चीन समझ ले कि यह ‘नया भारत’ है

Edited By ,Updated: 08 Jul, 2020 03:19 AM

china should understand that this is new india

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रभावी तौर पर चीन को एक कड़ा संदेश भेजा है। फिर चाहे यह नक्शे की बात हो या फिर एप्स की। उन्होंने चीन को बता दिया है कि यदि वह रेखा को पार करेगा तो उसे कड़ी प्रतिक्रिया मिलेगी क्योंकि यह नया भारत है और भारत सरकार यह...

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रभावी तौर पर चीन को एक कड़ा संदेश भेजा है। फिर चाहे यह नक्शे की बात हो या फिर एप्स की। उन्होंने चीन को बता दिया है कि यदि वह रेखा को पार करेगा तो उसे कड़ी प्रतिक्रिया मिलेगी क्योंकि यह नया भारत है और भारत सरकार यह अच्छी तरह से जानती है कि विपदा पडऩे पर इसे दुश्मन पर कैसे चोट पहुंचानी है। लद्दाख की मोदी की अचानक यात्रा के बाद चीनी पक्ष ने यह ध्यानपूर्वक देखा कि भारत कैसे बदल चुका है चाहे डोकलाम हो या फिर गलवान घाटी। 

एक प्रमुख घटनाक्रम के तहत 2 महीने के गलवान घाटी, पेगौंग लेक तथा  गोगरा हॉट स्प्रिंग में गतिरोध के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.)पर तनाव वाले बिंदुओं से भारत तथा चीनी सेनाएं पीछे हटने लगी हैं। चीनी सेनाओं ने अपने टैंट उखाड़ लिए और पेंगौंग लेक में ङ्क्षफगर 5 से पीछे हटना शुरू कर दिया। जबकि गलवान घाटी में पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर एक बफर जोन बनाया गया। यहीं पर 15 जून को 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और बड़ी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे। चीनी सैनिक करीब 2 किलोमीटर पीछे हट गए हैं। इसी तरह गोगरा हॉट सिं्प्रग्स क्षेत्र में पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 तथा 17 ए के तनाव वाले बिंदुओं से पीछे हटना शुरू हो चुके हैं। 

अब स्थिति स्पष्ट है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीनी सैन्य निर्माण को उसका उसी तरह जवाब दिया है। भारतीय सैन्य बलों की शहादत काम कर गई है। पिछले 2 माह के दौरान चीन ने युद्धरत तेवर अपनाए हुए थे। अब यह शांत होकर बैठ गए हैं तथा इसके सैनिक पीछे मुडऩा शुरू हो चुके हैं। चीन ने अपने टैंट तथा बख्तरबंद वाहनों को भी हटा लिया है। पिछले 6 दशकों के दौरान चीनी सेना ने भारत की ओर से ऐसी दृढ़ प्रतिक्रिया नहीं देखी। प्रधानमंत्री मोदी के कड़े संदेश ने प्रभावी तौर पर अपना काम कर दिखाया अब इस मामले में कोई भी समझौता नहीं होगा। मोदी ने विश्व को दिखा दिया है कि भारत कैसे अपनी रणनीति, कूटनीति तथा आर्थिक शक्ति के बल पर दुश्मन को शांति के लिए बाध्य कर सकता है। विश्व ने यह भी देख लिया है कि कैसे 130 करोड़ भारतीयों का नेता सीमा पर पहुंच कर जवानों का साहस बढ़ाता है। मोदी ने चीन को उसकी विस्तारवादी योजनाओं के खिलाफ एक कड़ी चेतावनी दी। 

इस संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तथा चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को बात की। दोनों इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्षों को एल.ए.सी. से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करना चाहिए। डोभाल तथा वांग दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता से संबंधित विशेष प्रतिनिधि हैं। दोनों इस बात पर सहमत हुए कि शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए एल.ए.सी. से सैनिकों का पूरी तरह से पीछे हटना और सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव में कमी सुुनिश्चित करना आवश्यक है। डोभाल और वांग ने दोहराया कि दोनों पक्षों को एल.ए.सी. का सम्मान एवं कड़ा अनुसरण सुनिश्चित करना चाहिए और यथास्थिति बदलने के लिए कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। वहीं, भारत चीनी सैनिकों की वापसी पर बाज की निगाह रखे हुए है। वह ड्रोन तथा सैटेलाइट चित्रों के माध्यम से चीनी गतिविधियों पर निगाह रखे हुए हैं। इस योजना के तहत बफरजोन की स्थापना का उद्देश्य सभी तनाव वाले बिंदुओं पर कोई भी सैन्य उपस्थिति नहीं होगी। 

‘आत्मनिर्भर’ का संदेश देने के साथ मोदी ने चीन पर बहुत ज्यादा आॢथक दबाव बनाया जिसकी कम्पनियां 59 सोशल मीडिया एप्स से लाभ कमा रही थीं। इसके साथ-साथ चीन स्टार्ट-अप्स में भी निवेश कर रहा था। चीनी वस्तुओं का बायकाट करने की राष्ट्रव्यापी कॉल दी गई। इससे चीनी कम्पनियों ने अपनी सरकार को तनाव कम करने तथा शांति प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कहा। एक ही ‘डिजीटल स्ट्राइक’ से चीन की विस्तारवादी तथा निवेश की योजना धरी की धरी रह गई। 

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वैश्विक नेताओं संग निजी तौर पर किए गए संवादों से भी वह बधाई के पात्र हैं। मोदी ने अमरीका, रूस, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान तथा इसराईल के साथ बातचीत की। इन सभी देशों ने चीन के साथ गतिरोध के संबंध में भारत का पूरा समर्थन किया। इस तरह के कूटनीतिक जाल में चीन फंस कर रह गया। चीन ने यह भी महसूस किया कि भारत के साथ गतिरोध के दौरान उसके हित में केवल पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ही साथ दे रहे हैं। विश्व की प्रमुख शक्तियां खुले तौर पर भारत के साथ खड़ी रहीं तथा चीन के विरोध में बोलती रहीं। चीन इस समय पूर्वी तथा दक्षिण पूर्व एशिया में 23 पड़ोसी देशों के साथ झगड़े में फंसा हुआ है। चीन केवल भारत के लिए विश्वव्यापी समर्थन के कारण ही नहीं झुका बल्कि भारत की उभरती हुई आर्थिक तथा सैन्य शक्ति के आगे भी नतमस्तक हो गया। चीनी सीमा पर भारत अपने मूलभूत ढांचों को तेजी से विकसित कर रहा है। 

चीन ने यह देख लिया कि भारत अब पूरी तरह से बदल चुका है। भारत अब आसानी से डरने वाला नहीं। अंतिम तौर पर मैं यह कहना चाहूंगा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीनी बलों को वापस जाने के लिए मजबूर करने में सफल हुए क्योंकि पूरा राष्ट्र उनके साथ चट्टान की तरह खड़ा है। संकट के ऐसे दौर में ही अच्छे नेतृत्व की परख की जाती है।-रजत शर्मा मुख्य संपादक (इंडिया टी.वी.)

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