ताईवान पर जापान के पहले रक्षा श्वेतपत्र से चीन तिलमिलाया

Edited By ,Updated: 11 Aug, 2021 06:57 AM

china stunned by japan s first defense white paper on taiwan

अमरीका और चीन के बीच तनाव और इसके साथ दक्षिण-पूर्वी एशिया में चीन के कारण खराब होते हालात की पृष्ठभूमि में जापान ने अपने पहले वाॢषक रक्षा श्वेतपत्र में एक घोषणा कर चीन की ङ्क्षचता को बढ़ा दिया है। जापान ने

अमरीका और चीन के बीच तनाव और इसके साथ दक्षिण-पूर्वी एशिया में चीन के कारण खराब होते हालात की पृष्ठभूमि में जापान ने अपने पहले वाॢषक रक्षा श्वेतपत्र में एक घोषणा कर चीन की ङ्क्षचता को बढ़ा दिया है। जापान ने अपने रक्षा श्वेतपत्र में कहा है कि अगर किसी भी देश ने ताईवान पर हमला किया तो जापान उसका पुरजोर विरोध करेगा। इस श्वेतपत्र में जापान ने आशंका जताई है कि आने वाले पांच वर्षों में जापान को ताईवान की रक्षा के लिए चीन से युद्ध लडऩा पड़ सकता है। 

जापान के रक्षा श्वेतपत्र ने चीन की नींद उड़ा दी है और उसने जापान के इस श्वेतपत्र का विरोध भी किया है। जैसे-जैसे ताईवान को लेकर पूर्वी चीन सागर में तनाव बढ़ता गया, वैसे-वैसे चीन को लेकर जापान के बयान भी तेज होते गए। जुलाई 2021 की शुरूआत में जापान के उप-प्रधानमंत्री तारो आसा ने कहा कि अगर चीन अपनी आक्रामकता खत्म नहीं करता है तो जापान अमरीका के साथ मिलकर ताईवान की रक्षा को आगे आएगा। 

चीन ने जापान के इस बयान की घोर निंदा की और विदेश विभाग के प्रवक्ता जाओ लीछियान ने कहा कि जापान के इस बयान ने चीन-जापान के रिश्तों को खराब किया है। हालांकि चीन ने बाद में कहा कि ताईवान को लेकर किसी भी विवाद का हल बातचीत से किया जाएगा। 

दरअसल चीन ताईवान को अपने देश का हिस्सा मानता है और पिछले कुछ समय से चीन ताईवान जलडमरू-मध्य क्षेत्र में अपनी नौसेना के अलावा अपने लड़ाकू विमानों को भी ताईवान के हवाई क्षेत्र में भेजता रहा है। इसकी तीव्रता को चीन ने वर्ष 2021 में बढ़ा दिया। पहली जुलाई, 2021 को चीन ने क युनिस्ट पार्टी की वर्षगांठ मनाई है और इस दौरान अपने भाषण में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने कहा कि चीन जल्दी ही ताईवान को अपने क्षेत्र में मिला लेगा। पहले भी चीन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि अगर ताईवान को अपने क्षेत्र में मिलाने के लिए उसे सैन्य हस्तक्षेप करना पड़ा तो वह पीछे नहीं हटेगा। 

दक्षिणी चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता से बाकी देशों के साथ जापान के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। जापान इलैक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में दुनिया का अग्रणी देश है, वहीं ताईवान दुनिया में सबसे बड़ा सैमी-कंडक्टर निर्माता है, जिसका इस्तेमाल हर इलैक्ट्रॉनिक उपकरण में होता है। जापान ताईवान से बड़ी मात्रा में सैमी कंडक्टर आयात करता और उनका इस्तेमाल अपने इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों में करता है। अगर चीन ताईवान पर अपना कब्जा करता है तो जापान को ताईवान से सैमी-कंडक्टर्स की आपूर्ति में बाधा आएगी और जापान को नुक्सान होगा। वैसे ताईवान लगभग पूरी दुनिया को सैमी-कंडक्टर्स की आपूॢत करता है, इसमें चीन और अमरीका भी शामिल हैं। 

