‘भारत पर नहीं चला चीन का नया पैंतरा’

Edited By ,Updated: 05 Jan, 2021 04:08 PM

china india border dispute

चीन भारत से उलझा तो बड़े उत्साह के साथ था, उसे लगा था कि भारत उसके सामने घुटने टेक देगा और धीरे-धीरे चीन भारत की जमीन हड़पता चला जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि भारत ने अपनी सेना को लद्दाख क्षेत्र में बढ़ा दिया, नई सड़कें बना दीं, कई पुल बनवा दिए और...

चीन भारत से उलझा तो बड़े उत्साह के साथ था, उसे लगा था कि भारत उसके सामने घुटने टेक देगा और धीरे-धीरे चीन भारत की जमीन हड़पता चला जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि भारत ने अपनी सेना को लद्दाख क्षेत्र में बढ़ा दिया, नई सड़कें बना दीं, कई पुल बनवा दिए और नई-नई छावनियां बना दीं। इसके बाद आई सर्दी जिसने आरामतलब और कठिन मौसम के सामने कमजोर चीनी सैनिकों की रीढ़ तोड़ दी, वहीं दूसरी तरफ भारतीय जवानों को कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में काम करने और लडऩे की आदत है। 

 

दरअसल जब से चीन में एक बच्चे की नीति लागू हुई है तब से इकलौते बच्चे अपने मां-बाप के सबसे आरामतलब और आलसी बच्चे बन गए हैं, चीनी माता-पिता अपने इकलौते बच्चों को सेना में भर्ती नहीं करवाना चाहते, वे चाहते हैं कि उनके बच्चे कॉर्पोरेट जगत में आराम वाली नौकरी करें। वहीं चीनी सैनिकों के हौसले लद्दाख की बर्फ में सर्द हो गए हैं जिन्हें देखते हुए चीन अब भारत के सामने घुटने टेकते हुए डिसइंगेजमैंट यानी लद्दाख क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए प्रस्ताव भेज रहा है और बातचीत करना चाहता है, लेकिन वहीं भारतीय सेना ने चीन की बातों को सिरे से नकार दिया है और उसकी चालों से परिचित रहते हुए चीन की बातचीत के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। 

 

चीन ने भारत के सामने ये प्रस्ताव रखा कि पैंगोंग त्सो में फिगर एक से फिगर आठ तक दोनों में से किसी भी देश की सेना चौकसी न करे और इस क्षेत्र को नो मैन जोन घोषित कर दिया जाए लेकिन भारतीय सेना पिछले वर्ष की 14-15 जून की दरम्यानी रात को चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय पैट्रोङ्क्षलग दल पर धोखे से किए हमले के बाद तीस वर्ष से भारत की पूर्वी सीमा पर शांतिपूर्ण पैट्रोलिंग का रिकॉर्ड टूटा और साथ ही टूटा भारत का भरोसा।

 

चीन के प्रस्ताव के जवाब में भारत ने भी चीन से कहा है कि लद्दाख क्षेत्र में तब तक शांति कायम नहीं हो सकती जब तक चीन अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में नहीं लौटता, इस जवाब के साथ ही भारत ने गेंद चीन के पाले में डाल दी है। चीन पर भरोसा करना किसी गिरगिट पर भरोसा करने जैसा है, भारत ने भी चीन को ये बता दिया है कि जून की घटना के बाद भारत पर चीन के पैंतरे अब चलने वाले नहीं, दूसरे शब्दों में भारतीय सैनिक लद्दाख क्षेत्र से नहीं हटेंगे।

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