Edited By ,Updated: 11 Jul, 2015 12:59 AM
देश में डिजीटल इंडिया सप्ताह की शुरूआत की गई है। डिजीटल इंडिया प्रोग्राम के तहत डिजीटल लॉकर, ई-हॉस्पिटल, ई-साइन, डिजीटाइज इंडिया प्लेटफॉर्म और नैशनल स्कॉलरशिप पोर्टल जैसे ऐप लॉन्च किए गए हैं।
(डा. वरिंद्र भाटिया): देश में डिजीटल इंडिया सप्ताह की शुरूआत की गई है। डिजीटल इंडिया प्रोग्राम के तहत डिजीटल लॉकर, ई-हॉस्पिटल, ई-साइन, डिजीटाइज इंडिया प्लेटफॉर्म और नैशनल स्कॉलरशिप पोर्टल जैसे ऐप लॉन्च किए गए हैं। साथ ही भारत में नैट, वाई-फाई हॉटस्पॉट और नैक्स्ट जैनरेशन नैटवर्क जैसी नई सेवाएं भी शुरू हुई हैं। डिजीटल इंडिया पोर्टल, डिजीटल इंडिया मोबाइल ऐप, स्वच्छ भारत ऐप और आधार मोबाइल ऐप की भी शुरूआत की गई है।
डिजीटल इंडिया के तहत देश के हर नागरिक को अपने डिजीटल लॉकर की सुविधा मिलेगी। यह लॉकर एक पोर्टल है जहां लॉगइन कर कोई भी व्यक्ति अपने सभी प्रमाण पत्र व अन्य जरूरी कागजात सुरक्षित रख सकता है ताकि उसे जरूरत पडऩे पर किसी भी दफ्तर में प्रमाणपत्र की मूल प्रति पेश करने की जरूरत नहीं पड़े और जिस प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी उसे लॉकर से निकाल कर उपयोग में ला सके। कहने का अर्थ है कि अब जरूरी कागजात जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, मार्कशीट और दूसरे जरूरी दस्तावेज डिजीटली स्टोर होंगे। जिस दफ्तर में यह कागज मांगे जाएं वहां उनका डिजीटल लॉकर वाला लिंक देने भर से काम चल जाएगा। कहीं भी दस्तावेज की हार्ड कॉपी देने की जरूरत नहीं रहेगी। इससे दस्तावेजों को संभालकर रखने का झंझट खत्म हो जाएगा। दस्तावेज गुम होने, चोरी होने या नष्ट होने का डर नहीं रहेगा। दस्तावेजों की प्रामाणिकता स्वत: साबित हो जाएगी यानी फर्जी डिग्री या जाली कागजात जैसी समस्याएं नहीं आएंगी।
डिजीटल इंडिया मिशन के तहत ही एक महत्वपूर्ण पहल ई-अस्पताल की भी है। आज हालत यह है कि दूर-दराज से मरीज को अस्पताल लेकर पहुंचे उसके परिजनों को वहां आकर पता चलता है कि डॉक्टर तो उपलब्ध ही नहीं है। अगर है तो मरीजों की इतनी भीड़ है कि उनका नंबर आना मुश्किल है। किस्मत से नंबर मिला और डॉक्टर ने भर्ती करने को कहा तो पता चलता है कि अस्पताल में बिस्तर ही खाली नहीं है। ई-अस्पताल इन सब दिक्कतों को बीती बात बना देगा। यहां सारे अस्पताल ऑनलाइन होंगे। आप घर बैठे या साइबर कैफे में जाकर डाक्टर से मुलाकात का वक्त ले सकते हैं। यही नहीं, आप डॉक्टरों से ऑनलाइन परामर्श भी ले सकेंगे जिसके चलते ग्रामीण इलाकों से लोगों को बेवजह शहर आकर डाक्टर को दिखाने की जरूरत नहीं रहेगी। नीम-हकीमों के चक्कर में फंसने से निजात मिलेगी।
