भारतीय श्वेत उत्पाद विनिर्माण सैक्टर से लगेगा चीन को भारी झटका

Edited By ,Updated: 26 Sep, 2021 05:15 AM

china will get a big blow from the indian white products manufacturing sector

व्हाइट गुड्स यानी श्वेत उत्पाद, जिनमें टैलीविजन, वाशिंग मशीन, डिश वॉशर, एयर कंडीशनर, फ्रिज, फूड प्रोसैसर आदि आते हैं। इन उत्पादों के निर्माण में भारत अभी तक 25-70 फीसदी उपकरणों के लिए चीन पर निर्भर था क्योंकि ये उपकरण चीन से आयात होते थे, तब भारत...

व्हाइट गुड्स यानी श्वेत उत्पाद, जिनमें टैलीविजन, वाशिंग मशीन, डिश वॉशर, एयर कंडीशनर, फ्रिज, फूड प्रोसैसर आदि आते हैं। इन उत्पादों के निर्माण में भारत अभी तक 25-70 फीसदी उपकरणों के लिए चीन पर निर्भर था क्योंकि ये उपकरण चीन से आयात होते थे, तब भारत में बनने वाले उत्पाद पूरे होते थे लेकिन दुनिया के साथ-साथ भारत ने भी चीन से दूरी बनाने का मन बना लिया है और श्वेत उत्पादों के सारे उपकरणों को स्वदेश में ही बनाना तय किया है। आत्मनिर्भर भारत के तहत अब देसी निर्माताओं को उत्साहित किया जा रहा है कि वे इन उपकरणों में लगने वाले कलपुर्जे बनाएं। एक तरफ इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी, वहीं दूसरी तरफ  भारत में इनके उत्पादकों के हाथ मजबूत करने से देश में नए उद्यमियों की नई पौध तैयार और रोजगार में वृद्धि होगी। 

भारत और चीन में वर्ष 2020 में हुए गलवान घाटी संघर्ष के बाद जब भारत ने चीन से होने वाले आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था तब चीन अपने सामान की डंपिंग के लिए नए-नए पैंतरे आजमा रहा था और उसने बंगलादेश, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया और दूसरे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से भारत में सामान भेजना शुरू कर दिया, जिनके साथ भारत की मुक्त व्यापार संधि हो चुकी है लेकिन भारत ने एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा दी थी जिससे चीन के हौसले पस्त होने लगे। 

वहीं लगे हाथ भारत ने आत्मनिर्भर कार्यक्रम के तहत देश में ही इन उपकरणों के निर्माण का फैसला किया। पी.एल.आई. स्कीम के तहत भारत ने 6238 करोड़ डालर के निवेश की घोषणा की, ताकि देश में इन उत्पादों के कलपुर्जों का उत्पादन तेजी से शुरू हो सके।  पी.एल.आई. यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसैंटिव स्कीम, जिसका अर्थ यह हुआ कि अगर एयरकंडीशनर बनाने का प्लांट है तो उससे जुड़े एल.ई.डी. स्क्रीन, कॉपर ट्यूब, फिल्टर, कंप्रैसर, इलैक्ट्रॉनिक पी.सी.बी., हीट एक्सचेंजर, कूङ्क्षलग फैन मोटर, बाहरी खोल बनाने की फैक्टरियां बनाना, जहां पर इनके उत्पादन से काम में गुणवत्ता और तेजी लाई जा सके। 

हालांकि उस समय भारत की कंज्यूमर इलैक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लायंसिज मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ने कहा था कि भारतीय व्हाइट उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले 25-75 फीसदी कलपुर्जे चीन से आयात होते हैं, जिन्हें रातों-रात बदलना आसान नहीं होगा लेकिन आज इन सभी कलपुर्जों का निर्माण हमारे देश में शुरू हो चुका है और चीन को पूरी तरह नकारा जा चुका है। इसकी शुरूआत पिछले दो-तीन वर्षों से चल रही थी जिसमें कई फैक्टरियां अब तक बनाई जा चुकी हैं। एयर कंडीशनर के क्षेत्र में अभी तक 30 फीसदी सामान चीन से आयात होता था, जिसे अब पूरी तरह खत्म किया जा चुका है।

इस काम में एक वर्ष की देरी कोरोना महामारी के चलते हुई थी लेकिन अब काम बहुत तेजी से जारी है। चीन अब दुनिया के बाजार से तेजी से गायब होता जा रहा है क्योंकि सभी देशों ने कोरोना महामारी के बाद चीन से दूरियां बना ली हैं। मोबाइल फोन सॢवस प्रोवाइडर के क्षेत्र में सुरक्षा का हवाला देकर भारत ने पहले ही चीनी उत्पादों को दरकिनार कर दिया है जिससे भारत में मोबाइल फोन का बड़ा बाजार चीन खो रहा है। 5जी इंटरनैट तकनीक में भी भारत ने चीन की हुआवेई कंपनी को भारत में एंट्री देने से मना कर दिया है। व्हाइट गुड्स के लिए निकाली गई पी.एल.आई. में 52 भारतीय कंपनियों के साथ कुछ विदेशी कंपनियों ने हिस्सा लिया, जो भारत में एयरकंडीशनर के पार्ट्स बनाने के लिए आगे आई हैं। इनमें से 32 वे कंपनियां हैं जो एयरकंडीशनर में लगने वाले कंपोनैंट्स भारत में ही बनाएंगी। 

सरकार ने इसके लिए जो 6238 करोड़ डॉलर निवेश करने की योजना बनाई है उसे अगले 3 वर्षों में इस क्षेत्र के लिए खर्च कर दिया जाएगा। इसका असर यह होगा कि इन कंपनियों को काम करने के लिए आधारभूत सुविधाएं और विनिर्माण, आपूर्ति शृंखला से जुड़ी सुविधाएं जल्दी ही मिलने लगेंगी। इसके अलावा 20 कंपनियां ए.सी. में लगने वाले एल.ई.डी. लाइट्स पैनल बनाने के काम में जुटेंगी। इनमें एल.ई.डी. की पैकेजिंग, रेजिस्टर्स, आई.सी. और फ्यूज जैसे कंपोनैंट्स शामिल होंगे। इसके लिए इन कंपनियों को सरकार इंसैंटिव भी देगी। 

इसका लाभ भारतीय व्हाइट गुड्स बनाने वाली कंपनियों के साथ-साथ उन विदेशी कंपनियों को भी होगा जो विनिर्माण के नाम पर चीन से कंपोनैंट्स आयात कर अपने देश में असैंबल करके बेचती हैं। भारत में बनने वाले ये कंपोनैंट्स उच्च गुणवत्ता वाले और चीन के मुकाबले कम दामों पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध होंगे। कोरोना के बाद दुनिया चीन का विकल्प ढूंढ रही है और भारत जिस तेजी से काम कर रहा है, आने वाले दिनों में वह दुनिया की सबसे बड़ी फैक्टरी बनने वाला है।भारत सरकार की इस योजना से जो आधारभूत ढांचा विनिर्माण क्षेत्र में तैयार होगा उसका लाभ भारतीय उत्पादकों, ग्राहकों, बाजार के साथ साथ विदेशी बाजारों को भी मिलेगा।  

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