जम्मू-कश्मीर में बाबुओं को मिला ‘डोमिसाइल सर्टीफिकेट’

Edited By ,Updated: 13 Aug, 2020 04:43 AM

babus gets domicile certificate in jammu and kashmir

जम्मू -कश्मीर में धारा 370 के निरस्त हो जाने के बाद प्रशासन ने मूल निवासी प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टीफिकेट) जारी करने शुरू कर दिए हैं। नए नियमों के तहत मूल निवासी प्रमाण पत्र नए स्थानीय लोगों को मिल जाएंगे। वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी नवीन कुमार चौधरी...

जम्मू -कश्मीर में धारा 370 के निरस्त हो जाने के बाद प्रशासन ने मूल निवासी प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टीफिकेट) जारी करने शुरू कर दिए हैं। नए नियमों के तहत मूल निवासी प्रमाण पत्र नए स्थानीय लोगों को मिल जाएंगे। वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी नवीन कुमार चौधरी जोकि बिहार से संबंध रखते हैं, पहले ऐसे नौकरशाह  बने हैं जिन्होंने केंद्रीय शासित प्रदेश में मूल निवासी अधिकार प्राप्त किया है। चौधरी एक 1994 बैच के जे. एंड के. कैडर अधिकारी हैं। वर्तमान में वह जे एंड के एग्रीकल्चर प्रोडक्शन डिपार्टमैंट में प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत हैं।

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए फास्ट ट्रैक के तहत एक ई-एप्लीकेशन लांच की थी। यह स्थानीय तथा गैर-स्थानीय दोनों के लिए थी। इस वर्ष के शुरू में गृह मंत्रालय ने आदेश दिया था कि मूल निवासी प्रमाण पत्र किसी को भी जारी किया जा सकेगा, जो जम्मू-कश्मीर में 15 वर्षों से निवास कर रहा है या फिर उसने 7 वर्षों तक वहां पढ़ाई की हो।

मंत्रालय ने यह भी आदेश दिया कि जिस किसी ने जम्मू-कश्मीर के शैक्षिक संस्थानों में 10वीं की परीक्षा तथा 12वीं की परीक्षा दी हो वह भी मूल निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेगा। हालांकि केंद्र शासित प्रदेश में गृह मंत्रालय के इस कदम ने कई सवाल उठाए हैं। कुछ लोग इसे जम्मू-कश्मीर की जनसांंख्यिकी तथा कश्मीरियों की सांस्कृतिक पहचान में बदलाव मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार 30,000  से ज्यादा लोगों ने जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा कानूनों में किए गए बदलावों के बाद से मूल निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं। 

भेदभावपूर्ण सेवानिवृत्ति चलन
ऐसे समय में जबकि कोविड महामारी ने राज्यों को अपने खर्चों पर अंकुश लगाने के लिए बाध्य किया है, वहीं तमिलनाडु सरकार ने सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों के लिए सेवानिवृत्ति लाभों को बढ़ाने का निर्णय किया है। आई.ए.एस. अधिकारी संगठन तथा वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा दायर याचिकाओं के नतीजे में सभी सेवानिवृत्त प्रमुख सचिवों तथा अतिरिक्त प्रमुख सचिवों के 10,000 के अतिरिक्त मासिक सेवक भत्तों में बढ़ौतरी की गई है। 

तमिलनाडु सरकार के इस कदम को देखते हुए दूसरे राज्यों की भौहें तन गई हैं क्योंकि उन्होंने सरकारी अधिकारियों के डी.ए. को अभी रोक लिया है। 2 माह पूर्व सरकार ने बाबुओं की सेवानिवृत्त आयु को 58 से 59 वर्ष बढ़ा दिया था ताकि पैंशन के बोझ को कम किया जा सके। हाल ही में सरकार ने प्रमुख सचिव के. शानमुग्म जोकि सेवानिवृत्त हो रहे थे, को 3 माह का विस्तार दिया है। सूत्रों के अनुसार तमिलनाडु सरकार ने इस आदेश को पड़ोसी राज्य कर्नाटक के ऐसे ही आदेश पर आधारित किया है जोकि 2015 में दिया गया है। उस समय कर्नाटक सरकार ने प्रमुख सचिवों तथा अतिरिक्त प्रमुख सचिवों का सेवक भत्ता 6,000 करने की अनुमति दी थी। इसके साथ-साथ टैलीफोन तथा मैडीकल भत्ता भी बढ़ाया गया था। 

खट्टी दवाई
मणिपुर को राज्य के नए प्रमुख सचिव वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी (मणिपुर कैडर) राजेश कुमार के रूप में एक योग्य डाक्टर मिला है।  राजेश कुमार जोकि अतिरिक्त प्रमुख सचिव थे, वह जे. सुरेश बाबू का स्थान लेंगे।  संयोगवश यह बाबू एक डाक्टर ही थे जो बाद में सिविल सर्वेंट बने। 

कुमार की नियुक्ति कई छात्र संगठनों की मांग की पृष्ठभूमि में हुई है जिनकी मांग थी कि प्रमुख सचिव के पद पर एक योग्य राज्य निवासी को नियुक्त किया जाए। कुमार 1988 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी हैं। एक बार जब कुमार की नियुक्ति की घोषणा हो गई तो कुछ संगठन मांग कर रहे हैं कि इस निर्णय की समीक्षा की जाए। हालांकि राज्य सरकार ने इस मांग पर अपनी मोहर लगाने का कोई संकेत नहीं दिया है। 

