Edited By ,Updated: 31 Jan, 2021 05:21 AM
चीनी बिजनैस टाईकून जैक मा का पिछले वर्ष अक्तूबर में अचानक लापता हो जाना और उसके बाद चीन की सी.पी.सी. पर सवाल उठना, दुनिया भर में जैक को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म होना और फिर साढ़े तीन महीने के बाद जैक मा का अचानक
चीनी बिजनैस टाईकून जैक मा का पिछले वर्ष अक्तूबर में अचानक लापता हो जाना और उसके बाद चीन की सी.पी.सी. पर सवाल उठना, दुनिया भर में जैक को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म होना और फिर साढ़े तीन महीने के बाद जैक मा का अचानक टैलीविजन पर अवतरित होना और ग्रामीण शिक्षकों को संदेश देना किसी चीनी ड्रामे से कम नहीं है। अपने पचास सैकेंड के छोटे से भाषण में जैक मा ने चीन के गांवों में पढ़ाने वाले एक सौ अध्यापकों को संबोधित किया था, इस दौरान जैक ऊर्जावान नजर नहीं आ रहे थे जैसा कि वे अक्सर नजर आते हैं, इस दौरान उन्होंने यह भी नहीं बताया कि वह इस समय कहां हैं।
हालांकि यह बात हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि चीन सरकार की आॢथक नीतियों और बैंकिंग तंत्र की बुराई करने के कारण ही जैक मा पर सी.पी.सी. ने गाज गिराई थी और यह बात चीन की सरकार और सी.पी.सी. को अच्छी नहीं लगी थी। अक्तूबर में दिए उस भाषण के चलते ही जैक मा गायब हो गए थे। लेकिन इस बात को लेकर दुनिया भर में चीन की भद्द पिटने लगी तब जाकर चीन को अपनी गलती का एहसास हुआ। काफी सोच-विचार के बाद जैक मा को नजरबंदी से बाहर लाया गया।
जैसे ही जैक मा ने चीन सरकार की आर्थिक नीतियों और बैंक की नीतियों की आलोचना करना शुरू किया चीन सरकार ने भी उनको सबक सिखाने की ठान ली और पिछले वर्ष नवंबर में अलीबाबा की आॢथक शाखा ऐंट समूह के साढ़े 34 अरब के आई.पी.ओ. पर रोक लगा दी, अगर ऐंट समूह का आई.पी.ओ. बाजार में उतरता तो वह दुनिया का सबसे बड़ा आई.पी.ओ. होता लेकिन चीन सरकार ने जैक मा की बांह मरोड़ दी और उनको उनकी हैसियत बता दी कि चीन में सी.पी.सी. से बड़ा और कोई नहीं है फिर चाहे वो बहुत बड़ा बिजनैस टाईकून ही क्यों न हो। इस घटना के बाद अलीबाबा की 140 अरब डॉलर के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई क्योंकि सरकार के साथ विरोध के चलते निवेशकों का विश्वास अलीबाबा पर से खत्म हो गया। इसके बाद चीन सरकार ने अलीबाबा समूह को उनकी आर्थिक शाखा ऐंट समूह से अलग करने और ऑन लाइन पैसों के लेन देन पर रोक लगाने का आदेश भी दिया।
आपको बता दें कि जैक मा के ऐंट समूह ने भारत में ऑन लाइन कंपनी पेटीएम और ऑन लाइन खाना सप्लाई करने वाली कंपनी जोमैटो में भारी निवेश किया है। वर्ष 1999 में शुरू हुआ अलीबाबा समूह वर्ष 2014 तक इतना बड़ा हो गया कि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में 25 अरब डॉलर की कंपनी के रूप में इसने जगह बना ली। उस समय जैक मा की व्यक्तिगत संपत्ति साढ़े 19 अरब डॉलर की थी और जैक मा फोब्र्स लिस्ट के मुताबिक चीन के सबसे धनी व्यक्ति बन गए थे। हालांकि जैक मा को वापस लोगों के सामने पेश करने के पीछे चीन की मंशा अलीबाबा के शेयरों में आई गिरावट को फिर से पटरी पर लाने की थी, ऐसा थोड़ी देर के बाद हुआ भी जब हांगकांग स्टाक एक्सचेंज में अलीबाबा के शेयरों में 6 फीसदी का उछाल देखा गया लेकिन यह उछाल क्षणिक था।
सूत्रों के हवाले से पता चला कि जैक मा ने निवेशकों में विश्वास जगाने के लिए अलीबाबा से उच्च पद छोड़ दिया लेकिन उनका प्रभुत्व अब भी अलीबाबा पर बना हुआ है, लेकिन निवेशकों में अब भी संशय बरकरार है कि जैक मा अब पहले जैसे अपना काम करेंगे या फिर सरकार को अपनी बातों से नाराज करेंगे। अमरीकी कंसल्टैंसी चाईना बिकी बुक के सी.ई.ओ. लीलैंड मिलर के अनुसार जैक मा की वास्तविक स्थिति कैसी है, यह सिर्फ बीजिंग ही बता सकता है। मिलर ने आगे बताया कि यह भी अभी साफ नहीं है कि जैक अब भी नजरबंदी में है, छुपा हुआ है या फिर कोई और बात है। इस बात से साफ पता चलता है कि चीन की सी.पी.सी. ने किस तरह से बड़े व्यापारियों को अपने कब्जे में लिया हुआ है।
पालो आल्टो में ‘ बे स्ट्रीट कैपिटल होल्डिंग्स’ के संस्थापक और निदेशक विलियम हस्टन ने बताया कि उन्होंने अलीबाबा में अपने कुछ शेयर बेच दिया और निवेश में भी कमी कर दी क्योंकि अलीबाबा कंपनी में निवेश करने का माहौल अब ठीक नहीं है। उन्होंने बताया कि जैक के पचास सैकेंड के टी.वी. पर अवतरित होने से यह दावा नहीं किया जा सकता कि बीजिंग में सब कुछ ठीक चल रहा है। अलीबाबा के एक अन्य निवेशक, फ्लोरिडा की कम्बरलैंड एडवाइजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी, डेविड कोटोक जिनकी कंपनी चार अरब डॉलर की है, ने बताया कि ऐसे माहौल में हम लोग अभी माहौल को देख रहे हैं, अलीबाबा के ऐंट आई.पी.ओ. के रद्द होने से बाजार में अभी अनिश्चितता है।
इन सारी बातों से स्थिति साफ़ है कि चीन ने पहले अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी थी उस गलती को सही करने के लिए सी.पी.सी. ने जैक मा को पहले टी.वी. पर लोगों के सामने उतारा लेकिन जो नुक्सान शेयर बाजार को हुआ और निवेशकों का टूटा विश्वास जल्दी लौटने के कोई आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं।