सोलोमन में चीन की मक्कारी से ऑस्ट्रेलिया सतर्क

Edited By ,Updated: 26 May, 2022 05:28 AM

australia warns of chinese intrigue in solomon

जैसा कि पहले समझा जा रहा था कि अगला विश्व युद्ध अगर होता है तो उसके केन्द्र में दक्षिणी चीन सागरीय क्षेत्र रहेगा, क्योंकि चीन इस पूरे क्षेत्र को अपने आधिपत्य में लेने की पूरी कोशिश में जुटा हुआ है, लेकिन हाल के कुछ घटनाक्रमों के अनुसार दक्षिणी चीन

जैसा कि पहले समझा जा रहा था कि अगला विश्व युद्ध अगर होता है तो उसके केन्द्र में दक्षिणी चीन सागरीय क्षेत्र रहेगा, क्योंकि चीन इस पूरे क्षेत्र को अपने आधिपत्य में लेने की पूरी कोशिश में जुटा हुआ है, लेकिन हाल के कुछ घटनाक्रमों के अनुसार दक्षिणी चीन सागर से और दक्षिण में, ऑस्ट्रेलिया के नजदीक एक छोटे से द्वीप सोलोमन आईलैंड्स में चीन की धमक साफ देखी जा सकती है। 

पहले चीन ने गुपचुप तरीके से अपने पड़ोसी देशों, जिनमें ब्रुनेई, इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस से लेकर ताईवान तक शामिल हैं, सबकी जमीन पर जबरन कब्जा किया और फिर वहां पर सैन्य अड्डे बनाए, अब वह अपने पैसों के जोर पर सोलोमन आईलैंड्स में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है, जिससे ऑस्ट्रेलिया की पेशानी पर बल पड़ना जाहिर है। 

19 अप्रैल, 2022 को चीन के विदेश प्रवक्ता वांग वेनपिन ने कहा था कि चीन सरकार ने सोलोमन सरकार के साथ एक समझौता किया है, जिस पर चीनी विदेशमंत्री वांग यी और सोलोमन आईलैंड्स के विदेश मंत्री जेरेमियाह मानेले ने हस्ताक्षर भी किए हैं। इस समझौते के अनुसार दोनों देशों की सरकारों ने सुरक्षा को लेकर आपसी सहयोग पर सहमति जताई है। दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते की वजह से विश्व की बड़ी शक्तियों के कान खड़े हो गए हैं। इस समझौते का एक छिपा हुआ हिस्सा था, जो मार्च में लोगों के सामने आया। इस छिपे हुए समझौते में लिखा था कि चीन सोलोमन आईलैंड्स की सुरक्षा के लिए अपनी सेना यहां तैनात कर सकता है और अपना नौसैनिक अड्डा भी बना सकता है। 

सोलोमन आईलैंड्स दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में सामरिक महत्व रखता है और अमरीका से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के रास्ते में पड़ता है, जिसकी वजह से इसका रणनीतिक महत्व बढ़ जाता है। यह जगह ग्वादाल कनाल से ऑस्ट्रेलिया को जोड़ती है, जहां से ऑस्ट्रेलिया का सम्पर्क उत्तरी क्षेत्रों से होता है। इसके रुकने से ऑस्ट्रेलिया का उत्तर में जाने का रास्ता ब्लॉक हो जाएगा। ग्वादाल कनाल क्षेत्र दुनिया की सबसे गहरी और विस्तृत मूंगे की चट्टानों के लिए जाना जाता है और गोताखोरी करने वालों के लिए यह जगह स्वर्ग मानी जाती है। 

ग्वादाल कनाल क्षेत्र वर्ष 1942 में पहली बार तब चर्चा में आया था जब द्वित्तीय विश्वयुद्ध के दौरान अमरीकी एयरक्राफ्ट कैरियर और जापानी एयरक्राफ्ट कैरियर के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें अमरीका की जीत हुई थी। इसके बाद कई दशकों तक सोलोमन आईलैंड्स ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के नजदीक अमरीकी सैन्य अड्डे का केन्द्र बना रहा और इस पूरे क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनी हुई थी। लेकिन हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में चीन के आने से एक बार फिर उथल-पुथल शुरू हो गई है, जिससे ऑस्ट्रेलिया चिंतित है और अमरीका को भी इस बात का डर है कि अगले बड़े युद्ध का केन्द्र सोलोमन आईलैंड्स का क्षेत्र हो सकता है। 

