मोदी सरकार राहुल गांधी पर ‘पलटवार को तैयार’

Edited By ,Updated: 28 Jun, 2015 01:40 AM

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अगर आग से खेलने में आग हो जाने की चुनौतियां समाहित हैं, तो मौजूदा शासन व्यवस्था में विपक्षी दलों को भी चटकती चिंगारियों में अपना दामन बचाने की बाजीगरी दिखानी होगी

(त्रिदीब रमण): अगर आग से खेलने में आग हो जाने की चुनौतियां समाहित हैं, तो मौजूदा शासन व्यवस्था में विपक्षी दलों को भी चटकती चिंगारियों में अपना दामन बचाने की बाजीगरी दिखानी होगी, नहीं तो मोदी सरकार ने कांग्रेसी युवराज पर जवाबी पलटवार के लिए रणनीतियां बुन ली हैं। 
 
कांग्रेस ने अपने चंद सहयोगी दलों के साथ मिल-बैठ कर तय कर लिया है कि 21 जुलाई से आहूत संसद के मानसून सत्र को वह तब तक चलने नहीं देगी जब तक  सुषमा, स्मृति, वसुंधरा और पंकजा के इस्तीफे नहीं हो जाते। मोदी सरकार के कर्णधारों ने भी साफ  कर दिया है कि महज मीडिया ट्रॉयल से इस्तीफे नहीं होंगे और सरकार विपक्ष के समक्ष हथियार डालने की बजाय हथियार उठा संघर्ष का उद्घोष करना पसंद करेगी। सरकार ने भी कांग्रेस को घेरने की चाक-चौबंद व्यवस्था कर ली है। सरकार ने राहुल गांधी की तमाम विदेश यात्राओं के ब्यौरे जुटा लिए हैं। 
 
यात्रा के मद में खर्चों के हिसाब को खंगाल लिया गया है और वित्त मंत्रालय से जुड़ी एजैंसियां इससे जुड़े कानूनी प्रकल्पों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं। मुमकिन है कि आय कर विभाग इस बाबत राहुल गांधी को नोटिस सर्व करे, ई.डी. उन्हें पूछताछ के लिए अपने दफ्तर तलब करे, राबर्ट वाड्रा से जुड़े कई मुद्दों के खुलासे की भी तैयारी है। यानी संसद सत्र में कांग्रेस का सरकार पर वार होगा, तो सरकार भी उतनी ही मुस्तैदी से पलटवार करेगी।
 
क्या है ललित मोदी का सच?
जरूरी नहीं कि हर सुबह मुर्गे की बांग से  शुरू हो। दबे पांव बिल्लियों की दबिश में सुबह की शाश्वतता तो कायम रहती है, पर मुर्गों की अस्मिता नहीं। लंदन के नाइट ब्रिज के कैडोजन स्क्वॉयर स्थित ललित मोदी के उस तीन मंजिला बंगले में बड़े-बड़ों के कई राज दफन हैं। सूत्र बताते हैं कि अगर ललित मोदी और ज्यादा घिरते हैं तो इनमें से कई राज से पर्दा उठ सकता है। 
 
इस इमारत के भूतल पर ललित मोदी ने अपना ऑफिस बनाया हुआ है। एक फ्लोर पर वह स्वयं रहते हैं, सबसे ऊपरी मंजिल पर वे अपने करीबी दोस्तों को ठहराते हैं, यदा-कदा यहीं पर पार्टियां भी होती हैं। सूत्र बताते हैं कि इसके अलावा लंदन के बुल्गारी होटल में साल के 365 दिन ललित मोदी के नाम पर एक आलीशन सुइट बुक रहता है, जिसमें भारत से आने वाले मित्रों को वह ठहराते हैं जिनमें से ज्यादातर राजनीतिज्ञ, बड़े अफसर व पत्रकार शामिल होते हैं। भारत से लंदन जाने वाले कई सांसदों, राजनेताओं व मंत्रियों को वह आर्थिक रूप से मदद भी करते हैं। 
 
पिछले दिनों यू.पी.ए. शासनकाल के एक प्रभावशाली मंत्री ने अपने कुछ खास विश्वस्तों के समक्ष यह ङ्क्षचता जताई कि उन्हें शक है कि उनके लंदन प्रवास के दौरान उनकी सी.डी. बना ली गई है और आने वाले दिनों में इस सी.डी. को सार्वजनिक किया जा सकता है। भाजपा के कुछ सांसद जो ललित मोदी की मेहमाननवाजी का लुत्फ  उठा चुके हैं, वे इंकार करते हैं कि मोदी के लंदन स्थित बंगले में कहीं कोई कैमरा लगा है। इनका मानना है कि ललित मोदी तो दोस्तों के दोस्त हैं जो भारत से लंदन आने वाले हर भारतीय के लिए उतने ही मददगार हैं।
 
