एक उज्ज्वल राष्ट्र की तरह बांग्लादेश का उदय

Edited By ,Updated: 03 Apr, 2021 03:09 AM

bangladesh s rise as a bright nation

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मार्च के अंत में ढाका की यात्रा भारत के लोगों को दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा निभाई गई भूमिका का स्मरण करवाती है जो उन्होंने पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से (अब बंगलादेश) के लोगों को आजाद करवाने में निभाई थी।...

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मार्च के अंत में ढाका की यात्रा भारत के लोगों को दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा निभाई गई भूमिका का स्मरण करवाती है जो उन्होंने पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से (अब बंगलादेश) के लोगों को आजाद करवाने में निभाई थी। इंदिरा ने पूर्वी पाकिस्तान के उत्पीड़न झेल रहे लोगों को इस्लामाबाद की दमनकारी नीतियों से आजाद करवाया। यह कुछ नहीं बल्कि ‘पाकिस्तान का नरसंहार’ था। 

इसके चलते 10 मिलियन पूर्वी पाकिस्तानी सीमा पार कर भारत के अंदर घुस गए थे। घुसपैठ की इतनी बड़ी तादाद ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया था। भारत ने पाकिस्तान को शरणाॢथयों के अपने घरों को लौटने के लिए उपाय करने के बारे में कहा था। हालांकि इस संदर्भ में भारत-पाक बातचीत असफल हो गई थी जिसके चलते पाकिस्तान ने भारत पर 3 दिसम्बर 1971 को हमला कर दिया। यह युद्ध 13 दिनों तक चला। युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे बंगलादेश के लोगों को अपना पूरा समर्थन दिया था। अमरीका में उस समय राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन का शासन था। निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैनरी किसिंगर थे। वाशिंगटन का लक्ष्य पूरी तरह से पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति याहिया खान को अपना पूरा समर्थन देना था। 

वाशिंगटन ने यहां तक कि बंगाल की खाड़ी में ‘सैवन्थ फ्लीट’ को भेजा ताकि भारतीय सेना को धमकाने का प्रयास किया जाए जो ढाका की तरफ बढ़ रही थी। दिसम्बर 1971 को नई दिल्ली मुक्ति वाहिनी (स्वतंत्रता संग्रामी) को पूरी सहायता देने के लिए दृढ़ संकल्पित थी। मुक्ति वाहिनी का नेतृत्व शेख मुजीबुर्रहमान रहमान कर रहे थे। बंगलादेश की 50वीं आजादी की वर्षगांठ मनाने के दौरान हम इंदिरा गांधी की सराहनीय भूमिका को नकार नहीं सकते। इंदिरा ने कूटनीतिक योग्यता तथा एक जोरदार दृढ़ शक्ति दिखाई थी। 

उस समय इंदिरा गांधी शक्तिशाली सुपर पावर तथा दमनकारी पाकिस्तानी जरनैलों के खिलाफ खड़ी थीं। बंगलादेश को आजाद करवाने की इंदिरा गांधी की इच्छा शक्ति साम्राज्यवाद तथा विस्तारवादी नीति के बिना थी। अमरीकी ताकत के समक्ष अपने आपको खड़े रखने से इंदिरा गांधी  एक अनूठी मिसाल बनीं। 

कड़े हालातों के साथ जिस तरह से इंदिरा ने निपटा उसके लिए हम भारतवंशियों को गर्व है। मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंदिरा गांधी के उस कदम को सराहा। 3 दिसम्बर 1971 को इस्लामाबाद ने कुछ भारतीय एयरबेसों पर हमले किए। इंदिरा गांधी उस समय कोलकाता में थीं। राष्ट्र को संबोधित करने के लिए वह एकदम से नई दिल्ली पहुंचीं। उन्होंने कहा,‘‘भारत के खिलाफ युद्ध थोप दिया गया है।’’ पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए भारत ने अच्छी तरह से कार्रवाई की है। युद्ध का अंत पूर्वी पाकिस्तान  के पश्चिमी पाकिस्तान से कट जाने के साथ हुआ जिसके नतीजे में एक आजाद बंगलादेश का उदय हुआ। 

भारत के लिए यह एक शानदार जीत थी। इसके बाद इंदिरा गांधी ने युद्ध विराम की घोषणा की। 1971 का युद्ध तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए महान गौरव के क्षणों को लेकर आया। कई राजनीतिक पार्टियों द्वारा इंदिरा को ‘देवी’ के नाम से पुकारा जाने लगा। पूर्व दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा को सर्व शक्तिमान ‘देवी दुर्गा’ के तौर पर उनका व्याखान किया। वह समय भारत तथा इसके नागरिकों के लिए गौरवमयी क्षण थे। एक उज्जवल बंगलादेश ने 50 वर्षों का एक लम्बा समय तय किया। इस क्षेत्र में बंगलादेशी अर्थव्यवस्था तेजी से वृद्धि कर रही है। इसकी जी.डी.पी. अब 300 बिलियन डालर से ऊपर की हो चुकी है और आज इसकी प्रति व्यक्ति आय करीब 200 डालर की है। 

विश्व बैंक ने बंगलादेश की गरीबी को कम कर ऊपर उठने की कहानी बताई है। इस युवा देश में हर तरफ विकास तथा खुशहाली के नए संकेत दिखाई दे रहे हैं। सैन्य नेतृत्व वाली केयरटेकर सरकार के 2 वर्षों तथा बंगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी (बी.एन.पी.) के 2001 से लेकर 2006 तक के शासनकाल के बाद 2008 में शेख हसीना सत्ता में आई थीं। हसीना ने आतंक विरोधी तथा धन शोधन विरोधी कानूनों को पारित करने में सफलता हासिल की। यह सब भारत की मदद से संभव हुआ। हसीना की पार्टी आवामी लीग की सफलता की कहानी का यह हिस्सा था। उन्होंने संसद में 300 में से 258 सीटें जीतीं। 

अमरीकी विदेश मंत्री हैनरी किसिंगर ने एक बार बंगलादेश को एक ‘बास्केट केस’ कह कर पुकारा था। हालांकि राजनीतिक स्थिरता, भविष्य की ओर देखने वाले नेतृत्व तथा नीतियों ने बंगलादेश की वृद्धि दर 7 से 8 प्रतिशत प्रति वर्ष यकीनी बनाने में मदद की। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बंगलादेश की वृद्धि दर चीन से भी ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी द्विपक्षीय समझौतों को नए आयाम दिए हैं। दोनों देशों के सांझा बयान में सभी प्रकार के आतंकवाद को जड़ से मिटाने की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई गई है। 

कोविड-19 वैक्सीन की करोड़ों डोज के अलावा दिल्ली ने बंगलादेश को 109 लाइफ सपोर्टिंग एम्बुलैंस भी मुहैया करवाई हैं। इनमें से कुछेक कॉक्स बाजार में रोङ्क्षहग्या शरणार्थी कैंपों के लिए दी गई हैं। यह मानना पड़ेगा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत के साथ एक सशक्त रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत सारे कार्य किए हैं।-हरि जयसिंह     
 

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