महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही बुलेट गर्ल

Edited By ,Updated: 16 Mar, 2019 04:59 AM

bullet girl making women self reliant

पावनी खंडेलवाल (24) ने 2 वर्ष पहले पुणे के एक मशहूर बी-स्कूल से अपनी मास्टर डिग्री हासिल की लेकिन उसकी इच्छा तत्काल कार्पोरेट करियर शुरू करने की नहीं थी। इसके बजाय उसने गृहिणियों को बाइक चलाने तथा आजीविका कमाने का प्रशिक्षण देने का रास्ता चुना।मथुरा...

पावनी खंडेलवाल (24) ने 2 वर्ष पहले पुणे के एक मशहूर बी-स्कूल से अपनी मास्टर डिग्री हासिल की लेकिन उसकी इच्छा तत्काल कार्पोरेट करियर शुरू करने की नहीं थी। इसके बजाय उसने गृहिणियों को बाइक चलाने तथा आजीविका कमाने का प्रशिक्षण देने का रास्ता चुना।

मथुरा निवासी खंडेलवाल ने ‘आत्मनिर्भर’  नाम से एक राइडिंग स्कूल शुरू किया जिसके केन्द्र अब आगरा, मथुरा, लखनऊ, जयपुर और भरतपुर में हैं। उसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। खंडेलवाल अब तक लगभग 3000 गृहिणियों को प्रशिक्षण दे चुकी हैं जिनमें से अधिकतर ने अपना कारोबार शुरू कर लिया है जबकि इनमें से 5 जयपुर में एक फूड चेन के लिए डिलीवरी पर्सन्स का कार्य कर रही हैं।

खंडेलवाल स्वयं भी एनफील्ड बुलेट डैजर्ट स्टॉर्म चलाना पसंद करती हैं। उसने बताया, ‘‘जब कोई महिला गाड़ी चलाती है तो वह खुद को शक्ति सम्पन्न महसूस करती है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि दोपहिया वाहन चलाने का किसी गृहिणी पर इतना बड़ा असर हो सकता है। अब मेरा उद्देश्य देश भर में महिलाओं का ऐसा समूह तैयार करना है जो गाड़ी चला सके।’’

उसके पास 10 स्थायी कर्मचारियों की टीम है तथा लगभग 80 अनुबंध प्रशिक्षक (सभी महिलाएं, 16-48 वर्ष के बीच) हैं। खंडेलवाल ने बताया कि एक प्रशिक्षक हर महीने कम से कम 25,000 रुपए कमा लेती है तथा  वह अपने हिसाब से कार्य का समय चुन सकती है। इस योजना के लाभाॢथयों में खंडेलवाल की घरेलू सहायिका 22 वर्षीय सुशीला भी शामिल है जो पहले 500 रुपए प्रति माह प्रति घर के हिसाब से कार्य करती थी। अब वह आत्मनिर्भर संस्था की प्रशिक्षक बन चुकी है तथा अनपढ़ होने के बावजूद हर महीने 20,000 रुपए कमा लेती है।

आत्मनिर्भर की संस्थापिका ने बताया कि उसकी मां रेखा स्वयं होम मेकर है, जो अब संगठन की संचालन प्रमुख है तथा वही उसकी प्रेरणा स्रोत भी हैं। उन्होंने बाइक चलाना सीख लिया है तथा अब वह और भी आत्मविश्वासी बन चुकी हैं। खंडेलवाल ने कहा कि वह चाहती हैं कि हर महिला में यही भावना हो। यह 10 दिन का कोर्स इस प्रकार से तैयार किया गया है कि जिन्होंने कभी बाइक न चलाई हो वे भी आजीविका कमा सकें। विद्यार्थियों को ड्राइविंग से संबंधित सभी चीजें जैसे कि यातायात चिन्ह, यातायात नियम तथा वाहन का रखरखाव सिखाया जाता है। शहर के हिसाब से इस कार्यक्रम का खर्च 2000 से 3000 रुपए के बीच पड़ता है।

खंडेलवाल के पिता प्रदीप चांदी के व्यापारी हैं तथा वह एक पारम्परिक परिवार से संबंध रखते हैं। इसके बावजूद उन्होंने कभी भी अपनी बेटी को अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोका। खंडेलवाल कई स्थानों पर जाती हैं तथा उसे 23 मार्च को वाशिंगटन डी.सी. में एक ग्लोबल कांफ्रैंस में बुलाया गया है जिसका उद्देश्य महिलाओं द्वारा किए जा रहे उद्यमों पर चर्चा करना है।

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