सी.सी.आई. का आकार-प्रकार बदलने की तैयारी

Edited By Pardeep,Updated: 14 May, 2018 04:57 AM

cci preparing to change shape type

सरकार ने हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सी.सी. आई.) के सदस्यों की संख्या को 7 से कम कर 4 कर दिया और चेयरमैन भी इन 4 सदस्यों में ही शामिल है। सरकार के इस कदम को सी.सी.आई. में छंटनी के तौर पर देखा जा रहा है जबकि सरकार इसके सही संतुलन की बात कर...

सरकार ने हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सी.सी. आई.) के सदस्यों की संख्या को 7 से कम कर 4 कर दिया और चेयरमैन भी इन 4 सदस्यों में ही शामिल है। सरकार के इस कदम को सी.सी.आई. में छंटनी के तौर पर देखा जा रहा है जबकि सरकार इसके सही संतुलन की बात कर रही है और इसे राइटसाइजिंग का नाम दिया गया है। इसके सदस्यों की संख्या कम करने को लेकर तर्क दिया जा रहा है कि इसे यू.के., संयुक्त राज्य अमरीका, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों में प्रतिस्पर्धा नियामकों के आकार के समान किया गया है। 

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि यह कदम सी.सी.आई. के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप को कम करेगा, निगमों की व्यावसायिक प्रक्रिया को प्रोत्साहित करेगा और सुनवाई और अनुमोदन को तेज करके नौकरी के अवसर पैदा करेगा। वहीं इस मामले में तुर्रा यह है कि सी.सी.आई. के 4 सदस्य, मोदी के अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए सी.सी.आई. के काम में तेजी लाएंगे। लेकिन पर्यवेक्षकों को संदेह है कि सदस्यों की संख्या को 4 में कम करने से कुशलता का स्तर बढ़ जाएगा, जिसकी उम्मीद सरकार सी.सी.आई. से कर रही है। पूर्व सी.सी.आई. सदस्य एस.एल. बंकर ने कहा है कि यह निर्णय अविश्वास नियामक की प्रकृति और कार्यप्रणाली को ‘उचित रूप से सराहना’ करने में विफल रहा है। 

पुलिस वाले हैं कि मानते ही नहीं: जब सरकारी सम्पत्ति विवरणों को अनिवार्य रूप से दाखिल करने की बात आती है तो लगता है कि मोदी सरकार बाबुओं को लाइन में लाने को लेकर संघर्ष कर रही है। यह पता चला है कि डी.जी.पी. और आई.जी.पी. समेत 500 से अधिक आई.पी.एस. अधिकारियों ने अभी तक 2016 के लिए अपनी संपत्ति का विवरण दायर नहीं किया है। अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के अनुसार, सभी भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों को हर साल 31 जनवरी, तक अपनी अचल संपत्ति रिटर्न (आई.पी.आर.) दर्ज करने की आवश्यकता है। 

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि 31 मार्च, 2017 तक, 3,905 आई.पी.एस. अधिकारियों की कुल कैडर संख्या में से केवल 3,390 आई.पी.एस. अधिकारियों ने आई.पी.आर. दायर किया था। इसने केन्द्रीय गृह मंत्रालय, जो आई.पी.एस. अधिकारियों का कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को सीधे उन सभी आईपीएस अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहने को मजबूर कर दिया, जिन्होंने आई.पी.आर. दायर नहीं किया है।

ई.सी. ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के सलाहकार को हटाया: चुनाव का समय वह समय होता है जब चीजें कभी-कभी थोड़ी धुंधली हो जाती हैं। कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के दौरान, राज्य निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के करीबी सहयोगी और गृह मंत्री रामलिंगा रैड्डी के राजनीतिक सलाहकार पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी एम.केम्पाया को कथित रूप से मॉडल कोड का उल्लंघन करने के लिए कार्यालय छोडऩे के लिए कहा। सूत्रों के मुताबिक, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय कुमार ने भारत के निर्वाचन आयोग को लिखा है कि यह आदर्श आचार संहिता के खिलाफ था कि केम्पाया  को अपने कत्र्तव्यों का पालन जारी रखने की अनुमति दी जाए। 

विधानसभा चुनावों की तैयारी की समीक्षा के लिए तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ.पी. रावत ने बेंगलूर की यात्रा के बाद से इस मुद्दे को उठाया था लेकिन काफी दिनों तक ये अधर में ही लटका रहा। पूर्व प्रधानमंत्री  और जनता दल (सैकुलर) के अध्यक्ष एच.डी. देवेगौड़ा ने सी.ई.सी. से शिकायत की थी कि चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है और इसका आरोप केम्पाया पर लगाया गया था। कहा गया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय में केम्पाया की मौजूदगी निष्पक्ष स्वतंत्र विधानसभा चुनावों में बाधा उत्पन्न कर रही थी। 

पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी के विरोधियों के मुताबिक, उन्हें राज्य मंत्री रैंक दिया गया, जो राज्य के कई वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारियों को परेशान करता था। बेशक, सलाहकार की नियुक्ति सरकारों के लिए कोई नया काम नहीं था। पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के पास लगभग सभी प्रमुख विभागों के सलाहकार थे। येदियुरप्पा के उत्तराधिकारी डी.वी. सदानंद गौड़ा और जगदीश शेट्टर ने भी इस प्रणाली को जारी रखा। यहां तक कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा ने सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी एल. रेवानसिद्दायाह और टी. श्रीनिवासु को अपना सलाहकार नियुक्त किया था।-दिलीप चेरियन

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