लोगों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गए हैं देश के आवारा कुत्ते

Edited By ,Updated: 29 Aug, 2015 12:52 AM

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देश में आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ रही संख्या बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। विश्व भर में सबसे अधिक लोग भारत में ही आवारा कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं और इनके काटने से होने वाली

देश में आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ रही संख्या बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। विश्व भर में सबसे अधिक लोग भारत में ही आवारा कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं और इनके काटने से होने वाली भयानक बीमारी रैबीज से विश्व में सर्वाधिक (36 प्रतिशत) मौतें भारत में ही होती हैं। 

इस वर्ष अप्रैल मास में मोहाली के कुछ छात्रों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिख कर शिकायत की थी कि उनके इलाके में घूमने वाले 30 से 40 आवारा कुत्तों के कारण इलाके के बच्चों के लिए घर से बाहर निकलना और खेलना भी मुश्किल हो गया है अत: उनकी समस्या का समाधान किया जाए ।
 
छात्रों की उक्त शिकायत के अलावा न्यायालय में पंजाब व हरियाणा से अनेक ऐसे आवेदन लंबित पड़े हैं जिस पर न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों को नोटिस जारी करके उनसे जवाब मांगा था। 
 
पंजाब के डिप्टी एडवोकेट जनरल गौरव गर्ग धूरीवाला ने इस संबंध में 27 अगस्त को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एस.के. मित्तल और न्यायमूर्ति रेखा मित्तल की अदालत में हलफनामा दायर करके इस समस्या से निपटने के मामले में राज्य के स्थानीय निकाय विभाग को दोषी ठहराते हुए आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए बनाई गई नीति को लागू न करने का आरोप लगाया।
 
राज्य सरकार के अनुसार राज्य में कम से कम 59,806 आवारा कुत्तों की शिनाख्त की गई है। 6 जुलाई, 2015 की गणना के अनुसार आवारा कुत्तों की सर्वाधिक संख्या लुधियाना नगर निगम (25,000) तथा उसके बाद अमृतसर (9782), पटियाला (5000), मोहाली (1000), पठानकोट (500), होशियारपुर (492), मोगा (400), फगवाड़ा (167) के अलावा अन्य क्षेत्रों में 17,465 आवारा कुत्ते बताए गए हैं।   
 
न्यायालय को यह भी बताया गया कि अब सभी डिप्टी कमिश्ररों और निगम कमिश्नरों को आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने संबंधी नियमों को कठोरतापूर्वक लागू करने का निर्देश दिया गया है। हलफनामे में न्यायालय को यह भी आश्वासन दिया गया है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 
 
आवारा कुत्तों की समस्या कितना गंभीर रूप धारण कर चुकी है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले चंडीगढ़ में ही प्रति मास कुत्तों के काटने के लगभग 500 मामले सामने आते हैं। जालंधर शहर में जून महीने में 14 वर्ष से कम आयु वर्ग के 80 बच्चों को आवारा कुत्तों ने काटा। कुत्तों के काटने के शिकार हुए वयस्कों की संख्या इसके अलावा है। 
 
जालंधर सिविल अस्पताल के एंटी रैबीज क्लीनिक के इंचार्ज के अनुसार रोजाना कुत्तों के काटने के 15-20 केस सामने आते हैं और प्रति मास लगभग 700-800 पीड़ितों को एंटी रैबीज टीके लगाए जाते हैं। 
 
यह बात तो सर्वविदित है कि यदि रैबीज का वायरस व्यक्ति की केंद्रीय स्नायु प्रणाली में प्रवेश कर जाए तो इससे पैदा होने वाला संक्रमण लगभग असाध्य होता है और कुछ ही दिनों में रोगी की जान ले बैठता है। 
 
वर्षों से चली आ रही इस समस्या की ओर नगर निगमों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा जिस कारण पंजाब ही नहीं, लगभग समूचे देश में आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर रूप धारण करती जा रही है। सोशल प्रिवैंटिव क्रूएलिटी एक्ट (एस.पी.सी.ए.) के अंतर्गत आवारा कुत्तों के नसबंदी आप्रेशन संबंधी प्रयास अपर्याप्त हैं जिसे पंजाब सरकार ने भी स्वीकार किया है। 
 
चूंकि सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने आवारा कुत्तों को मारने पर पाबंदी लगा रखी है, इसलिए इनकी संख्या पर नियंत्रण पाने के लिए इनकी नसबंदी करने और उनके लिए बाड़े बनाने के सिवाय अन्य कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता। इसी कारण ऐसा करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि लोगों को इस समस्या से मुक्ति मिल सके। 
 
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के अनुसार कुत्तों की नसबंदी इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि आप्रेशन के बाद ये किसी को काटते नहीं हैं और इनका व्यवहार भी मित्रवत हो जाता है।  

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