चीन के इरादे नेक नहीं, अधिक चौकसी की जरूरत

Edited By ,Updated: 21 Oct, 2021 03:54 AM

china s intentions are not noble more vigil is needed

भारत तथा चीन के बीच 832 कि.मी. लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर सेनाओं की तैनाती तथा तनाव कम करने के उद्देश्य से दोनों देशों के उच्च सैन्य अधिकारियों के बीच चीन की ओर मोल्डो सीमा ङ्क्षबदू पर 10 अक्तूबर को 13वें दौर की बातचीत तो हुई लेकिन...

भारत तथा चीन के बीच 832 कि.मी. लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर सेनाओं की तैनाती तथा तनाव कम करने के उद्देश्य से दोनों देशों के उच्च सैन्य अधिकारियों के बीच चीन की ओर मोल्डो सीमा ङ्क्षबदू पर 10 अक्तूबर को 13वें दौर की बातचीत तो हुई लेकिन बेनतीजा ही रही।

भारत द्वारा यह आशा की जा रही थी कि तय मुद्दों के अनुसार, जैसे कि पैट्रोङ्क्षलग प्वाइंट 15 जिसे हॉट स्प्रिंग के तौर पर भी जाना जाता है और 972 कि.मी. वर्ग क्षेत्र वाले देपसांग समतल इलाके से सेनाओं की वापसी तथा अप्रैल 2020 वाली स्थिति बहाल करने जैसे पहलुओं पर विचार-चर्चा करने के बाद कोई कार्रवाई होगी मगर ऐसा हुआ नहीं लगता। भारत के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में यह कहा गया है कि बैठक के दौरान भारतीय पक्ष द्वारा सकारात्मक सुझाव दिए गए लेकिन चीन न तो राजी हुआ और न ही उसने कोई प्रस्ताव रखा। 

पेइचिंग ने अपने बयान में भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भारत की अनावश्यक तथा अवास्तविक मांगों ने मामले को सुलझाने के लिए बातचीत में अड़चनें  पैदा कर दी हैं। यहीं  बस नहीं, बल्कि चीन ने पश्चिमी थियेटर कमांड की पी.एल.ए. के प्रवक्ता सीनियर कर्नल लोंग शाओ हुआ ने धमकी भरे लहजे में यहां तक कह दिया कि भारत ने बड़ी मुश्किल से सीमा पर जो कुछ हासिल किया है उसी से खुश रहना चाहिए। प्रश्र उठता है कि क्या पी.एल.ए. की इस तरह की सोच में चीन की कोई खोटी नीयत वाली झलक दिखाई नहीं देती? 

उल्लेखनीय है कि मई 2020 से सैन्य, कूटनीतिक तथा राजनीतिक स्तर पर लगातार बैठकों के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोग त्सो झील के उत्तरी तथा दक्षिणी क्षेत्र से गत फरवरी में 12वें दौर की 31 जुलाई की बातचीत के बाद पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 (ए) गोगरा क्षेत्र से अपनी-अपनी टुकडिय़ां अगस्त में पीछे हटा ली थीं जोकि शांति स्थापित करने के लिए उठाया गया एक अच्छा कदम समझा जाने लगा था मगर तनाव तो अभी भी बरकरार है। 

अड़चन क्यों : गोगरा क्षेत्र वाले इलाके से दोनों देशों की उंगलियों पर गिनी जा सकने वाली सैन्य टुकडिय़ों को हटाना कोई बड़ा मसला नहीं था। पूर्वी लद्दाख में असल समस्या तो 16000 फुट की ऊंचाई पर 972 वर्ग कि.मी. देपसांग समतल इलाके वाली है जोकि सियोल दरिया के उत्तर में पड़ता है। इसके अधिकतर क्षेत्रफल पर भारतीय सेना काबिज तो है लेकिन चीन ने लगभग 18 कि.मी. घेरे में बफर जोन बना रखा है जिसकी 16000 फुट से अधिक ऊंचाई वाली चौकियां बैटल टैंक तथा वाई जंक्शन से हमारी सेना की पैट्रोङ्क्षलग में रुकावट पैदा की जा रही है। देपसांग के पूर्वी हिस्से में अपनी सेना की गिनती  तोपों-टैंकों सहित बढ़ कर हजारों तक पहुंच गई है और हवाई अड्डे भी कायम किए जा रहे हैं। 

रणनीतिक पक्ष से यह क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि पेइचिंग हमारी 16700 फुट ऊंची दौलतबेग ओल्डी हवाई पट्टी को चुनौती दे सकता है। यह वह क्षेत्र है जहां से 18176 फुट की ऊंचाई वाला कराकोरम दर्रा पड़ता है। इसके साथ ही हमारी 255 कि.मी. लम्बी दरबुक-सियोल-डी.बी.ओ. सड़क खस्ताहाल है। हकीकत तो यह है कि चीन इस क्षेत्र को सक्षम घाटी से जोड़ कर गिलगित-बाल्टिस्तान पहुंचना चाहता है। इसलिए भारत सरकार को फूंक-फूंक कर कदम उठाने पड़ेंगे। 

चीन की पश्चिमी थियेटर कमांड जो भारत से लगते सारे सीमांत क्षेत्र के लिए जिम्मेदार है, उसके उच्चाधिकारियों की अदला-बदली करके जून 2020 से जून 2021 के बीच तिब्बत में फौज की लाव-लश्कर के साथ संख्या बढ़ा दी है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 23 जुलाई को पी.एल.ए. पर वायुसेना के गिने-चुने लगभग 400 उच्च कमांडरों को आने वाले समय में युद्ध लडऩे के लिए तैयार रहने को कहा है। गत मई में तो चीन-पाकिस्तान ने तिब्बत के साथ लगते सीमावर्ती क्षेत्र में सांझा सैन्य अभ्यास करके भारत को झकझोरने का प्रयास किया है। 

दरअसल चीन की दूरदर्शी नियति भारत की हर पक्ष से घेराबंदी करके सीमांत क्षेत्रों में हमारी फोॢसज को जकड़ कर रखने की है। पाकिस्तान की यह हिम्मत नहीं कि वह भारत के साथ पारम्परिक युद्ध लड़ सके मगर जो कुछ जम्मू-कश्मीर में हो रहा है वह चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत का ही परिणाम है। हाल ही में जो ड्रोन एल.ओ.सी. तथा पंजाब के साथ लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हमारी फोर्सिज ने गिरा लिए, वे चीन के ही बने हुए थे। अब तो तालिबानियों को भी साथ जोड़ कर भारत के विरुद्ध गहरी साजिश रची जा रही है। 

चीन ने अभी तक मैकमोहन रेखा को स्वीकार नहीं किया इसलिए अरुणाचल प्रदेश में कभी दलाईलामा के दौरे से और अब उप-राष्ट्रपति के दौरे पर चीन प्रश्र खड़े कर रहा है। दरअसल अरुणाचल प्रदेश के साथ लगते बार्डर पर चीन ने गांवों का निर्माण शुरू कर दिया है। बेशक हमारी सेनाओं की पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 के बाद तोपों, टैंकों, हवाई जहाजों सहित गिनती बढ़ कर 4 से 5 गुणा कर दी गई है और वह हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है क्योंकि चीन के इरादे नेक नहीं। इसलिए अधिक चौकसी की जरूरत होगी।-ब्रिगे. कुलदीप सिंह काहलों (रिटा.)
 

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!