ब्रिटेन और यूरोप में हुई ‘बॉय-बॉय’, फिर भी दोनों ‘भाई-भाई’

Edited By ,Updated: 01 Feb, 2020 01:35 AM

bye bye in britain and europe yet both brother brother

ब्रिटेन ने यूरोप छोड़ दिया है। शुक्रवार 31 जनवरी विश्व इतिहास का एक ऐसा दिन रहेगा जिसे याद करके आने वाला समय किसी तर्कसंगत निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाएगा कि आखिर ऐसा भी क्या था कि ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन को अलविदा कहने पर मजबूर ...

ब्रिटेन ने यूरोप छोड़ दिया है। शुक्रवार 31 जनवरी विश्व इतिहास का एक ऐसा दिन रहेगा जिसे याद करके आने वाला समय किसी तर्कसंगत निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाएगा कि आखिर ऐसा भी क्या था कि ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन को अलविदा कहने पर मजबूर होना पड़ा। 

47 वर्ष पूर्व पहली जनवरी 1973 को यूरोपियन यूनियन ने ब्रिटेन को अपने उस संघ में शामिल किया था जिसे तब यूरोपियन कॉमन मार्कीट के नाम से जाना जाता था। तब उस संघ की संख्या केवल 6 थी। धीरे-धीरे कुछ अन्य देश साथ मिलते गए, कारवां बढ़ता गया और सदस्यों की गिनती 28 तक जा पहुंची। बीच में 2-3 हमसफर देश साथ छोड़ गए लेकिन संस्था के रूप में यूरोपियन यूनियन का प्रभाव निरंतर बढ़ता चला गया और आज वह विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक और व्यापारिक संगठन के तौर पर एक प्रबल शक्ति बन कर खड़ा हुआ है। 

मिलना-बिछुडऩा दोनों विचित्र ढंग से  
ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन में शामिल होना और उससे जुदा हो जाना दोनों क्रिया, अत्यंत विचित्र अंदाज में हुई हैं। 1970 के दशक के शुरू में ब्रिटेन ने 2 बार इसका सदस्य बनने का प्रयास किया जो असफल रहा। मुख्य कारण था ब्रिटेन के प्रति यूरोप की पारम्परिक बेरुखी। वर्षों से दोनों भीषण युद्ध करते चले आ रहे थे। उनकी यही अंदरूनी दुश्मनी ही दूसरे महाविश्व युद्ध का कारण बनी। 

अधिकांश यूरोपियन लोग अंग्रेजों को दिल से पसंद नहीं करते थे और न ही अंग्रेजों के दिल में यूरोप के लोगों के प्रति कोई खास मोहब्बत थी, भले ही दोनों में बेशुमार समानताएं थीं जैसे कि भौगोलिक निकटता, एक ही धर्म ईसाई मत, रहन-सहन, रीति-रिवाज, हर यूरोपियन देश की अलग-अलग भाषा के बावजूद सांझी भाषा अंग्रेजी, ब्रिटिश और यूरोपियन लोगों में निर्बाध शादी-ब्याह इत्यादि ऐसे कितने ही रस्मो-रिवाज हैं जो उन्हें एक-दूसरे से दूर रखने की बजाय नजदीक लाने में सहायक बने। 

ब्रिटिश राजनीतिज्ञों की जिद्द
यूरोपियन संघ का सदस्य बनने का ब्रिटेन ने तीसरी बार प्रयत्न 1973 में किया। रैफरैंडम हुआ। 67 प्रतिशत जनता ने पक्ष में वोट दिया। कैसी विडंबना कि ब्रिटेन को अब यूरोपियन यूनियन को छोडऩा पड़ा है तो मई 2016 में हुए रैफरैंडम में मामूली से वोटों के अंतर के कारण, 51 प्रतिशत वोट छोडऩे के पक्ष में और 49 प्रतिशत यूरोप का अंग बने रहने के हक में पड़े। चूंकि रैफरैंडम जनता का निर्णय था, सरकार को उसे स्वीकार करना पड़ा यद्यपि इसे ठुकराने और फिर से नया रैफरैंडम करवा कर यूरोपियन यूनियन का मैम्बर बने रहने के लिए जनता ने भीषण संघर्ष किया, आन्दोलन किए, लेकिन आखिर दोनों पक्षों-ब्रिटेन और यूरोप- को जुदा होना पड़ा और वह भी किस कारण? ब्रिटिश राजनीतिज्ञों के एक छोटे से वर्ग, गिनती मात्र लोगों की मूढ़-मत, जिद्द, और यूरोप विरोधी मानसिकता के आगे झुक कर उस समय के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को रैफरैंडम करवाने पर मजबूर होना पड़ा। 