छात्रों ने इस नियुक्ति को स्थानीय समुदायों के अधिकारों की अनदेखी करना करार दिया है, वहीं डा. कुमार की नए प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति जख्म पर मरहम का काम करेगी।--कश्मीर में धारा 370 के निरस्त हो जाने के बाद प्रशासन ने मूल निवासी प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टीफिकेट) जारी करने शुरू कर दिए हैं। नए नियमों के तहत मूल निवासी प्रमाण पत्र नए स्थानीय लोगों को मिल जाएंगे। वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी नवीन कुमार चौधरी जोकि बिहार से संबंध रखते हैं, पहले ऐसे नौकरशाह बने हैं जिन्होंने केंद्रीय शासित प्रदेश में मूल निवासी अधिकार प्राप्त किया है। चौधरी एक 1994 बैच के जे. एंड के. कैडर अधिकारी हैं। वर्तमान में वह जे एंड के एग्रीकल्चर प्रोडक्शन डिपार्टमैंट में प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत हैं। 

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए फास्ट ट्रैक के तहत एक ई-एप्लीकेशन लांच की थी। यह स्थानीय तथा गैर-स्थानीय दोनों के लिए थी। इस वर्ष के शुरू में गृह मंत्रालय ने आदेश दिया था कि मूल निवासी प्रमाण पत्र किसी को भी जारी किया जा सकेगा, जो जम्मू-कश्मीर में 15 वर्षों से निवास कर रहा है या फिर उसने 7 वर्षों तक वहां पढ़ाई की हो। मंत्रालय ने यह भी आदेश दिया कि जिस किसी ने जम्मू-कश्मीर के शैक्षिक संस्थानों में 10वीं की परीक्षा तथा 12वीं की परीक्षा दी हो वह भी मूल निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेगा। 

हालांकि केंद्र शासित प्रदेश में गृह मंत्रालय के इस कदम ने कई सवाल उठाए हैं। कुछ लोग इसे जम्मू-कश्मीर की जनसांंख्यिकी तथा कश्मीरियों की सांस्कृतिक पहचान में बदलाव मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार 30,000  से ज्यादा लोगों ने जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा कानूनों में किए गए बदलावों के बाद से मूल निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं। 

भेदभावपूर्ण सेवानिवृत्ति चलन
ऐसे समय में जबकि कोविड महामारी ने राज्यों को अपने खर्चों पर अंकुश लगाने के लिए बाध्य किया है, वहीं तमिलनाडु सरकार ने सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों के लिए सेवानिवृत्ति लाभों को बढ़ाने का निर्णय किया है। आई.ए.एस. अधिकारी संगठन तथा वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा दायर याचिकाओं के नतीजे में सभी सेवानिवृत्त प्रमुख सचिवों तथा अतिरिक्त प्रमुख सचिवों के 10,000 के अतिरिक्त मासिक सेवक भत्तों में बढ़ौतरी की गई है। 

तमिलनाडु सरकार के इस कदम को देखते हुए दूसरे राज्यों की भौहें तन गई हैं क्योंकि उन्होंने सरकारी अधिकारियों के डी.ए. को अभी रोक लिया है। 2 माह पूर्व सरकार ने बाबुओं की सेवानिवृत्त आयु को 58 से 59 वर्ष बढ़ा दिया था ताकि पैंशन के बोझ को कम किया जा सके। हाल ही में सरकार ने प्रमुख सचिव के. शानमुग्म जोकि सेवानिवृत्त हो रहे थे, को 3 माह का विस्तार दिया है। सूत्रों के अनुसार तमिलनाडु सरकार ने इस आदेश को पड़ोसी राज्य कर्नाटक के ऐसे ही आदेश पर आधारित किया है जोकि 2015 में दिया गया है। उस समय कर्नाटक सरकार ने प्रमुख सचिवों तथा अतिरिक्त प्रमुख सचिवों का सेवक भत्ता 6,000 करने की अनुमति दी थी। इसके साथ-साथ टैलीफोन तथा मैडीकल भत्ता भी बढ़ाया गया था। 

खट्टी दवाई
मणिपुर को राज्य के नए प्रमुख सचिव वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी (मणिपुर कैडर) राजेश कुमार के रूप में एक योग्य डाक्टर मिला है।  राजेश कुमार जोकि अतिरिक्त प्रमुख सचिव थे, वह जे. सुरेश बाबू का स्थान लेंगे।  संयोगवश यह बाबू एक डाक्टर ही थे जो बाद में सिविल सर्वेंट बने। 

कुमार की नियुक्ति कई छात्र संगठनों की मांग की पृष्ठभूमि में हुई है जिनकी मांग थी कि प्रमुख सचिव के पद पर एक योग्य राज्य निवासी को नियुक्त किया जाए। कुमार 1988 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी हैं। एक बार जब कुमार की नियुक्ति की घोषणा हो गई तो कुछ संगठन मांग कर रहे हैं कि इस निर्णय की समीक्षा की जाए। हालांकि राज्य सरकार ने इस मांग पर अपनी मोहर लगाने का कोई संकेत नहीं दिया है। छात्रों ने इस नियुक्ति को स्थानीय समुदायों के अधिकारों की अनदेखी करना करार दिया है, वहीं डा. कुमार की नए प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति जख्म पर मरहम का काम करेगी।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन 

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