिक इंटरप्राइजिज सिलैक्शन बोर्ड ने हाल ही में 3 उम्मीदवारों एन.के. जैन, सप्तऋषि रॉय और आर. कारिकल वालावेन की इंटरव्यू ली लेकिन किसी का चयन नहीं हुआ। इन तीनों को पहले संभावितों के तौर पर चुना गया था। अब, सूत्रों का कहना है कि चयन बोर्ड के पास अब अधिक विकल्प नहीं हैं और ऐसे में उसे नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा पहले भेजे गए नामों में से ही किसी एक को चुनना पड़ेगा। इस प्रक्रिया को पहले ऑयल इंडिया के सी.एम.डी. के चयन के दौरान भी अमल में लाया जा चुका है।
इस दौरान, एक तरफ नए सी.एम.डी. के लिए प्रयास लगातार जारी हैं, वहीं ये भी अंदाजे लगाए जा रहे हैं कि नंदन को एक और सेवा विस्तार मिल सकता है। कुछ अन्य जानकारों का कहना है कि अगर जल्द ही एयरलाइन के लिए कोई पूर्णकालिक उत्तराधिकारी नहीं चुना गया तो सरकार को इसकी कमान एडीशनल चार्ज के तौर पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के ही एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को देनी होगी। ऐसा पहले भी किया जा चुका है, यानी उदाहरण पहले से ही मौजूद है। इस दौरान, अभी भी खोज जारी है।
पैरिस से वाशिंगटन की दूरी तय करने में लगेगा एक महीना
फ्रांस में भारतीय राजदूत अरुण सिंह वाशिंगटन, डी.सी., लौट रहे हैं और वह भारतीय राजदूत एस.जयशंकर की जगह लेंगे जोकि दिल्ली लौट चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जयशंकर का चयन विदेश सचिव के तौर पर विशेष तौर पर किया गया है। वहीं अरुण सिंह पहले 5 साल के लिए वाशिंगटन में भारतीय मिशन के डिप्टी चीफ के तौर पर काम कर चुके हैं और उन्हें जयशंकर के उचित उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है। जयशंकर, पहले ही अमरीका के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत आधार देने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
बहरहाल, सिंह, तुरन्त ही अमरीका में पद संभालने नहीं जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि वह तब तक पैरिस में ही बने रहेंगे जब तक मोदी की अगले माह फ्रांस की प्रस्तावित यात्रा पूरी नहीं हो जाती है। इस दौरान विशेष मंत्रालय में इस बात को लेकर अटकलों का भी दौर जारी है कि सिंह की जगह पर किस को नियुक्त किया जा रहा है। इसके साथ ही कई अन्य राजदूतों के पद भी खाली पड़े हैं और उन पर चयन को लेकर भी अटकलों का बाजार लगातार गर्म होता जा रहा है। अरुण सिंह की नियुक्ति इस दिशा में पहला ऐलान है और आने वाले दिनों में इस तरह की अन्य नियुक्तियों का ऐलान भी एक-एक कर किया जाएगा।