पाकिस्तान के निशाने पर ‘पंजाबी नौजवान’

Edited By ,Updated: 19 Jul, 2015 01:39 AM

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पिछले दिनों रक्षा मंत्रालय ने अपनी भर्ती पॉलिसी को लेकर एक सर्वे कराया, इसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले थे। अभी तक सेना में भत्र्ती में पंजाब का स्थान हमेशा अव्वल रहा है।

(त्रिदीब रमण): पिछले दिनों रक्षा मंत्रालय ने अपनी भर्ती पॉलिसी को लेकर एक सर्वे कराया, इसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले थे। अभी तक सेना में भत्र्ती में पंजाब का स्थान हमेशा अव्वल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में लुढ़क कर यह 8वें पायदान पर जा पहुंचा है। बिहार, यू.पी. जैसे राज्य पंजाब से आगे निकल गए हैं। 

सेना के अधिकारियों ने जब इसकी वजह जानने की कोशिश की तो उन्हें यह जानकर काफी हैरानी हुई कि पंजाब की एक पूरी पीढ़ी नशे की भेंट चढ़ती जा रही है, पड़ोसी देश पाकिस्तान कथित तौर पर इस नशे के व्यापार को भारत में फलने-फूलने में मदद कर रहा है। पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है। अफीम के पौधे पॉपी प्लांट से जो फूल निकलता है उसे डोडे कहते हैं, इसके बीज में जब चीरा लगाया जाता है तो इसमें से दूध जैसा एक द्रव्य निकलता है, इसी द्रव्य को सुखा कर उसे प्रोसैसिंग के लिए पाकिस्तान भेजा जाता है। इस पाऊडर से हैरोइन निकालने के लिए एक साल्ट ‘एनहाईड्रेट’ की जरूरत पड़ती है। 
 
इत्तेफाक से इस साल्ट का निर्माण भारत में होता है और यह साल्ट अपने ही देश से पाकिस्तान को निर्यात होता है। संयुक्त राष्ट्र की एन.सी.बी. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में सालाना 100 टन हैरोइन तैयार होती है जिसमें से 30 टन अवैध रूप से भारत भेजी जाती है। शेष चीन के रास्ते कोरिया और जापान जैसे देशों में, कुछ रूस और उससे लगे देशों में तथा कुछ ईरान के रास्ते अन्य देशों में खपाई जाती है। सूत्र बताते हैं कि तैयार हैरोइन की कीमत पाकिस्तान में अमूमन 5 लाख रुपए प्रति किलो होती है, एक बार जब यह बॉर्डर क्रॉस कर भारत पहुंच जाती है तो इसकी कीमत 1 से 5 करोड़ प्रति किलो के बीच पहुंच जाती है। पाकिस्तान अपने इसी छद्मवार से पंजाब की एक पूरी युवा पीढ़ी को तबाह करने में जुटा है।
 
मोदी सरकार की नई रीत 
मोदी सरकार जब से केन्द्र में सत्तासीन हुई है, इसने कई नई परिपाटियों के चलन को हवा दी है। ऐसे वक्त में जबकि भारत अपने पड़ोसी राष्ट्रों के साथ सीमा विवाद नए पेंचोखम में उलझता जा रहा है, पिछले सप्ताह इस सीमा विवाद को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री के कहने पर ‘क्राइसिस मैनेजमैंट कमेटी’ की मीटिंग बुलाई गई। आमतौर पर ऐसी बैठकें साऊथ ब्लॉक में होती हैं, पर पिछले दिनों आहूत क्राइसिस मैनेजमैंट कमेटी की यह मीटिंग नार्थ ब्लॉक में रखी गई थी, इस मीटिंग की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे थे। 
 
इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, बी.एस.एफ. प्रमुख, रक्षा सचिव, विदेश सचिव की उपस्थिति देखी गई। इस पूरी बैठक पर अजित दोभाल की छाप दिखाई दे रही थी जो पी.एम.ओ. के सुर को प्रमुखता से सामने रख रहे थे। यानी परम्पराओं की बानगी पर एक नई कहानी कहने व लिखने में यकीन रखती है मोदी सरकार।
 
कैप्टन के खिलाड़ी
आने वाले वर्ष में चूंकि पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं, चुनांचे तमाम बड़े राजनीतिक दलों में आपसी घमासान भी नए सिरे से परवान चढ़ गया लगता है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए कि आम आदमी पार्टी की पंजाब यूनिट में इन दिनों जिस कदर सिर फुटौव्वल तेज हो गई है, कांग्रेस नेतृत्व अभी से प्रदेश में अपनी सक्रियता को बढ़ाने में जुट गया है, पर पंजाब कांग्रेस में भी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। 
 
पंजाब कांग्रेस के सबसे प्रभावी नेता कैप्टन अमरेन्द्र सिंह राहुल गांधी को फूटी आंखों नहीं सुहाते, ऐसे में कैप्टन को ठंडे बस्ते में डालने का अर्थ होगा पंजाब कांग्रेस में बगावत को हवा देना। 
 
सो, सोनिया गांधी ने बीच का रास्ता निकालते हुए कैप्टन को दिल्ली बुला कर उनसे बात की है और कहा है कि अगर बतौर अध्यक्ष उन्हें बाजवा नापसंद हैं तो वे नए अध्यक्ष के लिए अपनी पसंद के किसी नेता का नाम आगे कर दें। 
 
सूत्र बताते हैं कि कैप्टन ने अपनी ओर से विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील जाखड़ का नाम आगे कर दिया है पर सुनील जाखड़ के नाम पर कांग्रेसियों में सहमति नहीं बन पा रही है। 
 
