कुछ भूली बिसरी यादें...(6) ‘भाजपा भी सत्ता की राजनीति में समझौते करने लगी है’

Edited By ,Updated: 06 May, 2021 03:08 AM

bjp is also making compromises in the politics of power

951 मेें अपनी पार्टी के प्रारंभ से भारतीय जनसंघ से संबंधित रहा। केवल कर्मठ और चरित्रवान कार्यकत्र्ताओं के आधार पर चलने वाले साधनहीन भारतीय जनसंघ को देश की जनता ने आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया है। यह देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के 72...

1951 मेें अपनी पार्टी के प्रारंभ से भारतीय जनसंघ से संबंधित रहा। केवल कर्मठ और चरित्रवान कार्यकत्र्ताओं के आधार पर चलने वाले साधनहीन भारतीय जनसंघ को देश की जनता ने आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया है। यह देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के 72 वर्षों में ही राजनीति का पूरा अवमूल्यन हो गया है।

अब राजनीति देश के लिए नहीं केवल और केवल सत्ता के लिए हो गई है। जैसे-तैसे सत्ता प्राप्त करना राजनीति का एकमात्र लक्ष्य बन गया। उसके लिए धन-बल और बाहुबल भी जुटाया जाता है। लगभग सभी पाॢटयां कालेधन से चुनाव लड़ती हैं। इससे अधिक दुर्भाग्य की क्या बात होगी कि स्वतंत्र भारत के लोकतंत्र का आरंभ कालेधन से होता है और चुने जाने के बाद जन प्रतिनिधि सबसे पहला काम यह करते हैं कि चुनाव आयोग के पास अपने चुनाव खर्च की झूठी रिपोर्ट देते हैं। 

यही कारण है कि आजादी के 72 वर्षों के बाद ऐसा भारत बना है, जिसमें एक ओर अमीरी चमक रही है तथा दूसरी ओर गरीबी सिसक रही है। एक ओर विश्व में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, करोड़पतियों की बढ़ती सं या तथा दूसरी ओर विश्व में सबसे अधिक भूखे लोग भारत में। भारत में 19 करोड़ लोग रात को लगभग भूखे पेट सोते हैं। ‘ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल’ के अनुसार विश्व के सबसे अधिक भ्रष्ट देशों में भारत का नाम है। 

भारतीय जनता पार्टी एक अलग आदर्शवादी पार्टी के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुई थी। बड़े दुख से लिखना पड़ रहा है कि धीरे-धीरे सत्ता की राजनीति में यह भी समझौते करने लगी है। देश की राजनीति के प्रदूषण का प्रभाव भाजपा पर भी पड़ने लगा है। एक पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तो मुझे यहां तक कहा था कि यह वह पार्टी ही नहीं है जिसमें हम थे, इसलिए दुखी मत हुआ करो। 

भारतीय जनता पार्टी राष्ट्र निर्माण में आशा की अंतिम किरण है। पूरी राजनीति लगभग भटक चुकी है। अब तो सत्ता प्राप्त करने के लिए और विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए दंगे तक करवाए जाते हैं, दल-बदल में नेताओं का क्रय विक्रय होता है और भी पता नहीं क्या कुछ किया जाता है। पूरे देश की भ्रष्ट होती हुई इस राजनीति में आशा की एकमात्र अंतिम किरण भाजपा भी भटक गई तो देश का भविष्य कैसा होगा? भाजपा का वैचारिक आधार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। एक समय था जब संघ के प्रमुख नेता इस बात का ध्यान रखते थे कि भारतीय जनता पार्टी मूल्यों की राजनीति से कहीं समझौता न करे परंतु धीरे-धीरे संघ का यह मार्गदर्शन कम होता जा रहा है। 

2014 में पहली बार श्री नरेंद्र मोदी  जी पूर्ण बहुमत से भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके कुशल नेतृत्व में प्रशंसनीय काम हो रहे हैं। कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति को लगभग असंभव समझा जाता था। इस कार्य को श्री नरेंद्र मोदी की सूझबूझ ने संभव करके दिखा दिया।

आज देश की राजनीति को पूरी तरह मूल्य आधारित राजनीति बनाने का एक सुनहरा मौका है। श्री मोदी राजनीति का यह  कलंक मिटाने के लिए देशवासियों से अपील करें। कानून बनाकर किसी भी दागी को किसी भी चुनाव में उ मीदवार बनने से रोका जाए। चुनाव में काले धन के प्रयोग पर पूर्ण कानूनी प्रतिबंध लगा दें। कानून तोडऩे वालों पर स त सजा का प्रावधान करें। भाजपा स्वयं यह सब कुछ कर सकती है। कश्मीर में धारा 370 हटाई जा सकती है तो भारतीय राजनीति का यह कलंक भी मिटाया जा सकता है। 

मैं जीवन के अंतिम मोड़ पर खड़ा हूं। मुझे प्रभु ने, जनता ने और पार्टी ने सब कुछ दिया। अब मेरे जीवन की एक ही अंतिम इच्छा है कि मेरी पार्टी भारतीय जनता पार्टी राजनीति के प्रदूषण से बचे। अवमूल्यन न हो। यह केवल और केवल मूल्य आधारित राजनीति के मार्ग पर चले। आज की बदल रही भाजपा तो बहुत आगे पहुंच गई है। मूल्य आधारित राजनीति के आदर्श के कारण जिस पार्टी को जनता ने विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनाया, आज वह पूरी तरह से नैतिक मूल्य नहीं केवल और केवल सत्ता आधारित पार्टी बन गई है। विधायकों के क्रय-विक्रय में भी उसे शामिल होते देख मेरे जैसों को तो शर्म आती है। सोचता हूं जहां भी होंगे दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेता आंसू ही बहाते होंगे।

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