Edited By ,Updated: 09 Feb, 2021 04:10 AM
जिबूती में वर्ष 2017 में नौसेना अड्डा बनाने के बाद अब चीन यहां से अपने व्यावसायिक हित भी साधने में जुटा है। जिबूती की भौगोलिक स्थिति उसे चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण बनाती है। यहां से चीन अफ्रीकी देशों के साथ खाड़ी के देशों में भी अपने हितों को साधने...
जिबूती में वर्ष 2017 में नौसेना अड्डा बनाने के बाद अब चीन यहां से अपने व्यावसायिक हित भी साधने में जुटा है। जिबूती की भौगोलिक स्थिति उसे चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण बनाती है। यहां से चीन अफ्रीकी देशों के साथ खाड़ी के देशों में भी अपने हितों को साधने में जुट गया है। अफ्रीकी महाद्वीप के सबसे छोटे देशों में से एक है जिबूती, चीन के जिबूती में आने के बाद वैश्विक ताकतें भी इस जगह पर सामरिक और सैन्य संतुलन बनाने के लिए जिबूती में आना चाहती हैं।
पिछले कुछ वर्षों में जिबूती और चीन के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता आई है, इसका मुख्य कारण जिबूती की भौगोलिक स्थिति है जहां से चीन अपने सैन्य और व्यावसायिक हित साध रहा है, चीन ने जिबूती को बी.आर.आई. परियोजना में भी शामिल कर लिया है, इसी के बदले जिबूती ने चीन को अपने देश में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए छूट भी दी है। जिबूती के समुद्र तट का इलाका पूरी दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापारिक समुद्री इलाकों में से एक है, खाड़ी और अदन के समुद्री मार्ग से चीन का एक करोड़ डॉलर का सामान रोजाना यूरोपीय संघ को निर्यात किया जाता है।
इसके अलावा चीन को पहुंचने वाला चालीस फीसदी तेल जिबूती के समुद्री मार्ग से होते हुए हिन्द महासागर पहुंचता है और भौगोलिक स्थिति के कारण जिबूती की पहुंच लाल सागर से लेकर हिन्द महासागर तक है। इसके अलावा जिबूती यूरोप और एशिया-प्रशांत से लेकर अफ्रीका और फारस की खाड़ी तक के क्षेत्र तक अपनी पहुंच बनाता है। जिबूती एक बहुत अहम और बहुत बड़ा बंदरगाह बनने में सक्षम है जहां से दुनिया की महत्वपूर्ण जगहों पर सामानों की आवाजाही आसानी से संभव है।
बैल्ट एंड रोड परियोजना के लिहाज से जिबूती चीन के लिए अदन की खाड़ी, लाल सागर और स्वेज नहर से भू-मध्यसागरीय क्षेत्र में सामान की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण केंद्र है जिसे चीन अपने पक्ष में भुनाना चाहता है। इसके अलावा चीन ने इथियोपिया के अदिस अबाबा से जिबूती शहर तक तीन अरब चालीस करोड़ डॉलर की रेलवे परियोजना की शुरूआत की है, इससे जिबूती की सामरिक स्थिति बी.आर.आई. के लिए और भी ज्यादा मजबूत होगी। इसके अलावा कच्चे तेल के यातायात के लिए बाब अल मानदेब तथा खाड़ी के देशों से लेकर उत्तरी अफ्रीकी देशों तक पहुंच को और आसान बनाता है और यहां से हिन्द महासागर तक भी जिबूती से यातायात बहुत आसान है।
जिबूती पर पूरी तरह अपनी पकड़ बनाने के लिए चीन ने जिबूती में बड़े-बड़े आधारभूत ढांचों में करीब 14 अरब चालीस करोड़ डॉलर निवेश किए हैं जिसमें इथियोपिया-जिबूती रेल परियोजना भी शामिल है। इसके अलावा बीजिंग प्राकृतिक गैस आपूर्ति के लिए जिबूती के समुद्र तट तक एक गैस पाइपलाइन पर भी निवेश कर रहा है जिससे प्राकृतिक गैस की चीन को आपूर्ति आसान हो सके।
पूर्वी अफ्रीका को पाकिस्तान से जोडऩे के लिए चीन ने समुद्र के अंदर ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाने के लिए ह्वावे मैरीन नैटवर्क बिछाया है जिसमें चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक ने निवेश किया है। 12 हजार 70 किलोमीटर की ऑप्टिक फाइबर केबल एशिया-अफ्रीका-यूरोप को जोड़ेगी। चाइना मर्चैंट्स पोर्ट्स होल्डिंग्स दोरेलाह बंदरगाह के लिए 56 करोड़ डॉलर निवेश कर रहा है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में चाइनीज पोर्ट आप्रेटर साढ़े तीन अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। इसके अलावा चीन बहुत सारी दूसरी परियोजनाओं में भी निवेश कर रहा है जिसमें बंदरगाह सुविधाएं, रेलवे, हवाई अड्डा और पीने के पानी के लिए इथियोपिया से जिबूती में पाइपलाइन का निर्माण भी शामिल है।
जिस तरह चीन ने जिबूती समेत पूरे पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीकी में निवेश करना शुरू किया है और पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में सड़क, पुल, हवाई अड्डे, रिहायशी इलाके, पानी की पाइपलाइन, बंदरगाह बनाने के अनुबंध हासिल किए हैं और वह भी सबसे कम दामों पर, उसने दुनिया को चौकन्ना कर दिया है। अफ्रीका अट्रैक्टिवनैस रिपोर्ट ने वर्ष 2018 में बताया कि चीन पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा निवेशक बन गया है और बदले में अफ्रीका की खनिज संपदा को अपने फायदे के लिए धूल के भाव में खरीद रहा है।
साथ ही चीन इन अफ्रीकी देशों को बड़ी आसान शर्तों पर भारी कर्ज भी दे रहा है, इसे देखते हुए अमरीकी अधिकारियों ने ङ्क्षचता जताई है कि जिबूती की जितनी भी आधारभूत संरचना बनाने के लिए चीन ने कर्ज दिया है, कहीं ऐसा न हो कि जिबूती भी चीन के कर्ज जाल में फंसकर अपनी आॢथक बर्बादी का नजारा देखे। जिबूती पर चीन का कर्ज जिबूती के सकल घरेलू उत्पाद के 70 फीसदी से भी ज्यादा हो गया है। चाइना ग्लोबल इंवैस्टमैंट ट्रैकर के अनुसार वर्ष 2013 से 2020 तक जिबूती में चीन ने एक अरब दो करोड़ डॉलर का निवेश किया है।
चीन ने अपने फायदे के लिए जिबूती में जो निवेश किया है उससे जिबूती को गलतफहमी हो गई है कि वह तरक्की की एक बड़ी राह पर चल निकला है और इसी के चलते जिबूती ने अपने देश की आॢथक तरक्की के लिए ‘विजन जिबूती 2035’ भी देखना शुरू कर दिया है जिससे वह अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक केन्द्र बन सके। लेकिन सच्चाई जिबूती को मालूम नहीं है कि वह भी श्रीलंका, किर्गिस्तान, केन्या, पाकिस्तान, मलेशिया, मालदीव्स, ताजिकिस्तान की तरह चीन के मकडज़ाल में फंसेगा। जिबूती के हाथ से समय रेत की तरह फिसलता जा रहा है और उसके पास चीन की आॢथक गिरफ्त से निकलने का कोई रास्ता नहीं है।