वहीं जापान को खाड़ी देशों से तेल हिन्द महासागर के रास्ते मलेशिया के मलक्का जलडमरू से होते हुए उत्तरी फिलीपींस और दक्षिणी ताईवान के समुद्री क्षेत्र के बीच लूशुन जलडमरू के रास्ते पहुंचता है। मलक्का जलडमरू से उत्तर में दक्षिणी चीन सागर है, जहां पर चीन की सैन्य गतिविधियां अपने चरम पर हैं। इन दोनों गतिरोधों से जापान को न तो तेल पहुंचेगा और न ही उसके इलैक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए सैमी-कंडक्टर। इससे जापान के इलैक्ट्रॉनिक उद्योग और ऑटोमोटिव उद्योग को सीधे तौर पर घाटा पहुंचेगा। इसलिए जापान ताईवान पर किसी भी तरह का कोई हमला नहीं होने देना चाहता। 

जापान ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा है कि रक्षा क्षेत्र में उसका भारत के साथ एक अनुबंध हो चुका है, जिसके तहत जापानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना जरूरत पडऩे पर भारत के किसी भी सैन्य क्षेत्र का इस्तेमाल अपने लिए कर सकती हैं। ठीक वैसे ही भारत भी जरूरत के समय जापान के क्षेत्रों का इस्तेमाल कर सकता है। अगर चीन ताईवान पर हमला करता है तो जापान और अमरीका मिलकर उसको रोकेंगे क्योंकि अमरीका ने एक समझौते के अनुसार जापान और ताईवान की रक्षा करने की गारंटी दी है।

यदि कोई तीसरा देश इन दोनों देशों पर हमला करता है तो अमरीका सैन्य हस्तक्षेप कर इनकी रक्षा करेगा। वैसे ताईवान की रक्षा के लिए अमरीका ने अपनी नौसेना के दो फ्रिगेट ताईवान जलडमरू क्षेत्र में तैनात किए हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में लंगर डाले खड़े हैं। साथ ही अमरीका ताईवान को हथियार भी बेच रहा है। ताईवान-चीन विवाद में जापान के रक्षा श्वेतपत्र के बीच हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दक्षिणी चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के लिए ही भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने मिलकर क्वॉड का गठन किया है और पिछले साल, 2020 में इन चारों देशों ने मिलकर मालाबार सैन्याभ्यास किया था। 

हालांकि चीन ने ताईवान को लेकर जो धमकी दी है, वह अपनी जगह पर है लेकिन चीन ताईवान के खिलाफ कोई भी सैन्य अभियान नहीं चला सकता क्योंकि उसे भी पता है कि ऐसा करने से जापान और अमरीका सीधे तौर पर नाराज हो जाएंगे। वहीं ताईवान के पास मिसाइलों का ऐसा भंडार है जो चीन के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र को बर्बाद कर सकता है और यही वह क्षेत्र है जो चीन की समृद्धि का केन्द्र है। यहीं से चीन सारी व्यापारिक गतिविधियों को चलाता है। पूर्वी और दक्षिणी चीन में ढेरों फैक्ट्रियां हैं, जहां पर विनिर्माण का काम होता है। 

अगर चीन को ताईवान पर हमला करना होता तो वह अब तक कर चुका होता, अपनी नौसेना और लड़ाकू विमान इस क्षेत्र में भेजकर सिर्फ धमकी नहीं देता। सैमी-कंडक्टर तो चीन भी ताईवान से खरीदता है और चीन ताईवान को नुक्सान पहुंचाएगा तो ताईवान इनकी आपूॢत रोक देगा, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था को भारी नुक्सान सहना पड़ सकता है। चीन अभी इस स्थिति में नहीं है कि वह कोई युद्ध लड़ सके, खासकर ऐसे समय में, जब सारी दुनिया कोरोना वायरस को लेकर चीन से खासी नाराज बैठी है।

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