‘मृतक सैनिकों की संख्या बताने से चीनी जनता कम्युनिस्ट पार्टी से नाराज’

Edited By ,Updated: 27 Feb, 2021 04:40 AM

chinese people angry with communist party for telling number of dead soldiers

अभी हाल ही में चीन ने पिछले वर्ष जून में हुए गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में अपने मृतक सैनिकों की संख्या बताई जो कि चार है, चीन ने लगे हाथों इस घटना का वीडियो भी जारी किया है लेकिन वह वीडियो चीन पर भारी पड़ गया। इस वीडियो के रिलीज...

अभी हाल ही में चीन ने पिछले वर्ष जून में हुए गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में अपने मृतक सैनिकों की संख्या बताई जो कि चार है, चीन ने लगे हाथों इस घटना का वीडियो भी जारी किया है लेकिन वह वीडियो चीन पर भारी पड़ गया। इस वीडियो के रिलीज होने के बाद से चीनी युवाओं ने पी.एल.ए., चीनी प्रशासन और भारतीय दूतावास को निशाना बनाकर सोशल मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया है। 

हालांकि चीन ने आधिकारिक तौर पर अपने मृतक सैनिकों का सही आंकड़ा अब भी नहीं दिया है। इस बात को लेकर चीनी युवा अपनी सरकार और पीएलए से काफी नाराज हैं। दरअसल पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से अपनी सेना को पीछे हटाए जाने के बाद चीन ने अपनी शान में प्रशंसा और खुद की श्रेष्ठता जाहिर करने के लिए पिछली गर्मी में शूट किए गए एक वीडियो को हाल ही में जारी किया था लेकिन यह चाल चीन को उलटी पड़ गई। 

चीनी प्रशासन ने कहा कि गलवान घाटी में पिछले वर्ष हुए संघर्ष में मारे गए चीनी सैनिकों को वे मरणोपरांत सम्मानित करेगा, लेकिन सही मृतकों की संख्या बताने से चीन ने एक बार फिर मना कर दिया है। हालांकि चीन ने सिर्फ चार सैनिकों के मारे जाने की बात कही है। इस घटना की प्रतिक्रिया में चीनी युवा चीन स्थित भारतीय दूतावास की सोशल मीडिया वैबसाइट को टैग कर उसपर अपशब्दों की बौछार के साथ अपनी कुंठा जाहिर कर रहे हैं। 

दरअसल गलवान संघर्ष में, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 20 भारतीय सैनिकों की हताहती हुई थी। वहीं चीन के सैनिकों की मौत पर यह अनुमान लगाया गया था कि यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है, अमरीकी पेंटागन ने उपग्रहों से ली गई तस्वीरों के हवाले से बताया था कि चीनी सैनिकों के मरने की संख्या 40 से ज्यादा है। 

वहीं रूसी एजैंसी इतरतास के अनुसार गलवान संघर्ष में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे। वहीं यूरेशियन टाइम्स ने एक नया खुलासा कर दुनिया को चौंका दिया था, यूरेशियन टाइम्स के मुताबिक गलवान झड़प में सौ से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए थे, इस अखबार ने एक पूर्व पी.एल.ए. सैन्य अधिकारी यांग चियान ली के हवाले से बोला है, यांग के पिता कम्युनिस्ट पार्टी के महत्वपूर्ण नेता थे। वहीं चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने हमेशा की तरह इस मुद्दे पर भी सरकार का बचाव करते हुए यह कहा कि सरकार ने उस समय चीनी सैनिकों के मरने की खबर इसलिए छिपाई क्योंकि ऐसा करना सीमा पर स्थिरता के लिए जरूरी था। अब सरकार मृतक सैनिकों को सम्मान देना चाहती है इसलिए यह जानकारी सार्वजनिक की गई है। 

ग्लोबल टाइम्स आगे लिखता है कि चीनी युवाओं के लिए अपने सैनिकों के मारे जाने की खबर सुनना एक नई बात है क्योंकि एक लंबे समय से चीन का किसी भी देश के साथ युद्ध नहीं हुआ है। लेकिन असल बात यह है कि चीनी जनता और वहां का युवा वर्ग महीनों बाद हुए इस खुलासे के कारण अपनी सरकार से बहुत नाराज है, दशकों बाद चीन की सरकार को एक बेहद करारा जवाब मिला है।

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