Edited By ,Updated: 20 Aug, 2019 03:55 AM
जहां देश अभी भी स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ के जश्रों में डूबा हुआ है, वहीं बिहार तथा झारखंड को एक कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ रहा है जहां अत्यंत गरीबी, भुखमरी तथा कर्जों के कारण ग्रामीण अपना जीवन समाप्त करने या अपने बच्चों को बेचने के लिए...
जहां देश अभी भी स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ के जश्रों में डूबा हुआ है, वहीं बिहार तथा झारखंड को एक कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ रहा है जहां अत्यंत गरीबी, भुखमरी तथा कर्जों के कारण ग्रामीण अपना जीवन समाप्त करने या अपने बच्चों को बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। गत दो-तीन दिनों के भीतर ही कम से कम ऐसी तीन घटनाएं सामने आई हैं।
दिल को कचोट देने वाला एक मामला नालंदा का है जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है, जहां एक गरीब महिला अपने दो नन्हे बच्चों को बेचने का प्रयास करते पाई गई ताकि जीवन यापन कर सके। मीडिया के कारण महिला को उसके बच्चे बेचने से बचा लिया गया और बाद में दोनों कुपोषित बच्चों के साथ उसे स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। पटना की सोनम देवी का विवाह लगभग तीन वर्ष पूर्व नालंदा के एक व्यक्ति के साथ हुआ था जिसका कुछ समय बाद निधन हो गया जिस कारण महिला पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
मझधार के बीच छोड़ दी गई महिला ने नालंदा जिले के ही एक अन्य व्यक्ति से विवाह कर लिया, लेकिन जैसे ही उसके पति को पता चला कि वह तपेदिक से पीड़ित है, उसने उसे छोड़ दिया। इसके बाद अपने दोनों बच्चों दो वर्षीय बेटी तथा छह माह के बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई लेकिन उसे महसूस हुआ कि उसके लिए जीवन की गाड़ी खींचना अत्यंत कठिन है।
कोई मदद नहीं
कोई मदद मिलती न देख और परिवार को भुखमरी का सामना होने के कारण अंतत: महिला ने अपने दोनों बच्चों को बेचने का निर्णय किया। स्थिति को और भी बदतर बनाते हुए स्थानीय ग्रामीणों ने उसे गांव से बाहर निकाल दिया। हालांकि स्थानीय मीडिया ने इस मामले को उठाया जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और महिला तथा उसके बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। अस्पताल के एक अधिकारी सुरजीत कुमार ने बताया कि उन्होंने उन तीनों को इसलिए अस्पताल में भर्ती किया क्योंकि वे कुपोषित थे।
बाद में महिला ने बताया कि उसने इसलिए अपने बच्चों को बेचने का प्रयास किया ताकि वे उसकी मौत के बाद भी अपना जीवन जी सकें। उसने बताया कि उसे कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उसे नहीं पता था कि वह कब मर जाएगी इसलिए वह अपने बच्चे किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपना चाहती थी जो उसे धन (उसके उपचार के लिए) दे सके। हाल के महीनों में पड़ोसी झारखंड से भी बच्चों को बेचने के ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
एक अन्य घटना में गोपालगंज जिला के एक किसान ने कीटनाशक दवा खाकर इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि वह अत्यंत वित्तीय संकट में था। पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि 50 वर्षीय मनोज तिवारी, जो 8 बच्चों का पिता था व उसका परिवार एक स्थानीय ईंट-भट्ठा, जिसमें वे काम कर रहे थे के वर्षा के मौसम के चलते गत एक महीने से अधिक समय से बंद होने के कारण भुखमरी का सामना कर रहा था। इसके बाद उसने स्थानीय ग्रामीणों से ऋण लिए थे लेकिन धन लौटाना अत्यंत कठिन था। अंतत: उसने अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय किया।
एक ही परिवार के चार सदस्यों द्वारा आत्महत्या
इससे भी अधिक परेशान करने वाली घटना झारखंड के गढ़वा जिला की है जहां अत्यंत गरीबी के कारण एक ही परिवार के चार सदस्यों ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बताया कि शिवकुमार रजक नामक व्यक्ति ने अपनी पत्नी तथा दो बेटियों की उनकी रजामंदी से हत्या करने के बाद खुद को पेड़ से लटका कर आत्महत्या कर ली। पारिवारिक संबंधियों ने बताया कि पीड़ित परिवार ने बैंकों तथा ग्रामीणों से खेती के लिए कर्जे ले रखे थे लेकिन फसल खराब होने के बाद वह भारी कर्ज के बोझ तले दब गया था।
गत सप्ताह 20 वर्षीय एक युवक ने उस समय खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली जब उसकी कम्पनी ने उसे कार्यालय आने से मना कर दिया। जमशेदपुर स्थित टाटा मोटर्स को कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली एक आटोमोबाइल अनुषंगी कम्पनी में काम करने वाले पीड़ित युवक को लगभग एक माह पूर्व कुछ अन्य कर्मचारियों के साथ काम से अलग कर दिया गया था।-एम. चौरसिया