ठाकरे और मोदी
यहां आने-जाने वाली हवाओं में उसके होने की आहटें घुली हैं, बंद खिड़की-दरवाजों पर हवा की यही थपकियां बार-बार उसका ही नाम पुकारती हैं, बस सुनने वाले कान होने चाहिएं। जब से ललित मोदी सुर्खियों के सिरमौर बने हैं, भारत से लंदन जाने वाले नेतागण उनसे मिलने-जुलने से कन्नी काट रहे हैं। 
 
पिछले कुछ दिनों में पंकजा मुंडे, राहुल-प्रियंका व राबर्ट वाड्रा, वसुंधरा के पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह, स्मृति ईरानी के पति अपने बच्चों के साथ लंदन में थे, पर इनमें से किसी ने भी ललित से मिलने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। अगर बड़े नेताओं की बात करें तो ललित मोदी से सबसे आखिर में मिलने वालों में शुमार थे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे और पुत्र आदित्य ठाकरे। ठाकरे परिवार ने ललित मोदी के साथ लंदन के मशहूर कोया रैस्टोरैंट में डिनर किया, जो अपने पेरूवियन फूड के लिए मशहूर है।
 
आर.के. सिंह क्यों बोले?
ख्वाहिशें गौरेया के ताजा पैदा हुए बच्चों के मानिद हैं, सहेजने में हुई एक चूक तो आवारा कौवे बना लेंगे अपना शिकार। पूर्व गृह सचिव और आरा से भाजपा सांसद आर.के. सिंह से क्या दूसरी बार यह चूक हो गई? सूत्र बताते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान आलोक में जब सिंह भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ‘नमो’ से मिले थे तो उन्होंने सिंह को आश्वस्त किया था कि अगर केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी तो उन्हें सरकार में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी, चुनांचे नतीजे आने से ठीक एक दिन पहले एक टी.वी. चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सिंह साहब ने अपने मन की बात कह दी कि वह ‘गृह’ या ‘रक्षा’ दोनों में से कोई भी विभाग संभाल सकते हैं। यह बात भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बेहद नागवार गुजरी। 
 
चुनांचे उन्हें केन्द्र में मंत्री नहीं बनाया गया, उनकी जगह रूडी और राधामोहन सिंह जैसे बिहार के ठाकुर नेताओं को तरजीह मिल गई। इसके बाद सिंह साहब ने कई-कई बार प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा, पर उन्हें समय नहीं मिला। सो, सुषमा व वसुंधरा को लेकर आर.के. सिंह के ताजा बयान को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा सकता है। बाद में रूठे  सिंह साहब को मनाने की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को सौंपी गई, जिन्होंने सिंह साहब को आश्वस्त किया है कि पार्टी बिहार चुनाव में उनका सम्यक इस्तेमाल करेगी।
 
हेमा की दर्दे बयानी
‘जिंदगी का एक हसीन टुकड़ा बीन लेने के लिए जो जितना गहरा उतरेगा, अपने हिस्से का सच पा लेगा।’ ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी को भी लगता है कि उनके हिस्से का सच उपलब्ध हो गया है। पिछले दिनों जब वह अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा पहुंचीं तो उन्हें वहां के लोगों की खासी नाराजगी का सामना करना पड़ा। क्षेत्र की उत्तेजित जनता ने अपनी सांसद से शिकायत की कि क्षेत्र के विकास की एक भी योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। सो, ऐसे में उन्हें अगली बार यहां अपने लिए वोट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। 
 
सूत्र बताते हैं कि अपनी इतनी छिछालेदारी से हेमा नाराज हो गईं और उन्होंने भी खम्म ठोककर मथुरा की जनता से कह दिया कि अगर ऐसा है तो अगली बार वह भी यहां से चुनाव नहीं लडऩा चाहेंगी। 
 
इस प्रकरण के बाद 3 महिला पत्रकार हेमा से मिलने नई दिल्ली के फिरोजशाह रोड स्थित उनके अपार्टमैंट में पहुंचीं और चाय-पानी के बाद यह जानना चाहा कि अगली बार वह मथुरा की जगह कहां से चुनाव लड़ेंगी? सूत्रों की मानें तो हेमा ने छूटते ही कहा, ‘राजस्थान से’। महिला पत्रकारों ने कहा-पर अगली बार तो राजस्थान में भाजपा की मिट्टी पलीद हो जाएगी’, तो हेमा ने हंसकर कहा-’ फिर क्या चारा बचता है, राजस्थान से नहीं तो क्या पाकिस्तान से लड़ूंगी?’  

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