बाइक राइडिंग और महिलाएं

Edited By ,Updated: 01 Jul, 2022 05:59 AM

bike riding and women

भारत में आमतौर पर मोटर साइकिल चलाना या बाइक राइडिंग करना ज्यादातर पुरुषों का खेल ही माना जाता था लेकिन गुरुग्राम की सुपर्णा सरकार एक ऐसी लड़की है जिसने अपनी ‘स्टार एकैडमी ऑफ बाइक ट्रेनिंग’ के माध्यम से पुरुषों की इस दुनिया में अपनी पहचान बना ली है।...

भारत में आमतौर पर मोटर साइकिल चलाना या बाइक राइडिंग करना ज्यादातर पुरुषों का खेल ही माना जाता था लेकिन गुरुग्राम की सुपर्णा सरकार एक ऐसी लड़की है जिसने अपनी ‘स्टार एकैडमी ऑफ बाइक ट्रेनिंग’ के माध्यम से पुरुषों की इस दुनिया में अपनी पहचान बना ली है। इसके माध्यम से सुपर्णा ने कई महिलाओं को बाइक राइडिंग की ट्रेनिंग देकर पुरुषों को अच्छी टक्कर दी है। सुपर्णा ने यह दिखा दिया कि कोई भी काम सिर्फ पुरुषों के लिए ही नियत हो ऐसा नहीं है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ अपने शौक को सुपर्णा ने जिंदा रखा है और फिर उसी को अपना पेशा बना लिया। 

भारत की मोटरसाइकिलों के सभी ब्रांडों में ‘मर्द बाइक’ मानी जाने वाली ‘रॉयल एनफील्ड या बुलेट’ को चलाना कभी-कभी मर्दों के बस की बात भी नहीं होती। लेकिन सुपर्णा ऐसी दो रायल एनफील्ड मोटरसाइकिलों की मालकिन हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इन मोटरसाइकिलों पर होने वाले ऑफ रोडिंग और डर्ट बाइकिंग इवैंट्स में भी हिस्सा लिया और पहला स्थान भी हासिल किया। 2019 में उन्होंने महिलाओं के  बीच हुई ‘द आगरा ताज बाइक रैली’ में भी पहला स्थान हासिल किया। इतना ही जलवा काफी नहीं था, तो जब सुपर्णा की शादी हुई तो उन्होंने बाइक पर सवार होकर मेहमानों के सामने शादी में एक शानदार एंट्री की थी, जो किसी ने पहले न कभी देखा न सुना। 

कहावत है कि ‘जो रुचे सो पचे’, यदि आपको एक आलीशान दफ्तर में एक अच्छे पद पर बैठा दिया जाए और आपका मन कुछ और करने की सोचे तो क्या होगा? न तो आप जो कर रहे हैं, वह अच्छे कर पाएंगे और न ही अपने सपने को सच कर पाएंगे। इसलिए अपने करियर की शुरूआत एक आई.टी. कम्पनी से करने वाली सुपर्णा ने बहुत जल्द ये सोच लिया कि वह बाइक राइडिंग को ही अपना पेशा बनाएंगी। सुपर्णा कहती हैं कि 2018 में जब उन्हें अपने ही कालेज में एक व्याख्यान देने के लिए बुलाया गया था तो उन्होंने यह इच्छा जाहिर की कि वे सुरक्षित बाइक राइडिंग की एक ट्रेनर बनना चाहती हैं। 

इरादे की पक्की सुपर्णा ने कुछ ही महीनों में एक बाइक राइङ्क्षडग ट्रेनर की नौकरी करनी शुरू कर दी। वहां उन्होंने करीब 18 महीने काम किया। जब कोविड महामारी के कारण वह भी औरों की तरह घर की चारदीवारी में सिमट कर रह गईं तो भी उन्होंने अपने इस इरादे को जिंदा रखा। 

सुपर्णा ने जब एहसास किया कि वह खुद एक सुरक्षित बाइक राइडर हैं तो क्यों न इस कला को सबके साथ सांझा किया जाए। खासकर महिलाओं को इस कला में शिक्षित करने के इरादे से उन्होंने कोविड महामारी के दौरान अपनी ही एक एकैडमी बनाई। आज इस एकैडमी में न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष दोनों ही सुरक्षित बाइक राइडिंग सीखने आते हैं। जिन लोगों ने सुपर्णा को इस एकैडमी में प्रशिक्षण देते हुए देखा है वह कहते हैं कि सुपर्णा न सिर्फ बाइक राइडिंग सिखाती हैं बल्कि इसकी बारीकियों से भी अपने विद्यार्थियों को परिचित कराती हैं। 

वह हरेक सीखने वाले को न सिर्फ  पूरा समय देती हैं बल्कि उनसे उनकी समस्या को समझ कर उसका समाधान भी करती हैं। देश भर की युवतियों के लिए सुपर्णा का जीवन सचमुच बहुत प्रेरणादायक है जिसने रूढिय़ों को तोड़ कर वह कर दिखाया जो हर मर्द भी आसानी से हिम्मत नहीं करेगा। ऐसी लगन से ही अपने मकसद को हासिल किया जाता है।

प्राय: लड़कियां लोक निंदा के भय से संकोच कर जाती हैं या उनके परिवारजन प्रोत्साहित नहीं करते कि लोग क्या कहेंगे? पर इसकी परवाह किए बिना जब सुपर्णा ने जब अपनी मल्टीनैशनल कम्पनी की पहली नौकरी बदली तो उन्हें एक मोटरसाइकिल की कम्पनी में राइड आयोजन की मार्कीटिंग का काम मिला। यहां उन्होंने अपने इस इरादे को पंख लगा दिए। इसी जॉब के लिए उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग डिग्री वाली नौकरी छोड़ दी। यह सोच कर कि डिग्री तो उनके पास है ही और इसी आधार पर नौकरी भी दोबारा मिल जाएगी लेकिन बाइक राइडिंग के अपने जज्बे को जिंदा रखने का यही एक मौका था। 

फौजी की इस बेटी ने दृढ़ संकल्प लेकर बाइक राइडिंग के समुद्र में छलांग लगा ही डाली है और इस जगत में अपने लिए एक अच्छा स्थान भी हासिल किया। सुपर्णा के अनुसार इस बाइक की कम्पनी में काम करने से पहले वह अन्य महिला बाइकर्स की तरह सिर्फ मोटरसाइकिल को स्टार्ट कर उसकी सवारी करती थीं। लेकिन यहां आकर उन्हें सही मायने में पता चला कि मोटरसाइकिल को सही ढंग से कैसे कंट्रोल किया जाता है। इसके बाद उन्होंने एहसास किया कि वह शायद अकेली महिला नहीं हैं जिनके पास यह सब जानकारी नहीं है। इसी इरादे से उन्होंने ज्ञान बांटना शुरू किया और आज वह एक बाइक राइडिंग ट्रेनर एकैडमी सफलता से चलाती है। जहां चाह वहां राह, सुपर्णा इस बात का एक जीता-जागता उदाहरण हैं जो देश की कई बेटियों को प्रेरणा देती है।-रजनीश कपूर

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