ज्यादातर कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि अगर बात हरियाणा की राजनीति की होती तो जाखड़ का नाम ठीक था पर पंजाब की राजनीति में जाखड़ परिवार का कोई ज्यादा योगदान नहीं। सो, कैप्टन से कहा गया है कि वे जाखड़ की जगह अपनी पसंद के किसी और नेता का नाम सुझाएं।
 
जेतली की तारीफ में
नरेन्द्र मोदी ने भले ही प्रधानमंत्री पद का सफर तय कर लिया हो, पर उनके अंदर विरोधी नेता का सुर जब-तब जग ही जाता है और वे गांधी परिवार पर सीधा हमला करने के लोभ से बच नहीं पाते हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी अरुण जेतली के श्वसुर व कांग्रेसी नेता गिरधारी लाल डोगरा का जन्म शताब्दी वर्ष मनाने के सिलसिले में जम्मू में थे। मोदी ने कहा कि ‘उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि बतौर वित्त मंत्री डोगरा साहब ने 26 बजट पेश किए, पर जेतली समेत उन्होंने अपने किसी परिवार के सदस्य को कभी कोई फायदा नहीं पहुंचाया, वहीं आज तो हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या-क्या बातें होती हैं।’ सबको मालूम था कि मोदी का सीधा निशाना गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की ओर है, पर मंच पर मौजूद दो प्रमुख कांग्रेसी नेता डा. कर्ण सिंह और गुलाम नबी आजाद इस बाबत चुप्पी साध गए।
 
ऐसे में भला कैसे चलेगी संसद
इस मंगलवार से आरम्भ हो रहे संसद के मानसून सत्र में पलीता लगाने की राहुल ब्रिगेड ने पूरी तैयारी कर ली है, राहुल गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संग अपनी बैठक में इस बात के साफ संकेत दिए हैं कि कांग्रेस इस दफे अपने तोप का मुंह सीधे नरेन्द्र मोदी की तरफ रखेगी। पिछले दिनों जब राहुल जयपुर में थे तो उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं से कहा था कि इन 6 महीनों में मोदी की 56 इंच की छाती 5.6 इंच की हो जाएगी। राहुल चाहते हैं कि मोदी सुषमा, वसुंधरा, पंकजा, रमण सिंह और व्यापमं जैसे मुद्दों पर अपनी चुप्पी तोड़ें। सो, राहुल और उनकी ब्रिगेड की ओर से साफ संकेत मिल रहे हैं कि मोदी सरकार के लिए संसद में भूमि अधिग्रहण से लेकर जी.एस.टी. बिल पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है और मानसून सत्र का पहला फेज हंगामों की भेट चढ़ सकता है।
 
कांग्रेस में भी दो-फाड़
पर कांग्रेस के अंदर एक वर्ग ऐसा भी है जो नहीं चाहता कि सरकार से इतनी रार ठानी जाए कि सरकार भी पलटवार को मजबूर हो जाए। इन्हीं नेताओं का वह वर्ग है जो ललित मोदी की धमकियों को हल्के में नहीं ले रहा, ललित मोदी ने आने वाले दिनों में कांग्रेस की पोल खोलने की धमकी दी है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में ललित मोदी का खुलासा रॉबर्ट वाड्रा को लेकर हो सकता है। 
 
सूत्रों के मुताबिक पूर्व कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज ने भी इस बाबत सोनिया गांधी से बात कर उन्हें यह बताने की कोशिश की है कि कांग्रेस को संसद चलनी देनी चाहिए। वहीं भारद्वाज ने सोनिया से कथित तौर पर यह भी आग्रह किया है कि राजनीतिक लड़ाई में बच्चों को नहीं घसीटा जाना चाहिए। 
 
राहुल को राजपाट सौंपने की जल्दी
अपने पुत्र राहुल गांधी को सियासी राजपाट सौंपने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी बेकरार हैं।  बहुत मुमकिन है कि आने वाले सितम्बर महीने में राहुल गांधी की ताजपोशी का ऐलान हो जाए और सोनिया पार्टी पथ प्रदर्शक की नई भूमिका में अवतरित हो जाएं। अपनी इफ्तार पार्टी में भी जब सोनिया ने इस बात के संकेत दिए कि अब उन पर उम्र का असर दिखने लगा है तो सोनिया मंडली के कई नेता समझ गए कि मैडम अपने पुत्र को राजपाट सौंपने की जल्दी में हैं। वैसे भी सोनिया को ऐसा लगता हैं कि मौजूदा वक्त में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, भाजपा इस वक्त खराब पिच पर बैटिंग कर रही है, ऐसे में परिस्थितिजन्य जो भी लाभ मिलने वाला है वह कांग्रेस को ही मिलेगा। 
 
...और अंत में 
‘व्यापमं’ की तोहमत अब कांग्रेस के सिर मढऩा भाजपा के लिए मुश्किल हुआ जा रहा है क्योंकि व्यापमं घोटाले का जिस शख्स ने पर्दाफाश किया था, उसके संघ के स्वयंसेवक होने के संकेत मिले हैं। डा. अन्ना राय नामक यह व्यक्ति इंदौर का एक डाक्टर है जो इंदौर में भाजपा के मैडीकल विंग से जुड़ा रहा है। डा. राय ने न सिर्फ भाजपा, अपितु सन् 2005 से लेकर 2013 तक संघ की गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है, कई टी.वी. डिबेट में इन्होंने खुद इस बात को स्वीकार भी किया है कि उनका संघ से एक गहरा नाता है।            
 
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