बिहार चुनावों में अब वाम दलों का तीसरा मोर्चा भी मैदान में

Edited By ,Updated: 09 Sep, 2015 11:19 PM

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बिहार में विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित हो गई हैं जो 12 अक्तूबर से 5 नवम्बर तक 5 चरणों में होंगे।

बिहार में विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित हो गई हैं जो 12 अक्तूबर से 5 नवम्बर तक 5 चरणों में होंगे। भाजपा और जद (यू) का 16 जून, 2013 को 17 वर्ष पुराना गठबंधन टूटने तथा लोकसभा चुनावों में भाजपा की भारी सफलता के बाद दोनों दलों में होने वाला यह पहला बड़ा मुकाबला है जिसमें नरेंद्र मोदी एवं नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है।

इन चुनावों में भाजपा को बिहार में जहां राम विलास पासवान (लोजपा) तथा जीतन राम मांझी ‘हम’ के रूप में साथी मिले तो नीतीश ने अपने भूतपूर्व राजनीतिक शत्रु लालू की राजद और पुराने जनता परिवार के सदस्यों व कांग्रेस से हाथ मिला कर ‘जद (यू)-राजद नीत महागठबंधन’ बना लिया है। 
 
अब तक जद (यू) के लिए सब ठीक चल रहा लगता था परंतु पहले 16 अगस्त को सीट बंटवारे के प्रश्र पर राकांपा और फिर 3 सितम्बर को मुलायम सिंह यादव ने भी यू-टर्न लेते हुए सपा को सम्मानजनक सीटें न देने और सोनिया गांधी को अपनी स्वाभिमान रैली में आमंत्रित करने के प्रश्न पर नाराज होकर महागठबंधन से नाता तोडऩे और सभी 243 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा करके इसे झटका दिया है।
 
महागठबंधन की भांति ही ‘भाजपा नीत राजग’ भी अंतर्कलह से अछूता नहीं रहा तथा ‘हम’ के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने लोजपा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर दलित नेता के रूप में परिवार केंद्रित राजनीति करने का आरोप लगा दिया है।
 
मन मुताबिक सीटें न मिलने से नाराज जीतन राम मांझी का कहना है कि ‘‘पासवान दलित नेता हैं जबकि मैं दलितों का नेता हूं इसलिए मुझे पासवान की पार्टी को दी जाने वाली सीटों से अधिक सीटें मिलनी चाहिएं।’’ 
 
इस बीच समस्याओं से जूझ रहे ‘भाजपा नीत राजग’ व ‘जद (यू)-राजद नीत महागठबंधन’ को चुनौती देने के लिए बिहार में 6 वामदलों भाकपा, माकपा, भाकपा माले, एस.यू.सी.आई., फारवर्ड ब्लाक व आर.एस.पी. ने अपना तीसरा मोर्चा बनाकर इनके विरुद्ध चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। इन दलों के नेताओं ने पटना में इस आशय की घोषणा करने के साथ ही कहा कि उनका मोर्चा सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
 
भाकपा ‘माले’ के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने 2014 को ‘नरेंद्र मोदी के जुमलों का साल’ बताते हुए कहा कि ‘‘हम इस मौके की दीर्घकाल  से प्रतीक्षा कर रहे थे। हम से कहा जाता था कि वामदल इकठ्ठे क्यों नहीं होते? आज हम भाजपा के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के ‘जद(यू)-राजद नीत महागठबंधन’ को हराने के लिए इकठ्ठे हो गए हैं।’’
 
भाकपा के ए.बी. वद्र्धन ने कहा, ‘‘हम राज्य व देश के लिए आंदोलन शुरू कर रहे हैं। हमें अपनी सफलता में कोई शक नहीं। वामदलों का ‘तीसरा मोर्चा’ जरूरी है। बिहार की यह लड़ाई देश का भविष्य तय करेगी।’’
 
माकपा के महासचिव सीता राम येचुरी ने कहा कि ‘‘हम राजनीतिक त्रिकोण पर हैं। एक कोने पर नरेंद्र मोदी नीत साम्प्रदायिक शक्तियां हैं जिन्होंने अच्छे दिनों का नारा दिया लेकिन जो जनता को प्याज व दाल तक नहीं दे पा रही हैं। दूसरे कोने पर राजद और जद (यू) जैसी जातिवादी राजनीतिक शक्तियां हैं जो सत्ता के लिए लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल करती हैं।’’
 
‘‘तीसरे कोने पर वामदल हैं जो जनता का शासन चाहते हैं। बिहार में अभी भी किसानों और मजदूरों का प्रतीक चिन्ह हंसिया और हथौड़ा है। ये लव और कुश बिहार में मोदी के ‘अश्वमेधयज्ञ’ के घोड़े को रोकेंगे।’’  
 
अभी तक बिहार में ‘भाजपा नीत राजग’ व ‘जद (यू)-राजद नीत महागठबंधन’ में सीधे मुकाबले की संभावना थी परंतु अब इसमें वामदलों के तीसरे मोर्चे के शामिल हो जाने से मुकाबला बहुकोणीय हो गया है।
 
शायद वामदलों के नेताओं को आशा है कि जिस प्रकार दिल्ली में मतदाताओं ने भाजपा व कांग्रेस दोनों को ठुकरा कर ‘आप’ को वोट दे दिए वैसे ही बिहार में मतदाता  ‘भाजपा नीत राजग’ और ‘जद (यू)-राजद नीत महागठबंधन’ दोनों को ही ठुकरा कर ‘तीसरे मोर्चे’ को वोट दे देंगे।  

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