मानव का महान स्वप्न
1957 में यूरोपियन यूनियन की स्थापना के रूप में मानव का एक महान स्वप्न साकार हुआ था। शताब्दियों से वैमनस्य में विनाश मार्ग पर चलते, युद्ध और निरंतर लड़ाई-झगड़ों में लाखों जानें गंवा चुके यूरोप के कुछ बुद्धिमान नेताओं ने आपस में मिलजुल कर शांति का मार्ग अपनाने का निश्चय कर एक ऐसे समाज का सृजन करने का प्रशंसनीय कार्य किया जिसमें यूरोपीय देशों में मैत्री भाव बढ़े, सीमा बंधन टूटें, एक-दूसरे देश में आने-जाने और वहां जा कर रहने, बसने, रोजगार-नौकरी पर कोई पाबंदी न हो, न वीजा की जरूरत हो, न पासपोर्ट की, सब पर एक समान कानून लागू हों, राष्ट्रीयता,जाति, रंग, धर्म का भेदभाव न हो। परन्तु कुछ रूढि़वादी राजनीतिज्ञों के एक वर्ग को आपत्ति थी कि यूरोपियन यूनियन के नियम और कानून लागू होने से ब्रिटेन की स्वतंत्रता, प्रभुता पर यूरोप का कब्जा हो गया है। व्यापार और इमीग्रेशन मुद्दों को उन्होंने कुछ इस ढंग से उछाला कि जनता में यह विश्वास बिठाया कि इन क्षेत्रों में ब्रिटेन को यूरोपियन कानूनों की वजह से नुक्सान पहुंच रहा है। 

फिर मिलेंगे
ब्रिटेन की यूरोपियन यूनियन की सदस्यता खत्म हुई है लेकिन दोनों का संग अभी इस वर्ष के अंत तक जारी रहेगा। ब्रिटेन पर 31 दिसम्बर 2020 तक यूरोपियन यूनियन के सभी नियम-कानून लागू रहेंगे, यूरोपियन और ब्रिटिश नागरिकों का एक-दूसरे देश में वीजा.पासपोर्ट के बिना आना-जाना इत्यादि उसी तरह जारी रहेगा जैसे अब है। आम लोगों को इस जुदाई से खुशी नहीं हुई। अगर खुशी किसी को हुई है तो केवल बै्रग्जिट पार्टी के अध्यक्ष निगेल को जिन्होंने ब्रिटेन की यूरोपियन सदस्यता समाप्त करवाने के लिए सतत् आंदोलन चला रखा था। वह स्वयं यूरोपियन संसद का मैम्बर है। उसने कहा है कि मुझे खुशी है कि ब्रिटेन यूरोप से निकल आया है। यह यूरोपियन यूनियन के खात्मे का आरम्भ है। यूरोपियन संसद में ब्रिटेन के 73 सदस्य हैं। उन्हें विदाई देने के लिए ब्रसेल्स में यूरोपियन संसद का विशेष समारोह हुआ जिसमें कई सदस्य इतने भावुक हो गए कि अपने आंसू न रोक सके। यूरोपियन यूनियन के प्रधान ने कहा कि यह जुदाई ज्यादा देर नहीं चलने वाली। मुझे आशा है ब्रिटेन शीघ्र ही फिर हमसे आन मिलेगा।-कृष्ण भाटिया
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!