भाजपा सरकारें उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदला हरियाणा में यथास्थिति कायम

Edited By ,Updated: 11 Mar, 2021 03:26 AM

bjp govts in uttarakhand chief minister badal maintains status quo in haryana

10 मार्च का दिन देश के 2 भाजपा शासित राज्यों उत्तराखंड और हरियाणा के लिए महत्वपूर्ण रहा जब इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा मनोहर लाल खट्टर की सरकारों के बारे फैसला हुआ। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा...

10 मार्च का दिन देश के 2 भाजपा शासित राज्यों उत्तराखंड और हरियाणा के लिए महत्वपूर्ण रहा जब इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा मनोहर लाल खट्टर की सरकारों के बारे फैसला हुआ। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा 9 मार्च को त्यागपत्र देने के बाद प्रदेश के नेतृत्व में बदलाव संबंधी अटकलें 10 मार्च को समाप्त हो गईं और भाजपा सांसद तीरथ सिंह रावत को नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया। 

दूसरी ओर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार के विरुद्ध 10 मार्च को विधानसभा में कांग्रेस का पेश किया हुआ अविश्वास प्रस्ताव विफल रहा और श्री खट्टर ने अपनी कुर्सी बरकरार रखी। उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के 20 वर्षों के बाद कार्यकाल पूरा किए बिना विदा होने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत आठवें मुख्यमंत्री हैं। 

उन्होंने 18 मार्च,  2017 को मुख्यमंत्री का पद संभाला और अपने कार्यकाल के 4 वर्ष पूरे होने के 9 दिन पहले ही विदा हो गए। प्रदेश में सिर्फ नारायण दत्त तिवारी (कांग्रेस) ही अब तक अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने में सफल रहे जो 2002 में राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री बने थे। इस हिमालयी राज्य के लिए मार्च का महीना हमेशा ही उथल-पुथल वाला रहा है। मार्च, 2016 में विधायकों के एक दल ने हरीश रावत (कांग्रेस) की सरकार गिराने का प्रयास किया परंतु वे सफल नहीं हो सके। हालांकि 2017 में हुए चुनावों में कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा। 

पिछले वर्ष मार्च में त्रिवेंद्र सिंह रावत (भाजपा) द्वारा ‘गैरसंैण’ को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद राज्य में उनका विरोध शुरू हो गया जो इस वर्ष मार्च में गैरसैंण को उत्तराखंड का तीसरा मंडल घोषित करने तथा कुमाऊं व गढ़वाल के 2 जिलों को इसमें शामिल करने के फैसले से और बढ़ गया तथा कुमाऊं के सभी विधायक नाराज हो गए। 

यही नहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ‘देवस्थानम बोर्ड’ बनाकर केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को सरकार के अधीन लाने का फैसला करके ब्राह्मण समुदाय और बद्रीनाथ से हरिद्वार तक संत समाज को भी नाराज कर दिया। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस फैसले से नाराज था। कहा जाता है कि रावत के शासनकाल में बेलगाम हुई प्रदेश की अफसरशाही पार्टी के नेताओं तथा वर्करों की बातों पर ध्यान भी नहीं देती थी। 

चूंकि अगले वर्ष उत्तराखंड में चुनाव होने हैं अत: केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलना ही उचित समझा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट से नाराजगी भी इसका एक कारण है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (कांग्रेस) ने कहा है कि 2022 के राज्य विधानसभा के चुनाव में भाजपा वहां सत्ता में आने वाली नहीं। वहीं 10 मार्च को ही हरियाणा में कांग्रेस द्वारा मनोहर लाल खट्टर सरकार के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ जिसमें आशा के अनुरूप मनोहर लाल खट्टर की सरकार के पक्ष में 55 वोट पड़े जबकि विपक्ष मात्र 32 विधायकों का समर्थन हासिल कर पाया। 

कृषि कानूनों को लेकर भाजपा की सहयोगी जजपा के विधायक सदन के बाहर तो मुखर रहे परंतु मतदान में उन्होंने सरकार का साथ ही दिया। कांग्रेस को लगता था कि जजपा अपने जाट वोटों की खातिर सरकार का विरोध करेगी परंतु उसका यह अनुमान गलत सिद्ध हुआ। हालांकि भाजपा ने दोनों राज्यों में पैदा राजनीतिक संकट फिलहाल टाल दिया है लेकिन उत्तराखंड में उसका यह राजनीतिक प्रबंधन कितना सही निकलेगा यह अगले चुनाव तय करेंगे। 

हरियाणा में भाजपा-सरकार के नेतृत्व में किसी बदलाव की संभावना नहीं क्योंकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विरुद्ध पार्टी विधायकों में सतही तौर पर संतोष दिखाई देता है हालांकि उनके और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के बीच मतभेद सार्वजनिक रूप से चर्चा का विषय बने रहते हैं। इन दिनों राज्य के डी.जी.पी. मनोज यादव के मुद्दे पर भी मनोहर लाल खट्टर और अनिल विज के बीच तनातनी बनी हुई है और विज पर राजनीतिक शिष्टाचार को तिलांजलि देने के आरोप भी लगते रहते हैं। जो भी हो फिलहाल उत्तराखंड में राजनीतिक उठापटक का खेल समाप्त हो गया है परंतु उक्त घटनाक्रम से इतना तो स्पष्ट हो ही गया है कि दोनों ही राज्यों की सरकारों में विभिन्न मुद्दों को लेकर कहीं न कहीं कुछ असंतोष व्याप्त है।—विजय कुमार 
     

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!