चीन का उल्टा पड़ा दांव, कई टैक कम्पनियां धराशायी

Edited By ,Updated: 29 Aug, 2021 04:12 AM

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चीन का एक दांव उसी पर ही भारी पड़ गया है। चीन अपने देश में मनमानी नीतियां बनाता है, यह बात हम सभी जानते हैं। अभी हाल ही में उसने अलीबाबा कम्पनी के मालिक जैक मा पर अपनी नकेल कसी और जैक पूरी तरह से बर्बाद हो गए। इसी तरह से चीन ने अपनी टैक कम्पनियों

चीन का एक दांव उसी पर ही भारी पड़ गया है। चीन अपने देश में मनमानी नीतियां बनाता है, यह बात हम सभी जानते हैं। अभी हाल ही में उसने अलीबाबा कम्पनी के मालिक जैक मा पर अपनी नकेल कसी और जैक पूरी तरह से बर्बाद हो गए। इसी तरह से चीन ने अपनी टैक कम्पनियों की नकेल कसी और इसका भारी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि चीन किसी भी कम्पनी को ज्यादा ऊपर नहीं उठने देता, जब भी कोई कम्पनी ज्यादा तरक्की करती है तो चीन की सरकार उसके पर कतर देती है। 

चीन ने अपने देश में डाटा प्रोटैक्शन कानून बना दिया है और यह इस वर्ष 1 नवम्बर से लागू भी हो जाएगा, जो दुनिया का सबसे सख्त डाटा कानून है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ निजी कम्पनियों पर नकेल कसी जा रही है, इस दायरे में पब्लिक कम्पनियां भी आती हैं। खासकर इन कम्पनियों द्वारा ग्राहकों की सूचनाओं को सुरक्षित रखना और इसे किसी दूसरे व्यक्ति या कम्पनी को न बेचना शामिल है। कम्पनियों को सख्त हिदायत दी गई है कि किसी भी ग्राहक की सूचना सांझा करने से पहले उसकी रजामंदी जरूर लें और ग्राहक अगर रजामंद न हो तो उसे कम्पनियां अपनी सेवाएं देने से मना भी नहीं कर सकतीं। 

दरअसल कुछ निजी कम्पनियों पर संदेह था कि वे अपने ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी दूसरी कम्पनी को, बिना उनकी इजाजत लिए बेच  सकती हैं और इसका आगे दुरुपयोग किया जा सकता है। जैसे उनके बैंक अकाऊंट में सेंधमारी करना, उनसे किसी स्कीम के लिए ज्यादा पैसा लेना आदि। इससे बचने के लिए चीन ने व्यक्तिगत सूचना सुरक्षा कानून बनाया है। आमतौर पर टैक कम्पनियां लोगों का निजी डाटा लेकर उनसे ज्यादा पैसे भी उगाहती हैं। उदाहरण के तौर पर कम्पनी के पास उसके सभी ग्राहकों की सूची होती है, जिसमें उनके द्वारा की गई खरीददारी का रिकार्ड दर्ज होता है। इसके बाद अगर कोई व्यक्ति महंगे कपड़े, जूते या प्रसाधन के कोई भी सामान नहीं खरीदता है तो कम्पनी उसे उन उत्पादों पर डिस्काऊंट देगी लेकिन जो व्यक्ति खरीददारी में महंगा सामान खरीदता है उसे कम्पनियां यह डिस्काऊंट नहीं देंगी। अब इस कानून के पास हो जाने के बाद कम्पनियां ग्राहकों के साथ ऐसा कोई भी भेदभाव नहीं कर सकेंगी। 

हालांकि इस कानून की कोई कॉपी किसी के पास उपलब्ध नहीं है, इसलिए चीन जो दलील दे रहा है सभी लोगों को उसे मानना पड़ रहा है। तीन वर्ष पहले यानी 2018 में ठीक इसी तरह का कानून यूरोपीय संघ में भी लागू किया गया था, जिसे यूरोप जनरल डाटा प्रोटैक्शन रैगुलेशन कहा गया। यहां पर भी निजी कम्पनियों द्वारा लोगों की निजी जानकारियों के गलत इस्तेमाल को रोकने की मुहिम चलाई गई थी। 2020 में ब्राजील में भी ऐसा ही कानून लाया गया था, जिसमें सभी लातीनी अमरीकी कम्पनियों ने लोगों के डाटा की सुरक्षा के लिए ऐसा कानून  बनाया था। इसी तर्ज पर वर्ष 2020 के अंत में सिंगापुर में भी ऐसा ही कानून लाया गया था। 

इस कानून के पास होने के बाद इसका  सबसे ज्यादा असर दुनिया भर की टैक्नोलॉजी कम्पनियों पर पड़ा है और अमरीका में टैक कम्पनियों के शेयर में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। इन टैक कम्पनियों में बहुत सी चीनी कम्पनियां भी शामिल हैं, जिनमें टेनसेंट, अलीबाबा, बाईदू, जेडी, पिनतुओतुओ, वेईबो, आई.क्यू.आई.वाई.आई, बिलीबिली, यम चाइना, लूफाक्स, जैड.टी.ओ, ट्रिप डॉटकॉम, मेईथ्वान, तीती, नियो, जी.डी.एस. के साथ कई अन्य कम्पनियां शामिल हैं जिनके शेयर औंधे मुंह गिरे हैं। सभी चीनी तकनीकी कम्पनियों के शेयरों में साढ़े 4 से 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। 

इसके अलावा नेस्डेक गोल्डन ड्रैगन इंडैक्स, जिसमें अमरीकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध चीनी स्टाक कम्पनियां हैं, वहां पर भी चीनी शेयरों में 7 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। अमरीका में चीनी स्टॉक में वर्ष 2008 की बड़ी आॢथक मंदी के बाद वर्ष 2021 में जुलाई में हुई यह सबसे बड़ी गिरावट है। कुल चीनी स्टाक के दामों में 53 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जिसका पैसों में अनुमान लगाया जाए तो 1 खरब अमरीकी डालर से भी ज्यादा की गिरावट देखी गई है। यह चीन के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका है जिसके लिए खुद चीन जिम्मेदार है क्योंकि अगर चीन अपनी टैक कम्पनियों की नकेल इतनी न कसता तो चीनी कम्पनियों के शेयरों का इतना बुरा हाल न होता। चीन इन कम्पनियों पर दूसरे तरीके से भी पाबंदियां लगा सकता था ताकि उसे आर्थिक नुक्सान न हो। 

पहले चीनी कम्पनियां शेयर बाजारों में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं लेकिन जैसे ही सरकार ने पाबंदी लगाई, उनके शेयर अचानक नीचे लुढ़कने लगे और इस समय हालात ऐसे हैं कि चीन की कई कम्पनियां सड़क पर आ गई हैं। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि चीन सरकार, जिसके पास अर्थव्यवस्था और कार्पोरेट क्षेत्र में कोई तजुर्बा नहीं है, उसने इन कम्पनियों के अर्थतंत्र के साथ छेड़छाड़ की। अब चीन के पास पछताने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

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