अच्छे भविष्य के लिए देश छोड़ बच्चे हो रहे ‘परदेसी’

Edited By ,Updated: 22 Dec, 2019 03:14 AM

children are leaving country for good future

बढ़ती बेरोजगारी तथा नशे के डर से मां-बाप अपनी जमीन-जायदाद बेच कर तथा कर्जा उठाकर बच्चों के अच्छे भविष्य की उम्मीद में उन्हें विदेश भेजने के लिए मजबूर हैं। मगर विदेशी धरती पर रोजाना घट रही घटनाओं ने मां-बाप का कलेजा छलनी कर दिया है। कुछ दिन पूर्व...

बढ़ती बेरोजगारी तथा नशे के डर से मां-बाप अपनी जमीन-जायदाद बेच कर तथा कर्जा उठाकर बच्चों के अच्छे भविष्य की उम्मीद में उन्हें विदेश भेजने के लिए मजबूर हैं। मगर विदेशी धरती पर रोजाना घट रही घटनाओं ने मां-बाप का कलेजा छलनी कर दिया है। कुछ दिन पूर्व कनाडा के शहर सरी में पंजाबी युवती प्रभलीन कौर के पति पीटर ने उसकी जान लेकर बाद में अपनी जान भी दे दी।

यह मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक अन्य घटना ब्रेम्पटन में घटी, जहां पंजाबी युवक नवदीप सिंह ने शरणजीत कौर की जान लेने के उपरांत आत्महत्या कर ली। इसी तरह कनाडा के मांट्रियल में एक ही परिवार के चार सदस्यों के शव मिले थे। तीन शव घर में से मिले थे जिनमें से एक महिला का तथा दो उसके पुत्रों के थे जबकि उसके पति का शव 50 किलोमीटर की दूरी पर मिला था। पुलिस को शक है कि पति ने अपनी पत्नी तथाबच्चों की जान लेने के उपरांत अपनी जान दे दी होगी। 

एक अन्य ताजा घटना में मिसीसागा (कनाडा) स्थित गुरदासपुर की 21 वर्षीय युवती की पानी में डूबने से मौत हो गई। इस बारे भी यह आशंका जताई जा रही है कि लड़की की हत्या हुई लगती है। इसके अलावा हादसों तथा हार्टअटैक से होने वाली मृत्यु की गिनती भी बढ़ी है। जहां पर हादसों का कारण सड़कों पर पड़ी बर्फ तथा इन हालातों में ड्राइवरी में ज्यादा महारत हासिल न होना बताया जा रहा है। वहीं हार्टअटैक में बढ़ौतरी का कारण मानसिक परेशानी को बताया जा रहा है। मानसिक परेशानी का कारण कर्जा उठाकर विदेश जाना तथा उस पर वहां के हालात अनुकूल न होना है। जिस कारण बड़ी गिनती में नवयुवक हार्टअटैक के शिकार हो रहे हैं। ऐसी दुख भरी घटनाओं के कारण भारत में बैठे मां-बाप को दोहरा आघात पहुंच रहा है। एक तो बच्चों से सदा के लिए बिछुड़ना तो दूसरा जमीन-जायदाद को सदा के लिए खो देना भी है। 

पंजाब में दोआबा के बाद मालवा में स्टडी वीजा पर जाने का रुझान एकदम तेज हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि इन क्षेत्रों में स्टडी वीजा घर-बार को खाली कर रहा है। मां-बाप का बेटे-बेटियों को विदेश भेजने के लिए सब कुछ दाव पर लगा हुआ है। माताओं की बांहें सूनी हो गई हैं तथा मकान खाली हो चुके हैं। भुच्चो मंडी के एक ज्वैलर का कहना है कि आजकल एक ही दिन में चार-चार केस गहने गिरवी रखने तथा उन्हें बेचने आते हैं जिनमें से 50 प्रतिशत केस स्टडी वीजा के होते हैं। इसी तरह प्राइवेट फाइनांस कम्पनियों से लोन लेने के केसों में भी वृद्धि हुई है। मुक्तसर जिले के एक गांव में यह बात सामने आई है कि एक परिवार की ओर से अपनी बेटी को आईलैट्स करवाने की खातिर गहने गिरवी रखने पड़े। बहुत से मां-बाप अपने बच्चों को विदेश भेजना अपनी आर्थिक मजबूरी बताते हैं क्योंकि पंजाब में बेरोजगारी तथा नशों के व्यापार ने सब को फिक्र में डाला हुआ है। आज के दौर में प्रत्येक पंजाबी कानूनी या फिर गैर-कानूनी तरीके से विदेश जाने के लिए प्रयासरत है। 

ऐसे हालातों के कारण पंजाब एक बार फिर बड़ी त्रासदी के दौर से गुजर रहा है या फिर हम यह कह सकते हैं कि पंजाब भविष्यविहीन होता जा रहा है। उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली इन विदेशी यूनिवर्सिटियों में दाखिले हेतु आईलैट्स, पी.ई.टी. इत्यादि जैसे अंग्रेजी भाषा को परखने वाले टैस्टों का एक खास पैमाना निर्धारित किया हुआ है। इन टैस्टों के लिए छोटे-छोटे शहरों से लेकर बड़े-बड़े महानगरों में हजारों की गिनती में ट्रेनिंग सैंटर खुले हैं, जबकि दूसरी ओर बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के अनुसार 9 डैंटल कालेजों की 850 बी.एससी. की सीटों में से सिर्फ 375 ही भरी गई हैं जो मात्र 44 प्रतिशत ही बनती हैं।

कभी ऐसा भी समय था कि लोग मैडीकल कालेजों में दाखिला लेने के लिए लाखों रुपए लिए फिरते थे। परंतु अब हालात वैसे नहीं रहे। सरकारें रोजगार का प्रबंध करने में बुरी तरह फेल हो चुकी हैं। अगर देश में ही बच्चों का उज्ज्वल भविष्य हो या फिर उनको पढऩे के बाद रोजगार आसानी से मिलता हो तो सारी जमा पूंजी को बेच कर अपने जिगर के टुकड़ों को विदेशी धरती पर भेजने के लिए मां-बाप को मजबूर न होना पड़े।-नरिंद्र सोहल

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