सरकार के नैशनल स्कॉलरशिप पोर्टल के तहत सभी सरकारी स्कॉलरशिप एक ही वैबसाइट पर उपलब्ध होंगी। ई-बस्ता स्कीम के जरिए छात्रों के लिए ऑनलाइन स्टडी मैटीरियल उपलब्ध कराया जाएगा । ई-बस्ता के जरिए स्कूल की किताबों का सफर ई-बुक्स की ओर चलेगा। साथ ही टैबलेट और लैपटॉप पर भी किताबें पढऩे की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। वहीं डिजीटल लॉकर योजना के तहत आधार से जुड़ा पर्सनल स्टोरेज स्पेस होगा। डिजीटल लॉकर में ई-डॉक्यूमैंट स्टोर कर सकते हैं और सरकारी सेवाओं के लिए भी फिजीकल डॉक्यूमैंट की जरूरत नहीं होगी।
डिजीटल इंडिया एक बड़ा चैलेंज है। सरकार ने इस ई-अभियान के तहत कुछ क्षेत्रों को निर्धारित किया है। सरकार का पहला लक्ष्य है ब्रॉडबैंड हाईवे। इसके तहत देश के आखिरी घर तक ब्रॉडबैंड के जरिए इंटरनैट पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा है कि नैशनल ऑप्टिक फाइबर नैटवर्क का प्रोग्राम, जो तीन-चार साल पीछे चल रहा है। सरकार को यह समझना होगा कि जब आप गांव-गांव तार बिछाने जाएंगे तो आप उन लोगों को यह काम नहीं सौंप सकते जो पिछले 50 सालसे कुछ और बिछा रहे हैं। आपको वे लोग लगाने होंगे जो ऑप्टिक फाइबर नैटवर्क की तासीर समझते हैं।
सरकार का दूसरा लक्ष्य है सबके पास फोन की उपलब्धता। ख्याल अच्छा है, लेकिन सरकार को यह सोचना होगा कि क्या सबके पास फोन खरीदने की क्षमता आ गई है या फिर सरकार अगर यह सोच रही है कि वह खुद सस्ते फोन बनाएगी तो इसके लिए तकनीक और तैयारी कहां है? इसका तीसरा ङ्क्षबदू है पब्लिक इंटरनैट एक्सैस प्रोग्राम। हर किसी के लिए इंटरनैट हो, यह अच्छी बात है। इसके लिए पी.सी.ओ. की तर्ज पर पब्लिक इंटरनैट एक्सैस प्वाइंट बनाए जा सकते हैं। ये पी.सी.ओ. आसानी से समस्या हल कर सकते हैं। लेकिन हर पंचायत के स्तर पर इसको लगाना और चलाना कोई आसान काम नहीं है। इसी के चलते पिछले कई साल से योजना लंबित है।
इसी कड़ी में आगे है ई-गवर्नैंस। यानी सरकारी दफ्तरों को डिजीटल बनाना और सेवाओं को इंटरनैट से जोडऩा। इसे लागू करने का पिछला अनुभव बताता है कि दफ्तर डिजीटल होने के बाद भी उनमें काम करने वाले लोग डिजीटल नहीं हो पा रहे हैं। ई-क्रांति के जरिए सरकार की मंशा है कि इंटरनैट के जरिए विकास गांव तक पहुंचे। इस पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ई-क्रांति के लिए हमारा दिमाग, हमारी सोच, हमारा प्रशिक्षण और उपकरण सब कुछ डिजीटल होना जरूरी है और अगर हम इसे नई सोच के तहत करना चाहते हैं तो इसके लिए हमें पूरी तरह से नया रवैया अपनाना पड़ेगा।
डिजीटल इंडिया योजना के समक्ष कई चुनौतियां हैं। सरकार को डिजीटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भारी निवेश करना होगा। ऑप्टिकल फाइबर का काम लक्ष्य से पीछे चल रहा है। छोटे शहरों, गांवों में कनैक्टिविटी की दिक्कत है। स्पैक्ट्रम की महंगी कीमत भी इस सपने के रास्ते में एक बड़ा रोड़ा है। और सबसे महत्वपूर्ण यह कि देश में साइबर सिक्योरिटी सिस्टम मजबूत बनाना होगा तभी हम भारत के डिजीटल होने के सपने को पूरा होते देख पाएंगे। यह अग्निपथ सरीखी चुनौती है लेकिन असम्भव नहीं है।