पाकिस्तान में उखड़ रहे चीन के पैर

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2023 05:55 AM

china s feet are being uprooted in pakistan

चीन पाकिस्तान की शहद से मीठी, हिमालय से ऊंची, समुद्र से गहरी और स्टील से मजबूत दोस्ती लगता है हवा हवाई हो गई है।

चीन पाकिस्तान की शहद से मीठी, हिमालय से ऊंची, समुद्र से गहरी और स्टील से मजबूत दोस्ती लगता है हवा हवाई हो गई है। ऐसा लगता है कि चीन अपने रणनीतिक मित्र पाकिस्तान को लेकर जो वायदे किया करता था वह खोखले साबित हो रहे हैं। दरअसल चीन ने हाल ही में अपना पाकिस्तान का काऊंसलेट बंद कर दिया है, इस बात की जानकारी चीन ने अपने पाकिस्तान दूतावास की वैबसाइट पर दी है। इस वैबसाइट पर चीन सरकार ने बताया है कि उसने अपने काऊंसलेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया है, चीन ने इसे बंद करने का अभी तक कोई कारण भी नहीं बताया है।

इसके साथ ही चीन ने अपने पाकिस्तानी दूतावास की वैबसाइट पर इस बात की जानकारी भी दी है कि वह अपने दूतावास से धीरे-धीरे स्टाफ को भी कम कर रहा है। इससे कुछ समय पहले ही चीन ने पाकिस्तान में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें उसने चेतावनी देते हुए लिखा था कि अगर आप किसी जरूरी काम का हिस्सा नहीं हैं तो पाकिस्तान से जल्दी निकल जाएं, साथ ही अपने देश से किसी भी चीनी को पाकिस्तान की यात्रा न करने की हिदायत भी दी थी, इसके पीछे कारण चीन ने पाकिस्तान में बदहाल सुरक्षा-व्यवस्था को बताया था जहां पर आए दिन धमाके, गोलीबारी होती रहती है और इनमें दर्जनों लोग मारे जाते हैं।

चीन ने अपने सरकारी अखबारों, टी.वी. चैनलों और वैबसाइटों से यह जानकारी दी है कि पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान (पाकिस्तान) संगठन है जो आए दिन पुलिस, सेना और आम लोगों पर हमला कर उन्हें मार रही है। टी.टी.पी. के लड़ाके किसी को भी नहीं छोड़ रहे हैं यहां तक कि पिछले डेढ़ वर्ष की अवधि में दर्जनों चीनी नागरिकों को निशाना बनाकर उन्होंने हमला किया और मार डाला।

यह तो चीन के बताए आधिकारिक कारण थे जिन्हें चीन दुनिया को बता रहा है और अपने लोगों को आगाह कर रहा है कि वहां पर चीनियों की जान को खतरा है और वहां तब तक न जाएं जब तक  कि कोई जरूरी काम न हो लेकिन यहां पर सोचने वाली बात यह है कि जो कारण चीन ने पाकिस्तान में अपने दूतावास में काऊंसलेट को बंद करने के पीछे बताए हैं उन्हीं कारणों के साथ चीन लगातार अपनी उपस्थिति अफगानिस्तान में बढ़ाता जा रहा है जबकि अफगानिस्तान के हालात तालिबान शासन में ज्यादा गंभीर हैं।

अफगानिस्तान में भी चीनियों पर हमले हो रहे हैं और यह बढ़ते जा रहे हैं। इसके साथ ही राजधानी काबुल में एक होटल पर आतंकियों ने चीनियों को निशाना बनाते हुए हमला किया था क्योंकि अफगानिस्तान में यह होटल  चीनियों ने बनाया था और चीनियों के इकट्ठा होने का गढ़ था। बावजूद इसके चीन अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में लगा हुआ है। दरअसल चीन को यह बात मालूम है कि अफगानिस्तान में प्राकृतिक खनिजों के प्रचुर भंडार मौजूद हैं जो चीन की औद्योगिक रफ्तार के लिए बहुत जरूरी है। इस समय पूरी दुनिया ने अफगानिस्तान का बहिष्कार किया हुआ है, पहले से गरीब अफगानिस्तान इस समय और भी ज्यादा गरीब हो चुका है।

उसे पैसों की जरूरत है और चीन के लिए इस समय अफगानिस्तान ज्यादा लाभकारी है क्योंकि निवेश के नाम पर चीन अपना पुराना खेल यहां भी खेल सकता है और बदले में अफगानिस्तान में मौजूद प्राकृतिक संपदा पर अपना आधिपत्य जमा सकता है। अफगानिस्तान में चीन के सक्रिय होने का दूसरा बड़ा कारण है बदखशां प्रांत, जिसकी सीमाएं चीन के उईगर मुस्लिम बहुल प्रांत शिनच्यांग वेवूर स्वायत्त प्रांत से लगती हैं।

चीन अपने उईगर मुस्लिम पर जुल्म करता है और अफगानिस्तान में बंदूक की नोक पर बनी तालिबान सरकार मुस्लिम उम्मत की बात करती है, ऐसे में अपने शिनच्यांग प्रांत को तालिबान हमले से बचाए रखने के लिए चीन यहां निवेश कर अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। साथ ही चीन नहीं चाहता है कि अफगानिस्तान भारत के पाले में गिरे, इसलिए चीन ने तालिबानी सरकार को मान्यता दी, उनके शिष्टमंडल को बीजिंग बुलाया और उनसे समझौता कर लिया।

वहीं चीन के पाकिस्तान से बाहर निकलने के अनाधिकारिक कारण से इमरान खान की सत्ता का खत्म होना बताया जा रहा है, इसके बाद पाकिस्तान वापस अमरीका के पाले में जा गिरा है, यह बात चीन को नागवार गुजरी और चीन पाकिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर वहां से भागने को मजबूर है।

पाकिस्तान की नई सरकार अमरीका समेत पश्चिमी देशों के दौरे करने लगी है, इसके पीछे पश्चिम से दान मांगना है, पाकिस्तान को अच्छे से मालूम है कि चीन उधार तो देगा लेकिन दान देना चीन की संस्कृति में नहीं है, पाकिस्तान उधार लौटाने की स्थिति में नहीं है।  चीन को उसके सबसे पुराने दोस्त ने धोखा दिया जिससे चीन के पैर पाकिस्तान से उखडऩे लगे हैं।

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