दरअसल 24 मार्च को चीन और सोलोमन आईलैंड्स के बीच हुए सुरक्षा समझौते की एक प्रति इंटरनैट पर लीक हो गई, जिसके तहत चीन अपनी नौसेना को वहां पर ट्रांजिट के लिए रोक सकता था, साथ ही एक नौसैन्य अड्डा भी बना सकता है, ताकि सोलोमन आईलैंड्स में चीनी लोगों और कंपनियों की सुरक्षा की जा सके। इसे लेकर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दोनों देश चिंतित हैं जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया हरकत में आ गया। 

अप्रैल के अंतिम सप्ताह में व्हाइट हाऊस के हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के को-ऑडिनेटर कोर्ट कैम्पबेल ने सोलोमन आईलैंड्स, फिजी और पापुआ न्यू गिनी की यात्रा की और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के वरिष्ठ अमरीकी सैन्य अधिकारियों के अलावा क्षेत्रीय सहयोगियों के दल से मुलाकात की। पहले 13 अप्रैल को ऑस्ट्रेलिया के विदेश विभाग के प्रशांत क्षेत्र के मंत्री जेड सेसेलजा ने अपने गृह नगर में चुनावी दौरों को रद्द कर सोलोमन आईलैंड्स की यात्रा की। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के 2 वरिष्ठ खुफिया विभाग के अधिकारियों ने सोलोमन आईलैंड्स की यात्रा कर वहां के प्रधानमंत्री से मुलाकात कर चीन के साथ सुरक्षा संबंधों पर हुए समझौतों को लेकर ऑस्ट्रेलियाई सरकार की चिंता जताई। 

चीन के लिए सबसे बड़ी विजय यह थी कि सोलोमन आईलैंड्स ने ताईवान को छोड़ कर चीन का दामन थाम लिया, लेकिन चीन के मंसूबे कुछ और हैं। जबसे ऑस्ट्रेलिया ने चीन में कोरोना महामारी की जांच के लिए एक निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय मैडीकल दल भेजने की मांग की है, तभी से चीन ऑस्ट्रेलिया को लेकर भन्नाया हुआ है और उसको घेरने की हर कोशिश कर रहा है। 

ऑस्ट्रेलिया चीन की दक्षिणी क्षेत्र में गतिविधियों और सोलोमन आईलैंड्स में दखलअंदाजी से चिंतित है, लेकिन चीन से निपटने के लिए उसने अपने उत्तरी तट डाॢवन बंदरगाह को मजबूत बनाने की शुरूआत कर दी है। ऑस्ट्रेलिया सरकार ने डाॢवन बंदरगाह को वर्ष 2015 में चीन की कंपनी लैंडब्रिज ग्रुप को 99 वर्ष के लिए पट्टे पर दिया था, अब ऑस्ट्रेलिया इसे खुद के लिए खतरा महसूस कर रहा है। 31 मार्च, 2022 को ऑस्ट्रेलियाई वित्तमंत्री साइमन बॄमघम ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया1.1 अरब अमरीकी डॉलर की लागत से एक नई डार्विन बंदरगाह बनाने की जुगत में जुट गया है, जिसे ऑस्ट्रेलियाई और अमरीकी युद्धपोत अपनी सुविधा से इस्तेमाल कर सकेंगे। 

हाल ही में यह जानकारी सामने आई है कि लैंडब्रिज ग्रुप चीन के संबंध सी.पी.सी. और पी.एल.ए. के साथ भी हैं। ऑस्ट्रेलिया चीन को दिए गए पट्टे को रद्द करने में असमर्थ है और डाॢवन बंदरगाह से अमरीकी नौसेना के युद्धपोत दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र को पार कर ऑस्ट्रेलिया आते थे, चीन के डार्विन को पट्टे पर लेने से ये सब खतरे में पड़ गया है। वहीं चीन की नौसेना ऑस्ट्रेलिया की नौसेना से बहुत मजबूत है। दक्षिणी प्रशांत  क्षेत्र और ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए विश्व की सभी लोकतांत्रिक शक्तियां एक हो रही हैं, ताकि कम्युनिस्ट चीन को इस पूरे क्षेत्र में अलग-थलग कर यहां से बाहर किया जाए। यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकतांत्रिक शक्तियां विश्व की इकलौती कम्युनिस्ट शक्ति पर कैसे जीत हासिल करती हैं।

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