‘चीन को अपने पड़ोसी म्यांमार से खतरा नजर आने लगा’

Edited By ,Updated: 04 Jan, 2021 01:00 PM

china sees danger from its neighbor myanmar

चीन को अब अपने पड़ोसी देश म्यांमार से खतरा नजर आने लगा है। इसलिए चीन ने तय किया है कि वो अपनी लगभग दो हजार किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ बनाएगा। इस बात को लेकर म्यांमार की सैन्य सरकार खासी नाराज दिखाई दे रही है, उसने चीन पर 1961 में हुए सीमा समझौते के...

चीन को अब अपने पड़ोसी देश म्यांमार से खतरा नजर आने लगा है। इसलिए चीन ने तय किया है कि वो अपनी लगभग दो हजार किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ बनाएगा। इस बात को लेकर म्यांमार की सैन्य सरकार खासी नाराज दिखाई दे रही है, उसने चीन पर 1961 में हुए सीमा समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है। म्यांमार के उत्तरी हिस्से का शान और काचिन राज्य दक्षिणी चीन के युन्नान प्रांत से लगा हुआ है। दोनों देशों के बीच वर्ष 1961 में एक समझौता हुआ था जिसके अनुसार कोई भी निर्धारित सीमा के दस मीटर के अंदर किसी तरह का निर्माण नहीं करवाएगा, लेकिन सूत्रों के अनुसार चीन दो हजार लंबी सीमा के 660 किलोमीटर इलाके में कंटीली तारों वाली बाड़ लगा चुका है जिसपर नेप्पीडाव को गंभीर आपत्ति है। 

 

चीन न सिर्फ सीमा पर कंटीली तारों वाली बाड़ लगा रहा है बल्कि बाड़ों के ऊपरी हिस्से में क्लोज सॢकट कैमरे भी लगवा रहा है। चीन ने बाड़ लगाने के जो तर्क दुनिया के सामने दिए हैं उनमें प्रमुख है कि चीन से लगे म्यांमार के क्षेत्रों में कई चीनी नागरिक आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं जिनमें नशीले पदार्थों की तस्करी, जुआघर चलाना, गलत धंधा करने वाले गैंग का संचालन करना। चीन और म्यांमार के बीच की सीमा पर गैर-कानूनी तरीके से आवाजाही करना आसान है इसे रोकने के लिए चीन ने बाड़ लगाने का तर्क दिया है। जैसा कि पूरी दुनिया जानती है कि चीन कभी असल वजह नहीं बताता है। वह सच्चाई छिपाने और दुनिया की आंखों में धूल झोंकने में माहिर है। चीन के बाड़ लगाने के पीछे की असल वजह उईगर मुसलमानों को दक्षिणी चीन के युन्नान प्रांत से दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में जाने से रोकना है। पहले भी कई उईगर मुसलमान चीन में उत्पीडऩ से बचने के लिए इसी रास्ते से दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में शरण लेने के लिए भाग जाते हैं। इसके अलावा चीन यह भी नहीं चाहता है कि उसके दक्षिणी गरीब राज्यों के प्रवासी मजदूर म्यांमार सीमा पार कर वियतनाम में मजदूरी करने जाएं। 

 

चीन की सीमा बाड़ चीन-म्यांमार आॢथक गलियारे का उल्लंघन भी करती है क्योंकि चीन ने बहुत सारा निवेश म्यांमार में किया है इसे लेकर म्यांमार का शासक वर्ग और आम लोग बहुत नाराज हैं। म्यांमार ने चीन पर आॢथक गलियारे को लेकर यह भी आरोप लगाया है कि चीन के साथ म्यांमार का व्यापार घटकर आधा रह गया है। अब म्यांमार ने चीनी निवेश को कम करने के लिए अपने बाजार अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए खोल दिए हैं जिससे म्यांमार के बाजार में चीन का प्रभाव अब कम होने लगा है। पहले चीन और म्यांमार की सैन्य सरकार के बीच संबंध बहुत अच्छे थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों से म्यांमार के चीन के साथ संबंध बहुत खराब हो गए हैं। इसका मुख्य कारण है चीन का म्यांमार में आतंकी और अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देना। म्यांमार का चीन पर आरोप है कि चीन ने दक्षिणी म्यांमार में अराकान लिबरेशन आर्मी को हथियार और पैसे मुहैया करवाए हैं जिससे म्यांमार की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पैदा हुआ है। 

 

म्यांमार के सेना जनरल मिन ऑन्ग हेयांग ने इस साल के शुरूआत में रूस में संवाददाता सम्मेलन पर बिना चीन का नाम लिए चीन पर म्यांमार में हथियारों की सप्लाई से अराजकता फैलाने का आरोप लगाया था। दरअसल चीन रखाईन प्रांत में अराकान सेना और अराकान रोङ्क्षहग्या साल्वेशन आर्मी को बीजिंग हथियारों और पैसों की सप्लाई करता है, इसके अलावा यहां पर सक्रिय संगठन पूर्वोत्तर भारत में भी अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। यह चीन की छिपी हुई चाल का एक हिस्सा है जिसके जरिए चीन अपने पड़ोसी देशों में अस्थिरता पैदा कर खुद आॢथक रूप से संपन्न रहना चाहता है। इससे चीन को दो फायदे होंगे, पहला इसी बहाने वह हथियारों के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पैठ जमाएगा, और दूसरा, जब चीन के पड़ोसी अस्थिर रहेंगे तो इन देशों में उपभोक्ताओं के लिए सारा सामान चीन से आएगा, इससे भी चीन को आॢथक लाभ होगा। 

 

 

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