स्थिरबुद्धि व संशयरहित व्यक्तित्व थे ‘अरुण जेतली’

Edited By ,Updated: 25 Aug, 2019 03:30 AM

arun jaitley  was a stable and doubtless personality

न प्रहृश्येत्प्रियं प्राप्य नोद्विजेत्प्राप्य चाप्रियम।  स्थिरबुद्धिरसंमूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थित:॥ (गीता अध्याय 5 श्लोक 20) अरुण जेतली स्थिर बुद्धि, संशयरहित ब्रह्मवेत्ता पुरुष थे। पत्रकार के रूप में और खासकर दशकों तक भारतीय जनता पार्टी...

न प्रहृश्येत्प्रियं प्राप्य नोद्विजेत्प्राप्य चाप्रियम। 
स्थिरबुद्धिरसंमूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थित:॥
(गीता अध्याय 5 श्लोक 20)
अरुण जेतली स्थिर बुद्धि, संशयरहित ब्रह्मवेत्ता पुरुष थे। पत्रकार के रूप में और खासकर दशकों तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कवर करने वाले रिपोर्टर के रूप में मेरा यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि मैंने पत्रकारिता के कुछ अनछुए पहलू उनसे सीखे। यह भी कहना गलत न होगा कि अंग्रेजी भाषा के मेरे जैसे करीब एक दर्जन पत्रकार भी इस बात की तसदीक करेंगे। उनकी अद्भुत तर्कशक्ति, यूरोपियन व अमरीकी संसद का गहन अध्ययन और केवल अध्ययन ही नहीं, उस काल में दुनिया के राजपुरुषों के सदन में किस्से और वक्तव्य से वर्तमान की घटनाओं में सदृश्यता पैदा करना हम पत्रकारों के लिए इंट्रो लिखने का पावरफुल टूल बन जाता था। यही कारण था कि आज देश के बड़े अखबारों में शीर्ष पर बैठे तमाम पत्रकार शायद अनौपचारिक रूप से उन्हें अपना गुरु ही नहीं मानते, बल्कि अपने वर्तमान मुकाम के लिए उनके ऋणी भी होंगे।

अनौपचारिक संस्था
वह पार्टी में मीडिया के प्रभारी रहे हों या किसी भी मंत्रालय में मंत्री, शाम 4 बजे की डीब्रीफिंग पत्रकार वहीं से लेते थे। कई बार अपनी ही पार्टी की वे खबरें, जो अगले दिन लीड स्टोरी बनती थीं, इसी अनौपचारिक संस्था जेतली जी की डीब्रीफिंग से मिलती थीं। बस शर्त एक ही रहती थी- कहानी में उनका नाम न आए बल्कि जरूरत हो तो सोर्सिज का नाम लिया जाए। 

जाहिर है हम रैगुलर रिपोर्टर्स इस शर्त को संविधान मान कर कभी भी इसका उल्लंघन नहीं करते थे। लेकिन प्रोफैशनल लाभ हटा भी दिया जाए तो जेतली देश-दुनिया के जटिल से जटिल राजनीतिक-आॢथक व कानूनी मुद्दों पर जितनी आसानी से मीडिया के लोगों को समझाते थे, वह सलाहियत शायद गीता के संशयरहित स्थिरबुद्धि ज्ञानी की अवस्था हासिल होने के बाद ही मिलती होगी। एक बार का किस्सा है, मैं उनसे कुछ राजनीतिक हालत पर पूछने के लिए गया तो उन्होंने कहा, गाड़ी में बात करते चलते हैं और तुम्हें दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित और फिरोजशाह कोटला मैदान पर चल रहे क्रिकेट के वल्र्ड जूनियर मैच का क्वार्टर-फाइनल भी दिखाते हैं। 

नया अवतार
मेरी क्रिकेट में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन लगा कि जेतली जी का यह नया अवतार देखा जाए (वह उस समय इस संगठन के अध्यक्ष हुआ करते थे)। हम मैच देखने लगे। फाइव स्टार स्वागत हुआ ‘मेरा’ (क्योंकि जेतली जी उस समय भी बाहर कुछ नहीं खाते थे)। मैच के दौरान एक फोन आया। 

अंग्रेजी में एक मुहावरा है ‘ही कीप्स द रिसीवर जैंटली बट फर्मली’ (वह फोन धीरे से लेकिन दृढ़ता से रखते हैं)। इस कहावत को चरितार्थ करते हुए उन्होंने फोन करने वाले को पूरा सम्मान दिया लेकिन साथ ही कहा, यह संभव नहीं है, और भी खिलाड़ी हैं जिनका ट्रैक रिकॉर्ड उससे बेहतर है। मैं उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकता। इसके बाद उन्होंने चेहरे पर नाराजगी का भाव लाकर फोन काट दिया। वैसे मुझे पूछना नहीं चाहिए था लेकिन मैं यह भी जानता था कि अगर पूछूंगा तो वह न तो तथ्य छिपाएंगे, न ही गलत बताएंगे। कौन था? मैंने पूछा। उन्होंने कहा अरे, जरा भी नैतिकता नहीं है। एक विपक्षी पार्टी के बड़े नेता हैं (उन्होंने मुझे नाम भी बताया जो मैं यहां पर नहीं लिख रहा हूं), अपने बेटे को भारतीय जूनियर टीम में खिलाने के लिए रोज दबाव डाल रहे हैं। 

गहरी, तार्किक व स्पष्ट सोच
जी.एस.टी. को सहज भाषा में समझना हो या राम मंदिर की कानूनी अड़चन की कानूनी व्याख्या करनी हो या फिर न्यायपालिका और विधायिका को लेकर संविधान निर्माताओं द्वारा बैठाए गए संतुलन के सिद्धांत की अमरीकी संविधान निर्माताओं, खासकर जेम्स मेडिसन की अवधारणा से तुलना करनी हो, मैंने आज तक इतनी गहरी, तार्किक और स्पष्ट सोच भारत के किसी अन्य सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति में नहीं पाई है।-एन.के. सिंह

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